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किशनगंज : चुनौतियों को दरकिनार कर समाज के आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिलाना आवश्यक

नियमित रूप से ओपीडी व आपातकालीन सेवाओं का संचालन ससमय करे: डीएम

किशनगंज, 08 जनवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, सामुदायिक स्तर पर बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुच सके, इसको लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर है। ताकि एक भी जरूरतमंद स्वास्थ्य सेवा से वंचित नहीं रहे और समाज के आखिरी व्यक्ति को सुविधाजनक तरीके से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ मिल सके। जिसे सार्थक रूप देने के लिए जिला प्रशाशन एवं स्वास्थ्य विभाग प्रयत्नशील है। जिले में स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों को आम जनमानस तक पहुंचाने को लेकर आवश्यक पहल लगातार की जा रही है। गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच, संस्थागत प्रसव, नियमित टीकाकरण को लेकर किये जा रहे विभागीय प्रयासों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी तुषार सिंगला की अध्यक्षता में जिले के जिला परिषद् स्थित सभागार में सोमवार को आयोजित बैठक में स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न योजनाओं की गहन समीक्षा की गयी। बैठक में जिलाधिकारी ने बताया की समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा को पहुचाने एवं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों से लोगों को जोड़ने के लिए अपने कर्तव्य पथ पर चुनौतियों और परेशानियों का सामना करने के बाद भी अग्रसर है। वही पंचायत स्तर पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर द्वारा सिर्फ लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पंहुचा रही हैं। बल्कि, लोगों को सरकारी स्वास्थ्य से जोड़ भी रहा है। बैठक में जिलाधिकारी ने विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन मामले में प्रखंडवार उपलब्धियों की गहन समीक्षा की। इस क्रम में जन आरोग्य के गठन संबंधी मामलों की अद्यतन स्थिति, टेलीकंस्लटेशन, स्वास्थ्य संस्थानों में ओपीडी सेवाओं का संचालन, गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच, सुरक्षित प्रसव, टीबी मुक्त भारत अभियान सहित महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने को लेकर संबंधित अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये। बैठक में सिविल सर्जन, डीएस, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी आईसीडीएस, डीआईओ, एनसीडीओ, सीडीओ, भीबीडीसीओ, डीपीएम, एसएमसी यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ के एसएम्ओ, पीरामल स्वास्थ्य के टीम, सीफार के जिला समन्वयक, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंन्धक सहित अन्य मौजूद हुए। डीएम तुषार सिंगला ने निर्माणाधीन स्वास्थ्य केन्द्रों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया की सभी कार्य को तय समय पर पूर्ण करे साथ है जन आरोग्य समिति की मासिक बैठक नियमित रूप से हो इसका अनुश्रवन जिला स्तर से की जाये साथ ही उन्होंने बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्वास्थ्य अधिकारी के प्रयासों को सराहा व कहा कि सेवाओं की बेहतरी के लिये अधिकारी व कर्मी को एक संकल्प के साथ काम करना होगा। इससे बेहतर परिणाम संभव है। अस्पताल में सफाई व्यवस्था में सुधार, नियमित रूप से ओपीडी व आपातकालीन सेवाओं का संचालन, निर्धारित रोस्टर के मुताबिक कर्मियों की सेवा सुनिश्चित कराने के साथ-साथ अपने कर्तव्य व जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित कराने का निर्देश उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया। एएनसी जांच व संस्थागत प्रसव के मामलों में सुधार को लेकर डीएम ने क्षेत्र में आशा कार्यकर्ताओं की गतिविधियों की सतत निगरानी व अनुश्रवण का आदेश दिया। पीएचसी स्तर पर सभी कर्मी व संबंधित विभागों के परस्पर सहयोग से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार का आदेश जिलाधिकारी के द्वारा सिविल सर्जन को दिया गया है। उन्होंने लापरवाह अधिकारियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई का आदेश सिविल सर्जन को दिया। स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिये बेहतर संसाधन व सुविधाओं की उपलब्धता जरूरी है। उन्होंने सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कराने के लिये टेलीकंस्लटेशन सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाने का निर्देश दिया। हेल्थ वेलनेस सेंटर के सफल संचालन व टेलीकंस्लटेशन के प्रभावी क्रियान्वयन को उन्होंने जरूरी बताया। मातृ-शिशु मृत्यु दर संबंधी रिपोर्टिंग के लिये आंगनबाड़ी केंद्रों के उचित सहयोग को उन्होंने जरूरी बताया। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने कहा कि शिशु पृथ्वी पर किसी भी मानव की सबसे पहली अवस्था होती है। क्योंकि जन्म से एक महीने तक की आयु का शिशु नवजात कहलाता है, जबकि एक महीने से तीन साल तक के बच्चे को सिर्फ शिशु कहते हैं। आम बोलचाल की भाषा में हम लोग नवजात और शिशु दोनों को ही बच्चा कहते हैं। इनकी उचित देखभाल करना हम लोगों की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण के बाद महिला रोग विशेषज्ञ द्वारा नियमित रूप से जांच कराना अतिमहत्वपूर्ण होता है। क्योंकि गर्भस्थ नवजात शिशुओं को स्वास्थ होने के लिए गर्भवती माताओं को पोषणयुक्त आहार लेने, समय-समय पर विभिन्न तरह की जांच कराने को लेकर विशेष रूप ध्यान देने की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य योजनाओं की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों पर की रिपोर्टिंग को अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मृत्यु संबंधी कारणों की उचित पड़ताल करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी इसके निदान को लेकर प्रभावी कदम उठायें। पूर्ण टीकाकरण मामले में विभिन्न प्रखंडों के कमतर प्रदर्शन पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने इसमें सुधार का निर्देश दिया। बीमार बच्चों के इलाज के लिये एसएनसीयू के प्रदर्शन पर उन्होंने संतोष जाहिर किया। वहीं अति कुपोषित बच्चों के समुचित इलाज के एनआरसी में भर्ती कराने पर उन्होंने जोर दिया। डीएम ने कहा कि अभिभावकों को इसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है। शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम को शत प्रतिशत धरातल पर उतराने के लिए जिले में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा तरह – तरह के कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कराया जाता है। जिसमें विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू), गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी), छोटे बच्चों के लिए गृह आधारित देखभाल (एचबीवाईसी) और पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के माध्यम से शिशु को आसानी से स्वस्थ्य रखा जा सकता है। किसी कारणवश आपका बच्चा निरोग नहीं हुआ है तो उसको पोषण पुनर्वास केन्द्र में पोषित करने के रखा जाता है। क्योंकि बच्चों के साथ उनकी माताएं रहकर देखभाल करती हैं। सबसे अहम बात यह है कि महिलाओं के कार्य का नुकसान नहीं हो। इसके लिए विभागीय स्तर पर प्रतिदिन के हिसाब से राशि देने का प्रावधान है।

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