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किशनगंज : नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 127वीं जयंती समारोह में पूर्व विधायक पुष्प अर्पित कर दिए श्रद्धांजलि

गलतियों को अगर आप चुपचाप देखकर अनदेखा कर रहे हैं तो इससे बड़ा अपराध कोई नहीं: मुजाहिद आलम

किशनगंज, 23 जनवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, राष्‍ट्रीय आंदोलन के पराक्रमी नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 23 जनवरी 2024 को 127वीं जयंती मनाई गई। इस खास दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। मंगलवार को कोचाधामन के लोकप्रिय पूर्व विधायक सह जदयू जिलाध्यक्ष मुजाहिद आलम ने सुभाष पल्ली स्तिथ नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की 127वीं जयंती समारोह में शिरकत कर पुष्प अर्पित कर श्रधांजलि दिए। उन्होंने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेता जी का जन्‍म साल 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। नेताजी की जिंदगी और देश के लिए उनका त्‍याग आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। पूर्व विधायक ने कहा कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस के प्रेरणादायक विचार आज भी युवाओं को उतना ही प्रेरित करती हैं जितना कि आजादी के आंदोलन के दौरान करती थीं। एक बार उन्‍होंने कहा था कि तुम खुद की ताकत पर अगर भरोसा करो तो हर काम संभव है। जबकि दूसरों से ली गई ताकतें उधार की होती हैं जो घातक साबित हो सकती है। नेता जी सुभाष चंद्र बोस के प्रेरणादायक विचार आज भी युवाओं को उतना ही प्रेरित करती हैं जितना कि आजादी के आंदोलन के दौरान करती थीं। गलतियों को अगर आप चुपचाप देखकर अनदेखा कर रहे हैं तो इससे बड़ा अपराध कोई नहीं। सुभाष चंद्र बोस भी लोगों को यह प्रेरणा देते थे कि याद रखो अगर तुम अन्‍याय सह रहे हो, अपराध देख रहे हो या गलत के साथ समझौता कर रहे हो तो यह सबसे बड़ा अपराध है। नेता जी हमेशा उच्‍च विचारों पर चलना स्‍वीकार करते थे। उन्‍होंने अपने विचारों में भी यह कहा था कि अगर आप उच्‍च विचारों के साथ जीवन जीते हैं तो यह आपकी कमजोरियों को दूर करने का ताकत देती है इसलिए हमें उच्‍च विचारों के साथ जीना चाहिए। पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने कहा कि नेताजी जिस भी काम को पूरा करने की ठान लेते थे, उसे पूरा करने के बाद ही दम लेते थे। यह उनके काम का तरीका था। एक बार उन्‍होंने कहा था कि जिस व्यक्ति के अंदर सनक नहीं होती, वो कभी महान नहीं बन सकता। नेता जी जीवन में संघर्ष को काफी महत्‍व देते थे। उनका मानना था कि संघर्ष इंसान को बेहतर बनने में मदद करता है। एक बार उन्‍होंने कहा था कि संघर्ष ने ही मुझे मनुष्य बनाया और मुझमें आत्मविश्वास पैदा हुआ।

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