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किशनगंज : डायरिया के लक्षण नजर आने पर तत्काल करें चिकित्सक से संपर्क: सिविल सर्जन

निर्जलीकरण की स्थिति होती है शिशु के लिए घातक, ओ.आर.एस. के सेवन से करें प्राथमिक प्रबंधन।

किशनगंज, 29 अप्रैल (हि.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले में बदलते मौसम में डायरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अस्पतालों में डायरिया, वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि डायरिया के कारण बच्चों और वयस्कों में अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती हैं। कुशल प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो सकता है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से बचा जा सकता है। नवजात बच्चों में डायरिया के लक्षण दिखते ही उसके घरवालों को सजग हो जाना चाहिए। प्राथमिक उपचार के रूप में ओ.आर.एस. का घोल दिया जा सकता है जिससे निर्जलीकरण की स्थिति से बचा जा सके। अगर बच्चे को इससे राहत न मिले तो बिना विलम्ब किये तुरंत मरीज को चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि नवजात एवं छोटे बच्चों में डायरिया के लक्षण यदि ओ.आर.एस. के सेवन के बाद भी रहे तो अविलम्ब मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएँ तथा उचित उपचार कराएँ। उन्होंने बताया नीम हकीम द्वारा बताये गए उपायों से बचना चाहिए तथा चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। इसमें विलम्ब जानलेवा साबित हो सकता है। जिले में डायरिया से होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में एक उपचार में की गयी देरी भी होती है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि मुख्यतः डायरिया तीन प्रकार के होते हैं। पहला एक्यूट वाटरी डायरिया-जिसमें दस्त काफ़ी पतला होता एवं यह कुछ घंटों या कुछ दिनों तक ही होता है। इससे निर्जलीकरण एवं अचानक वजन में गिरावट होने का ख़तरा बढ़ जाता है। दूसरा एक्यूट ब्लडी डायरिया, जिसे शूल के नाम से भी जाना जाता है। इससे आंत में संक्रमण एवं कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है। तीसरा परसिस्टेंट डायरिया जो 14 दिन या इससे अधिक समय तक रहता है। इसके कारण बच्चों में कुपोषण एवं गैर-आंत के संक्रमण फ़ैलने की संभावना बढ़ जाती है। चौथा अति कुपोषित बच्चों में होने वाला डायरिया होता है जो गंभीर डायरिया की श्रेणी में आता है। इससे व्यवस्थित संक्रमण, निर्जलीकरण, ह्रदय संबंधित समस्या, विटामिन एवं जरूरी खनिज लवण की कमी हो जाती है। डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख आसानी से इसकी पहचान की जा सकती है। लगातार पतले दस्त का होना। बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना। प्यास का बढ़ जाना। भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना। दस्त के साथ हल्के बुखार का आना। दस्त में खून आना जैसे लक्षणों के आधार पर डायरिया की पहचान आसानी से की जा सकती है।

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