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खेलो इंडिया यूथ गेम्स ने हमेशा ‘इंटरनेशनल फील’ दिया है : अस्मिता जुडोका स्टेंजिन देचेन

त्रिलोकी नाथ प्रसाद कारगिल के जांसकार के पिबिटिंग गांव से ताल्लुक रखने वाली 17 साल की होनहार जुडोका स्टेंजिन देचेन ने -63 कटेगरी के फाइनल में दिल्ली के लिए खेलते हुए मणिपुर की अथोइबी यांगलेम को मात्र 26 सेकेंड में धराशायी कर खेलो इंडिया यूथ गेम्स में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक अपने नाम किया। देश के लिए 2032 ओलंपिक में पदक जीतने का सपना रखने वाली खेलो इंडिया अस्मिता एथलीट स्टेंजिन का मानना है कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स अब एक ‘इंटरनेशनल फील’ वाला प्रीमियर इवेंट बन चुका है।

खेलो इंडिया अस्मिता एथलीट स्टेंजिन ने इससे पहले इसी कटेगरी में तमिलनाडु में आयोजित छठे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीता था। अहमदाबाद के विजय भारत अकादमी में अभ्यास करने वाली स्टेंजिन के पिता स्टेंजिन सोनम एसएसबी में कार्यरत हैं और सिक्किम में पोस्टेड हैं। स्टेंजिन अपनी मां पाकसांग डोल्मा के साथ दिल्ली में रहती हैं।

बीते साल पेरू में आयोजित विश्व कैडेट चैंपियनशिप में खेल चुकीं स्टेंजिन ने साई मीडिया से कहा,” इस इवेंट में बच्चों को शीर्ष टॉप लेबल कम्टीशन मिलता है। इसके आने से पहले सिर्फ नेशनल्स का आयोजन होता था लेकिन इस आयोजन ने खिलाड़ियों ने न सिर्फ अपने आप को साबित करने का एक प्लेटफार्म दिया बल्कि उन्हें इंटरनेशनल इवेंट्स के माहौल को फील कराया। साथ ही साथ इससे मिलने वाला स्कालरशिप हमारे जैसे खिलाड़ियों के लिए बहुत मददगार है।”

स्टेंजिन चार बार खेलो इंडिया अस्मिता आयोजनों में हिस्सा ले चुकी है। 2022 से 2024 के बीच कैडेट कैटेगरी में हर बार स्वर्ण पदक जीतने वाली स्टैंज़िन मानती हैं की इन खेलो ने खिलाड़ियों को ना सिर्फ़ आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है बल्कि अच्छा प्रतिस्पर्धी माहौल भी दिया है।

ASMITA (महिलाओं को प्रेरित करके खेल की उपलब्धियाँ हासिल करना) लीग और प्रतियोगिता के माध्यम से महिलाओं के बीच खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलो इंडिया के लिंग-तटस्थ मिशन का हिस्सा है। इस प्रकार, भारतीय खेल प्राधिकरण राष्ट्रीय खेल महासंघों को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर कई आयु समूहों में खेलो इंडिया महिला लीग आयोजित करने में सहायता करता है। 2021 में शुरू की गई ASMITA लीग का उद्देश्य न केवल खेलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है, बल्कि पूरे भारत में नई प्रतिभाओं की पहचान के लिए एक मंच के रूप में लीग का उपयोग करना है।

बहरहाल, गोवा में 2023 में आयोजित नेशनल गेम्स में कांस्य पदक जीतने वाली स्टेंजिन ने आगे कहा, “इंफ्रास्टक्चर के आधार पर खेलो इंडिया बहुत अच्छा फील कराता है। मुझे पटना में खेलते हुए एक बार भी महसूस नहीं हुआ कि मैं एक घरेलू इवेंट में खेल रही हूं, बल्कि ऐसा लग रहा था कि मैं किसी इंटरनेशनल इवेंट मे खेल रही हूं। हर युवा को इसमें खेलना चाहिए क्योंकि एक खिलाड़ी के तौर पर उनके विकास में यह मील का पत्थर हो सकता है।”

अहमदाबाद के विजय भारत अकादमी में कोच लाल कृष्ण बघेल की देखरेख में प्रैक्टिस करने वाली स्टेंजिन ने जूडो का पहला पाठ दिल्ली के मुनिरका स्थित बाबा गंगनाथ अकादमी में समंदर टोकस और दुष्यंत टोकस जैसे माहिर कोचों से सीखा। इस अकादमी ने देश को कई बड़े खिलाड़ी दिए हैं। अगर खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 क बात करें तो दिल्ली की टीम में शामिल 20 जूडो खिलाड़ियों में से 8 इसी अकाकमी से हैं और इन्हीं में से एक दीक्षा टोकस ने सोमवार को दिल्ली के लिए दूसरा स्वर्ण पदक जीता।

साल 2032 ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतने का सपना रखने वाली स्टेंजिन ने बताया कि 2016 में वह पहली बार बाबा गंगनाथ अकादमी पहुंचीं। स्टेंजिन ने कहा, “मैं अपनी मां के साथ मुनिरका में ही रहती हूं। शुरुआत में मैं ताएक्वांडो खेलती थी लेकिन एक दिन मेरी मां ने मंदिर में कुछ बच्चों को जूडो खेलते देखा और फिर उन्होंने मुझे इस खेल में आने के लिए कहा। इसके बाद मैं इस खेल में पूरी तरह रम गई और अपने सपनों को पूरा करना चाहती हूं।”

 

स्टेंजिन कहती हैं कि 2017 में उन्होंने सब जूनियर नेशनल्स में ओपन कटेगरी में हिस्सा लिया और कांस्य पदक जीता और फिर इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्टेंजिन ने कहा,” मेरे नाम सभी खेलो इंडिया वीमेंस लीग में स्वर्ण पदक है। मैंने 2021 कैडेट नेशनल (चंडीगढ़) में स्वर्ण जीता और फिर सीनियर नेशनल 2023 (लखनऊ) में रजत पदक जीता था।”

स्टेंजिन के बचपन के कोच समंदर टोकस मानते हैं की महज 15 साल की उम्र में सीनियर नेशनल में रजत जीतकर स्टेंजिन ने साबित कर दिया था की वह भारत के लिए बड़े काम कर सकती है। समंदर ने साई मीडिया से कहा,” वह बड़े काम कर सकती है। ऐसे खिलाड़ियों को संभाल के रखा जाना चाहिए। स्टेंजिन में जबरदस्त प्रतिभा और कुछ कर गुजरने की ललक है। वह ओलंपिक मेडल के लिए बनी है।”

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