किशनगंज : परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधनों के प्रति लोगों को जागरूक करना ही मुख्य उदेश्य: सिविल सर्जन
सदर अस्पताल प्रांगण में परिवार नियोजन मेला का किया गया संचालन, 22 दंपति लाभांवित हुए, जिनमें 12 महिलाओं को अंतरा व तीन को लगायी गयी आईयूसीडी
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किशनगंज, 05 दिसंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, नसंख्या स्थिरीकरण को लेकर जिले में परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत 27 नवंबर से 16 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवारा का आयोजन सभी प्रखंडों में किया जा रहा है। पहले चरण में 27 नवंबर से 03 दिसंबर तक दंपति संपर्क पखवारा व इसके दूसरे चरण में 04 से 16 दिसंबर तक परिवार नियोजन सेवा पखवारा का आयोजन किया जा रहा है। जिले में परिवार मिशन अभियान के तहत किशनगंज सदर अस्पताल प्रांगण में परिवार नियोजन मेला लगाया गया। मेले का उद्घाटन सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने किया। मेले में कई तरह के स्टॉल लगे थे। जहां पर लोगों को परिवार नियोजन को लेकर जागरूक करने से लेकर अस्थायी सामग्री तक का वितरण किया गया। लोगों की काउंसिलिंग भी की जा रही थी। जिसमें लाभुकों के बीच अस्थाई नियोजन के साधनों का वितरण करते हुए उनका लाभ दिया गया। जिसमें कुल 22 दंपति लाभांवित हुए। जिनमें 20 महिलाओं को अंतरा व तीन को इंट्रा यूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी) कॉपर-टी लगायी गयी। वहीं, लोगों के लिए लगाए गए नियोजन बॉक्स की जानकारी दी गई। समुदाय स्तर पर परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता और स्वीकार्यता पर सरकार का पूरा जोर है। साथ ही मिडिया ब्रीफिंग का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर सिविल सर्जन ने बताया कि बढ़ रही जनसंख्या का मुख्य कारण महिलाओं व परिवारों में अशिक्षा व परिवार नियोजन की जानकारी की कमी है। इस समस्या का एक मात्र निदान है जागरूकता। इस लिए इसके व्यापक प्रचार-प्रसार को लेकर विभाग द्वारा पहल की जा रही है। इस मौके पर एसीएमओ डा. सुरेश प्रसाद, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन, जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार, पीरामल स्वास्थ्य के प्रतिनिधि एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन ने बताया, प्रखंड के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में परिवार नियोजन मेला का आयोजन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से योग्य, सक्षम व इच्छुक लाभार्थियों को जागरूक करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि मेले का मुख्य उद्देश्य लाभुकों को परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधानों के उपयोग व उनके लाभ के प्रति लोगों को जागरूक करना है। ताकि, वो इन साधनों का प्रयोग कर जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकें। उन्होंने बताया कि स्थायी व अस्थायी दोनों साधनों के इस्तेमाल से परिवार नियोजन में काफ़ी मदद मिलती है। वहीं, इनका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं होता है। इसीलिए इन साधनों के इस्तेमाल में किसी तरह का कोई संकोच नहीं करना चाहिए। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया, छोटा और खुशहाल परिवार के लिए परिवार नियोजन को अपनाना बेहद जरूरी है। जब आपका परिवार छोटा होगा तभी आपके पूरे परिवार के सपनों को साकार किया जा सकता है। इसके साथ ही आने वाली पीढ़ियों की उचित देखभाल एवं परवरिश भी की जा सकती है। छोटे बच्चों को सामाजिक स्तर पर रहन-सहन के साथ परवरिश की जाएगी। इसीलिए शादी के साथ ही परिवार नियोजन से संबंधित योजनाओं पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पहला बच्चा तीन साल के बाद ही पैदा करें। दूसरे बच्चे के बीच कम से कम तीन वर्षो का अंतर आवश्यक है। इससे जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। सबसे ख़ास बात यह है कि इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफ़ी मजबूत होती है। जिस कारण वह भविष्य में होने वाली कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव एवं सुरक्षित रहने में सक्षम होता है। विश्वजीत कुमार ने बताया कि अस्थायी साधनों के इस्तेमाल से परिवार नियोजन में मदद मिलती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसलिए अस्थायी साधनों के इस्तेमाल में किसी तरह का संकोच नहीं करें। कंडोम, कॉपर-टी, अंतरा का उपयोग कर परिवार नियोजन करें। महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पहला बच्चा 20 साल की उम्र के बाद ही पैदा करें। दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल जरूर रखें। दो बच्चे हो जाने के बाद महिला बंध्याकरण या फिर पुरुष नसबंदी करा सकते हैं। इसे लेकर लगातार कार्यक्रम चलते रहते हैं। कार्यक्रम के तहत सरकारी स्तर पर लोगों को तमाम सुविधाएं दी जाती हैं।