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किशनगंज : शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन की गई माता सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना

या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।

किशनगंज, 23 अक्टूबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। सोमवार को महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि आज के दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है। गुरु साकेत कहते है मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियां होती हैं। ब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या 18 बताई गई है। अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाक्‌सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना, एवं सिद्धि। गुरु साकेत ने बताया कि मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें। उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो। इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। गुरु साकेत ने कहा कि नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री मां के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है। मां भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती। गुरु साकेत कहते है मां के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करनी चाहिए। मां भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। इनकी आराधना से जातक को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है। गुरु साकेत ने कहा कि आज के युग में इतना कठिन तप तो कोई नहीं कर सकता लेकिन अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर कुछ तो मां की कृपा का पात्र बनता ही है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में नवमी के दिन इसका जाप करना चाहिए। गुरु साकेत ने बताया कि आज महानवमी पर शूल शुभ योग बना है। इसके उपरांत सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। इस दौरान शमी पूजा, अपराजिता पूजा एवं जयंती ग्रहण, नीलकंठ दर्शन, विजय यात्रा, पट्टाभिषेक का शुभ संयोग प्राप्त हो रहा है। यह आज यानी 23 अक्टूबर से शुरू होकर मंगलवार 24 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। गुरु साकेत ने बताया कि काशी पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 22 अक्टूबर 2023 को शाम 05 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होगी और 23 अक्टूबर को शाम 03 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। दरअसल, इस बार उदया तिथि मान्य होने के कारण 23 अक्टूबर को नवमी तिथि मनाई जाएगी। गुरु साकेत ने बताया कि नवरात्रि व्रत का पारण 24 अक्टूबर 2023 को सुबह 06:27 बजे के बाद किया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि का व्रत नवमी तिथि पूर्ण होने के बाद दशमी तिथि में ही खोलना चाहिए। नवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 22 अक्टूबर को शाम 06:27 बजे से सुबह 07:30 बजे तक रहेगा। इसके बाद सुबह 23 अक्टूबर को 09:16 बजे से सुबह 10:41 बजे तक शुभ समय है। गुरु साकेत ने बताया कि, सोमवार सुबह 7:30 से 9 बजे तक राहुकाल रहेगा, ऐसे में कन्या पूजन करना शुभ नहीं माना जाता है। वहीं, नवमी तिथि के अन्य कन्या पूजन मुहूर्त 01:30 बजे से शाम 05:44 बजे तक हैं। गुरु साकेत ने बताया कि देवी सिद्धिदात्री की पूजा के बाद कन्या पूजन की व्यवस्था करें। घर पर कुमारी के लिए आसन बिछाएं। अपनी क्षमता के अनुसार, 1 से लेकर 9 की संख्या में कन्याओं को आमंत्रित करें। उनकी उम्र 2 से 10 वर्ष के बीच हो। कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भी भोजन पर आमंत्रित करें। सभी कन्याओं और बालक को आसन पर बैठाएं। फिर पानी से उनके पांव धोएं। अक्षत्, फूल, चंदन या रोली से उनकी पूजा करें। फिर उनको पूड़ी, हलवा, खीर, काले चने, मिठाई आदि खाने के लिए परोसें। भोजन करने के बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। उनको उपहार और दक्षिणा देकर विदा करें। ऐसे में इस शुभ मुहूर्त में आपको मां सिद्धिदात्री की पूजा, कन्या पूजा और नवरात्रि हवन कर लेना चाहिए।

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