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राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस: जागरूकता ही फाइलेरिया बीमारी से बचाव का मुख्य उपाय

सर्वजन दवा सेवन अभियान को चलाया जा रहा जागरूकता कार्यक्रम, फाइलेरिया उन्मूलन को राज्य में पहली बार प्रखंड स्तर पर चलाया जा रहा है नाइट ब्लड सर्वे अभियान।

ऐसे बचे फाइलेरिया के मच्छरों से

  • घर के अंदर एवं बाहर गंदगी नहीं होने दें।
  • मच्छरों से बचने के लिए शरीर के खुले अंगों पर मच्छर रोधी क्रीम का इस्तेमाल करें।
  • मच्छरों से बचने के लिए शरीर पर फुल स्लीव के कपड़े का इस्तेमाल करें।
  • रात या दिन में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

पटना/धर्मेन्द्र सिंह, राज्य में 11 नवम्बर को राष्ट्रीय फाईलेरिया दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों के उपचार व बचाव संबंधी जानकारी दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग राज्य से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए कृतसंकल्पित है। इस मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग इस वर्ष पहली बार राज्य के 23 जिलों में प्रखंड स्तर पर नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जा रहा है। इस संबंध में फाइलेरिया विभाग के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी सह अपर निदेशक डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने बताया कि फिलहाल राज्य के 23 जिलों में प्रखंड स्तर पर पहली बार नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जा रहा। जिसका मुख्य उद्धेश्य इन जिलों के प्रखंडों में माइक्रो फाइलेरिया दर का पता लगाया जाना है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी 23 जिलों के कर्मी काफी तन्मयता के साथ लगे है।

ऐसे फैलता है फाइलेरिया बीमारी

फाइलेरिया बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह बीमारी शरीर के कई अंगों में हो सकता है। जिसमें हाथीपांव एवं अंडकोष का सूजन या हाइड्रोसील के मामले ज्यादातर पाए जाते हैं। इसके अलावा महिलाओं के स्तन और जननांग में भी फाइलेरिया हो सकता है। हाथीपांव फाइलेरिया का एक गंभीर स्वरुप है। इसमें व्यक्ति का पैर सामान्य से अधिक फूल जाता है जिससे व्यक्ति को चलने-फिरने एवं अन्य दैनिक कार्य करने में दिक्कत हो सकती है। हाथीपांव के शुरूआती चरणों में इसका कुछ प्रभावी ईलाज संभव हो सकता है। लेकिन यदि शुरूआती लक्षणों को अनदेखा किया गया तो यह रोग लाइलाज हो जाता है। वहीं हाइड्रोसील सर्जरी के माध्यम से पूर्णता ठीक हो सकता है। फाइलेरिया के लक्षण सामने आने में में 5 से 15 वर्ष तक का समय लग सकता है। इसलिए इसके उपचार से इसकी रोकथाम अधिक जरुरी है।

कैसे पाया जा सकता है फाइलेरिया पर काबू।

फाइलेरिया से बचाव के लिए साल में एक बार एमडीए यानी सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इस दौरान घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जाती है। फाइलेरिया से बचाव का यह एक सशक्त माध्यम है। यदि कोई व्यक्ति साल में एक बार एमडीए के दौरान दवा खाता है एवं इसे पाँच साल तक खाता है तो वह फाइलेरिया से बच सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए दिसम्बर के दूसरे सप्ताह से राज्य के 23 जिलों में एमडीए राउंड चलाया जाएगा। जिसमें 16 जिलों में जैसे बांका, भागलपुर, जमुई, पूर्वी एवं पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, कटिहार, सहरसा, सुपौल, गया, जहानाबाद, गोपालगंज, कैमूर, खगड़िया, मुंगेर एवं सीवान जिलों में दो तरह की दवाएं लोगों को खिलाई जाएगी। वहीं राज्य के 7 जिलों यानी शिवहर, शेखपुरा, औरंगाबाद, मुज्जफरपुर, सारण, बेगुसराय एवं अरवल में आईडीए-एमडीए राउंड चलेगा। जिसमें दो दवाओं के अतिरिक्त एक और दवा भी खिलाई जाएगी। इसे ट्रिपल ड्रग थेरेपी का नाम दिया गया है।

फाइलेरिया की रोकथाम में नाइट ब्लड सर्वे की भूमिका अहम।

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए नाइट ब्लड सर्वे की भूमिका काफी अहम है। इसके द्वारा माइक्रो फाइलेरिया दर का पता लगाया जाता है। जिन क्षेत्रों में माइक्रो फ़ाइलेरिया दर एक से कम होता है। वहां सामूहिक दवा सेवन यानी एमडीए की जरूरत नहीं होती है। फाइलेरिया उन्मूलन में यह सबसे महत्वपूर्ण सूचकांक है। नाईट ब्लड सर्वे रात्रि के 8.30 से 12 के बीच में ही किया जा रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि फाइलेरिया के परजीवी दिन के समय शरीर के लिम्फेटिक सिस्टम में छिपे होते एवं रात के ही वक़्त परजीवी रक्त परिसंचरण में आते है। इसलिए नाईट ब्लड सर्वे रात में ही किया जाता है।

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