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किशनगंज : एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम से एनीमिया के ख़िलाफ मुहिम में मिलेगी गति।

अभियान के जागरूकता के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

  • 6 आयु वर्ग के लोगों को एनीमिया से मुक्ति के लिए किया गया लक्षित।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, एनीमिया एक गंभीर लोक स्वास्थ्य समस्या है। इससे जहाँ शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होता है। वहीँ किशोरियों एवं माताओं में कार्य करने की क्षमता में भी कमी आ जाती है। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए एनीमिया मुक्त भारत’ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इस कार्यक्रम के तहत जिले के सदर अस्पताल में कोचाधामन एवं दिघलबैंक प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ, बीएचएम, बीसीएम, एलएस, बीआरपी एवं लेखापाल को एक दिवसीय प्रशिक्षण शनिवार को दिया गया जिसमे सभी को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार के द्वारा एनीमिया मुक्त भारत अभियान के बारे में विस्तार से बताया गया। उन्होंने बताया कि 6 विभिन्न आयु वर्ग के समूहों को चिह्नित कर उन्हें एनीमिया से मुक्त करने की पहल की गयी है। 6 से 59 महीने के बालक और बालिकाएं, 5 से 9 साल के लड़के और लड़कियाँ, 10 से 19 साल के किशोर और किशोरियां, 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएँ (जो गर्भवती या धात्री न हो) गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत सभी 6 आयु वर्ग के लोगों में एनीमिया रोकथाम की कोशिश की जा रही है। जिसमें 6 से 59 महीने के बालक और बालिकाओं को हफ्ते में दो बार आईएफए की एक मिलीलीटर सिरप आशा द्वारा माताओं को निःशुल्क दी जाती है। 5 से 9 साल के लड़के और लड़कियों को हर सप्ताह आईएफए की एक गुलाबी गोली दी जाती है। यह दवा प्राथमिक विद्यालय में प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न के बाद शिक्षकों के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है। साथ ही 5 से 9 साल तक के वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते हैं, उन्हें आशा गृह भ्रमण के दौरान उनके घर पर आईएफए की गुलाबी गोली देती हैं। 10 से 19 साल के किशोर और किशोरियों को हर हफ्ते आईएफए की एक नीली गोली दी जाती है। जिसे विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रत्येक बुधवार को भोजन के बाद शिक्षकों एवं आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से निःशुल्क प्रदान की जाती है। 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को आईएफए की एक लाल गोली हर हफ्ते आरोग्य स्थल पर आशा के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है। वहीं गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से प्रतिदिन खाने के लिए आईएफए की 180 गोलियाँ दी जाती है। यह दवा उन्हें ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस के दिन प्रदान की जाती है। साथ ही धात्री माताओं के लिए भी प्रसव के बाद आईएफए की 180 गोली दी जाती है, जिसे उन्हें प्रतिदिन खाने की सलाह दी जाती है। इस दवा का भी वितरण ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस के दिन निःशुल्क ही होता है।डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत 6 माह से 59 माह तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए (आयरन फोलिक एसिड) सिरप देने का प्रावधान किया गया है। एक ख़ुराक में 1 मिलीलीटर यानी 8-10 बूंद होती है। सभी आशा को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सिरप की 50 मिलीलीटर की बोतलें आवश्यक मात्रा में दी जाती है। प्रथम दो सप्ताह में आशा स्वयं बच्चों को दवा पिलाकर माँ को सिखाने का प्रयास करती एवं अनुपालन कार्ड भरना सिखाती हैं। दो सप्ताह के बाद का ख़ुराक माँ द्वारा स्वयं पिलाने तथा अनुपालन कार्ड में निशान लगाने के विषय में इस कार्यक्रम के दिशा-निर्देश में विशेष बल दिया गया है।

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