ताजा खबरप्रमुख खबरेंब्रेकिंग न्यूज़राज्य

पुलिस कप्तान कुमार आशीष के पहल के कारण सूबे का पहला अनुसंधान कक्ष किशनगंज में खोला गया:-डीआईजी राजेश त्रिपाठी

बिहार में पहली बार बिहार के किसी थाने में डेडिकेटेड इन्वेस्टीगेशन रूम का निर्माण किया गया।आदरणीय पुलिस महानिदेशक श्री गुप्तेश्वर पांडे एवं अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक श्री विनय कुमार से मिले दिशा-निर्देशों के आलोक में किशनगंज पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष का ये अनूठा प्रयास बेहतर अनुसंधान तथा त्वरित न्याय दिलाने के साथ-साथ क्राइम कंट्रोल की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा..किशनगंज/धर्मेंद्र सिंह बेहतर पुलिसिंग व न्यू विजन के साथ पुलिस कर्मियों को ट्रेंड करने के लिए सूबे का पहला अनुसंधान कक्ष किशनगंज सदर थाना में खोला गया।मंगलवार को पूर्णिया डीआईजी राजेश त्रिपाठी ने फीता काटकर इसका उदघाटन किया।माैके पर डीएम हिमांशु शर्मा व एसपी कुमार आशीष, डीडीसी यशपाल मीणा, एसडीपीओ डॉ. अखिलेश कुमार, डीएसपी अजय कुमार झा मौजूद थे।उदघाटन के बाद मौके पर पहुंचे वरीय पदाधिकारियों को डीएसपी हेडक्वाटर ने विस्तार पूर्वक इस कक्ष का विवरण दिया।डीआईजी राजेश त्रिपाठी ने कहा कि पुलिस कप्तान कुमार आशीष के पहल के कारण सूबे का पहला अनुसंधान कक्ष किशनगंज में खोला गया है।अनुसंधान कार्यों में गुणवत्ता एवं तीव्रता लाने के लिए पुलिस मुख्यालय के द्वारा हाल के दिनों में ही अनुसंधान व विधि व्यवस्था को अलग करने का निर्देश मिला था।सदर थाना में पहला आधुनिक अनुसंधान कक्ष तैयार किया गया है।जो सभी प्रकार के सुविधाओं से लैस है।इस कक्ष में अनुसंधानकर्ता के लिए अलग से बैठने की व्यवस्था की गई है, जिसमें एक साथ 12 पुलिसकर्मी काम कर सकते हैं।कक्ष में अनुसंधान किट, ब्रेथ एनालाइजर मशीन, लिफ्टिंग एवं पैकेट मैटेरियल्स, साइबर क्राइम कॉर्नर, पढ़ने के लिए कानून की किताबें सहित अनुसधान की विधियों का अद्यन जानकारी के लिए एलईडी टीवी व प्रोजेक्टर लगाया गया है।एसपी कुमार आशीष ने कहा कि शीघ्र ही अनुसंधानकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करते हुए पॉवर प्वाॅइंट प्रेजेंटेशन विधि के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान के गुर सिखाए जाएंगे तथा उन्हें अनुसंधान की विधियों के प्रशिक्षण के लिए छोटे-छोटे समूहों में विधि विज्ञान प्रयोगशाला पटना भेजा जाएगा।एसपी ने कहा कि इसके अतिरिक्त उन्हें बारी-बारी से लोक अभियोजक तथा न्यायिक दंडाधिकारी के द्वारा भी आमंत्रण कक्ष आयोजित कर प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा।माैके पर अपराधिक घटानाओं के डाटाबेस के रूप में छह महीने के अखबाराें के कतरन भी वरीय पदाधिकारियों को दिखाया गया।अंतरजिला, सीमावर्ती राज्य व देश की घटानाओं से संबंधित है एक एक गार्ड फ़ाइल भी तैयार किया गया है।डीआईजी ने कहा कि जिले के सभी अनुसधानकर्ताओं को बारी-बारी से टीम बनाकर वैज्ञानिक अनुसंधान के तौर तरीके व प्रशिक्षण दिया जाएगा।उन्होंने घटना के बाद घटना स्थल का संरक्षण कर प्रारंभिक अनुसंधान एवं प्रदर्शो का संकलन एवं पैकिंग किया जाना है तथा किस प्रकार अच्छी दैनिकी तैयार करनी है की विस्तार से जानकारी दी।डीएम हिमांशु शर्मा ने कहा प्रत्येक महीने का अलग अलग डाटा बनाएं, ताकि किसी बड़ी घटाना ढूंढने में परेशानी न हो।जिला स्तर पर एक वैज्ञानिक अनुसंधान की टीम तैयार की जाय, जाे घटना स्थल पर पहुंचकर वैज्ञानिक साक्ष्य संकलन करने में मदद कर सके।बिहार में पहली बार बिहार के किसी थाने में डेडिकेटेड इन्वेस्टीगेशन रूम का निर्माण किया गया।माैके पर सदर थानाध्यक्ष मनीष कुमार, विधि व्यवस्था प्राभारी नीरज कुमार निराला, अनुसंधान प्राभारी उमेश सिंह, सुनील दफ्तरी, प्रमोद बैद, मनीष जलान, मिक्की साह आदि मौजूद थे। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button