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किशनगंज : जिले में कुष्ठ रोगियों की खोज के लिये 10 से 19 अक्टूबर के बीच विशेष अभियान।

सभी प्रखंडों में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कर रही रोगियों को चिह्नित।

  • शरीर पर उभर रहे दाग-धब्बे को न करे नजर अंदाज, हो सकते हैं कुष्ठ के लक्षण।
  • छुआछूत से नहीं, हवा में फैले बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है कुष्ठ।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, स्वस्थ शरीर इंसान की सबसे बड़ी पूंजी है। लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जो हमें शारीरिक रूप से तो हानि पहुंचाती ही हैं, साथ ही मानसिक और सामाजिक रूप से भी आघात पहुंचाती हैं। जिनमें कुष्ठ (लेप्रोसी) भी शामिल है। जिले में कुष्ठ रोग के निवारण के लिए सोमवार 10 से 19 अक्टूबर के बीच लगातार 10 दिनों तक कुष्ठ रोगी खोज अभियान का संचालन किया जायेगा। अभियान के तहत जिले के सभी प्रखंडों में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वैच्छिक महिला व पुरूष कार्यकर्ताओं द्वारा रोगियों की खोज की जायेगी। एसीएमओ डॉ सुरेश प्रशाद ने बताया कि अभियान की सफलता को लेकर सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व अस्पताल उपाधीक्षक को जरूरी दिशा निर्देश दिये गये हैं। अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सभी प्रखंडों के सभी क्षेत्रों में 2 वर्ष से ऊपर के लोगों का शारीरिक परीक्षण किया जायेगा। शरीर पर उभर रहे दाग-धब्बों की जांच की जायेगी। उन्होंने बताया की जिले में वर्तमान में कुल 520 लोग कुष्ठ से पीड़ित हैं, जिनका इलाज जारी है। रविवार को सदर अस्पताल परिसर में डॉ सुरेश प्रशाद ने बताया, कुष्ठ के कारण मरीज के शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं। ये निशान सुन्न होते हैं यानी इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है। अगर आप इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो मरीज को दर्द का अहसास नहीं होगा। ये पैच या धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर होने शुरू हो सकते हैं, जो ठीक से इलाज ना कराने पर पूरे शरीर में भी फैल सकते हैं। सिर्फ चुभन ही नहीं बल्कि लेप्रसी के मरीज को शरीर के विभिन्न अंगों और खासतौर पर हाथ-पैर में ठंडे या गर्म मौसम और वस्तु का अहसास नहीं होता है। प्रभावित अंगों में चोट लगने, जलने या कटने का भी पता नहीं चलता है। जिससे यह बीमारी अधिक भयानक रूप लेने लगती हैं और शरीर को गलाने लगती है।
एसीएमओ सह जिला कुष्ठ विभाग के प्रभारी पदाधिकारी डॉ सुरेश प्रशाद ने कहा, की लोग कुष्ठ को छुआछूत की बीमारी समझते हैं। लेकिन सच्चाई इससे परे है। कुष्ठ एक ऐसी बीमारी है जो हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। हवा में ये बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। इसलिए इसे संक्रामक रोग भी कहते हैं। यानी यह संक्रमण या कहिए कि सांस के जरिए फैलती है। लेकिन यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। अगर आप इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाएंगे या उसे छू लेंगे तो आपको यह बीमारी बिल्कुल नहीं होगी। लेकिन अगर उसके खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में डिवेलप कर लेता है और आप उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेते हैं तो संभावनाएं बन सकती हैं कि आप इस बीमारी से संक्रमित हो जाएं। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुरेश प्रशाद ने बताया की कुष्ठ रोग एक साधारण बीमारी है। कुष्ठ से पीड़ित मरीजों के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क जांच एवं इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाती है। समय से इलाज करके कुष्ठ रोग से बचाव किया जा सकता है। इस बीमारी की समय से पहचान होने पर और 6 से 12 महीने तक लगातार दवा खाने से यह पूर्णत: ठीक हो सकता है। इसमें किसी तरह की लापरवाही का बुरा परिणाम हो सकता है। उन्होंने बताया कि रिएक्शन वाले कुष्ठ में टाइप वन व टाइप-टू तरह के कुष्ठ होते हैं। इसमें टाइप टू खतरनाक माना जाता है। पहले लोग कुष्ठ पीड़ित होने पर अक्सर छुपाते थे जिस वजह से यह बीमारी बढ़ता जा रहा था लेकिन अब लोग जागरूक हो चुके हैं और अब अस्पताल पहुँच कर इलाज करवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुष्ठ से पीड़ित मरीजों को थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए ताकि यह बीमारी अन्य लोगों में न फैले। इसमें इलाज, दवाई, के साथ साथ विशेष तरह का जूता एवं चप्पल प्रदान किया जाता है।

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