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जदयू प्रवक्ता नवल शर्मा ने कहा कि श्रीकृष्ण सिंह के बाद कांग्रेस और 1990 के बाद लालू राबड़ी सरकार की नीतियों ने बिहार के आर्थिक विकास को रसातल में पहुंचा दिया।

मुकेश कुमार/ नब्बे के दशक में जब देश के अधिकांश राज्य आर्थिक उदारीकरण से उत्पन्न नए आर्थिक अवसरों को हाथों हाथ लपक रहे थे वहीं बिहार लालू यादव की जातिवादी राजनीति के पिंजरे में कैद था। उस वक्त अगर नीतीश कुमार जैसा कोई दूरदर्शी और राज्य के हितों के प्रति सजग मुख्यमंत्री होता तो शायद बिहार के विकास की कहानी कुछ और होती। लेकिन लालू यादव ने वोट की राजनीति के चक्कर में नक्सलवाद, जातीय नरसंहार और सांप्रदायिक दंगों की आग में बिहार को झोंक दिया। विकास के सवाल पर लालू जी बोलते थे कि वोट विकास से नहीं बल्कि जातीय समीकरण से मिलता है और सड़क की मांग को लेकर कहते थे कि पक्की सड़क से गरीबों के पांव में छाले पड़ जाएंगे। ऐसे अदूरदर्शी और सत्तापरस्त नेतृत्व का खामियाजा बिहार आज तक भुगत रहा। लेकिन नीतीश कुमार ने अपनी कर्मठता से पिछड़े बिहार को फिर से दौड़ा दिया।

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