किशनगंज : सुरक्षित गर्भपात को लेकर जीविका दीदी का किया गया उन्मुखीकरण

शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं प्रशिक्षित चिकित्सकों से ही कराएं गर्भपात।
- सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, मातृत्व और शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत चिकित्सकीय व्यवस्था को बेहतर करने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों की महिला एवं जीविका दीदी को सुरक्षित गर्भपात सेवा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस क्रम में जिले के पोठिया प्रखंड के पीपला चौक में जीविका दीदी को सुरक्षित गर्भपात की जानकारी साँझा प्रयास नेटवर्क के द्वारा दिया गया है। सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध माना गया है। हालांकि इस बात की जानकारी आज भी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। जिस कारण क्षेत्रों की महिलायें नीम-हकीम या झोलाछाप चिकित्सकों के चक्कर में आकर अपनी जान तक गंवा देती हैं। संशोधित एमटीपी एक्ट के तहत 9 माह तक के अंदर गर्भवती महिलाएं क़भी भी अनचाहे गर्भ या जटिल समस्या आने पर सुरक्षित गर्भपात करा सकती हैं। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि वर्ष 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। इस कारण महिलाओं को गर्भ समापन के लिए बहुत ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। घरेलू उपायों से गर्भ समापन के दौरान महिलाओं की मृत्यु तक हो जाती थी। इसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बनाया गया। इसके बाद से ही सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू की गई। हालांकि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया है। लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा था। इसलिए एमटीपी एक्ट में फिर से संशोधन किया गया। संशोधन में विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए गर्भपात की ऊपरी सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर अब 24 सप्ताह कर दिया गया है। महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मिन ने कहा कि 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना कानूनी रूप से वैध माना जाता है। हालांकि सरकार या किसी अस्पताल द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही प्रशिक्षित चिकित्सकों की मौजूदगी में सुरक्षित गर्भपात कराया जाना चाहिए। यह चिंता का विषय है कि प्रशिक्षित चिकित्सक एवं नर्स की उपलब्धता होने के बावजूद महिलाएं शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले अप्रशिक्षित चिकित्सकों के चंगुल में पड़कर अपनी जान गंवा रही हैं। इसी क्रम में साझा प्रयास नेटवर्क के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में महिला को जागरूक किया जा रहा है। इसमें सुरक्षित गर्भपात के तमाम तकनीकी पहलुओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी देने के बाद व्यवहारिक रूप से प्रसव कक्ष में महिला का सुरक्षित गर्भपात कराया जा रहा है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी जबकि 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी पंजीकृत स्वास्थ्य सेवकों की सहमति होनी चाहिए। इसके साथ ही इस पूरी प्रक्रिया को गोपनीय बनाए रखा जाना अतिआवश्यक है।