जमुई की आरती हुई दहेज दानवों का शिकार, जलाकर मार दिया गया चार बहनों और दो भाईयों में सबसे छोटी बेटी को..

जमुई/अजय कुमार, बेटी लक्ष्मी का रूप होती है।कोई इतना दरिंदा हो जाएगा ये कौन जान सकता है।जमुई जिले के सिकन्दरा थाना क्षेत्र धनवे गांव के रहने वाले अशोक कुमार पांडे तथा उनकी पत्नी ने जब अपनी चार पुत्री और दो पुत्रें में से सबसे छोटी बेटी आरती का हाथ नालन्दा जिले के नागरनौसा थाना क्षेत्र के भोभी ग्राम वासी अवधेश पांडेय के पुत्र सोहन लाल पांडेय के हाथों में दो वर्ष पूर्व बाबा धनेश्वर नाथ को साक्षी मान कर सौंपा था तो पूरा गांव अपने लाडली के विदाई के लिए रोया था।पूरा गांव एक बस में आये भोभी ग्राम के बारातियों का स्वागत किया था।वेदव्यास और मारकंडेय जैसे नाम वाले ब्राम्हण नामों वाले बड़े भाई अपने बहन के डोली उठाते हुए रक्षा का वचन दिया था।आज गांव की लाडली बिटिया की अर्थी उसी के दहेज दानव रूपी ससुराल वालों ने पेट्रोल छिड़क कर हत्या कर निकाल दिया।गौरतलव है कि अशोक कुमार पांडे अपने बेटी की शादी में औकात से ज्यादा दान-दहेज देकर राजी-खुशी से दिनांक 25 जून 2018 कसे विदा किया था जिसका साक्षी बाबा महादेव के साथ-साथ हजारों ग्रामिण बने थे।शादी के बाद से ही आरती के ससुराल वाले एक लाख रूपये के साथ-साथ एक मोटर साईकिल और चैन की मांग करते रहे।शादी के बाद मात्र एक बार ही आरती अपने मायके आयी थी वो भी छः महीने बाद।इस दरम्यान कई बार ससुराल और मायके पक्ष वालों के बीच समझौता भी हुआ था।समझौता के बाद आरती अपने मायके आयी थी। करीब छः महिना अपने मायके में रहने के बाद लोक-लाज और समाज के भय से दमाद और सास-ससुर के कहने पर फिर से ससुराल भोभी पहुॅंचा दिया गया।पहुंचाने के बाद बड़ा भाई वेदव्यास कुछ दिनों तक अपने बहन के ससुराल में भी रहा और सब कुछ सुधार होने के बाद वापस अपने घर चले आया।घर आने के बाद भी हमेशा आरती के ससुराल वाले आरती को दहेज के लिए प्रताडि़त करते रहे पर आरती के माता-पिता यह सोंच कर कि जब मेरी बच्ची मां बन जाएगी तो सबकुछ अपने आप ठीक हो जाएगा।आरती के माता-पिता-भाई-बहन और बहनोई ने तो अपना-अपना फर्ज पूरे सिद्दत से निभाया पर जिस दरिंदे के हाथों में आरती को यह कह कर सौंपा था कि सात जन्मों तक तुम्हारा साथ निभाएगें उसने आरती को जला कर मार दिया।आखिर कब तक मरती रहेगी बेटियां ? आखिर कब तक दहेज दानवों को सरकार जिंदा रखेगी ? बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा देकर बेटियों का मनोबल तो उंचा जरूर कर रही है सरकारें जिस पर दहेज दानवों ने पानी फेर कर रख दिया है।पटना के पीएमसीएच के बेड संख्यां 12 से आरती ने 23 अप्रैल की रात पीरबहोर थाना के समक्ष जो बयान दिया वह हर किसी की रोंगटे खड़ी कर देगा।पीरबहोर थाना कांड संख्या-711/20 जिसे अब नगरनौसा थाना को हस्तांतरित कर दिया गया है में 23 वर्षीय आरती देवी बताती है कि जून 2018 में 3 लाख रू0 उपहार स्वरूप देकर मेरी शादी सोहनलाल पांडे से की गयी थी।इसके बाद से ही एक लाख रू० समेत मोटरसाईकिल और चैन की मांग दहेज के रूप में कर मुझे प्रताडि़त किया जा रहा था। मुझे गाली-गलौज किया जाता था।दिन-दिन भर भूखे रखा जाता था।इस काम में पति सोहन लाल का साथ सास विभा देवी, ससुर अवधेश पांडे, भैंसुर श्यामलाल और रामलाल तथा गोतनी मिशु देवी देते थे।मेरा मोबाईल छिन लिया गया।नैहर जाने नहीं दिया जाता था। मायके वाले आते थे तो उनसे मिलने नहीं दिया जाता था।पति बेल्ट से तथा ससुर बेंत से मारा करते थे।21 अप्रैल की रात्री 11 बजे जब मैंने अपने पति से 1 लाख रूपया देने से साफ-साफ इंकार कर दिया तो वे आवेश में अपने परिवार के अन्य सदस्यों को बुला लिया। मेरे भैंसुर रामलाल और श्यामलाल ने हाथ पकड़ा और मेरा पति सोहनलाल ने प्लास्टिक के बोतल से पेट्रोल निकाल कर मेरे उपर डाला तथा पैकेट से माचिस निकाल कर आग लगा दिया।मैं पूरी तरह से जल गई और वहीं गिर गई।पति समेत सभी सदस्य कमरे से बाहर चले गये। मेरे रोने-चिल्लाने की आवाज पर मुहल्ले वाले आये तो मुझे यह धमकी दिया गया कि किसी को बताई तो इलाज कराने नहीं ले जाएगें।फिर मुझे नागरनौसा सदर अस्पताल ले जाया गया जहॉं से पीएमसीएच रेफर कर दिया गया।23 अप्रेल को पीरबहोर थाना में यह मामला दर्ज किया गया।फिर उसे नागरनौसा थाना को ट्रांसफर कर दिया गया।आरती करीब 80 प्रतिशत जल चुकी थी।24 अप्रेल को आरती की मृत्यु हो गई।25 अप्रेल को पोस्टमार्डम किया गया।अभी तक किसी की गिरप्तारी की सूचना नहीं है।नागरनौसा थानाघ्यक्ष नीलकमल की माने तो छापेमारी की जा रही है।अभियुक्त फरार हो गये हैं।बहुत जल्द गिरप्तारी कर ली जाएगी।आरती केे पिता अशोक कुमार पांडे की माने तो शादी के बाद से ही दहेज के लिए आरती को प्रताडि़त किया जा रहा था।कई बार हम अपने दमाद को लेकर लड़का पक्ष से आरजू-मिन्नत तक कर चुके हैं।समझौता के बाद हम जब निश्चिंत हो गये तो इस तरह की घटना के बाद हमें बरबाद कर दिया गया है।मेरी आरती के शादी हुए दो वर्ष होने को है और आज तक मात्र एक बार ही मायके आई है। दमाद ऐसा मिला कि जैसा किसी को नहीं मिले।पर-पंचेती के बाद दुबारा हमारा लड़का आरती को ससुराल पहुॅंचाया था तथा अपने भी कई दिनों तक वहॉं रह कर तसल्ली हो गया था कि अब सबकुछ ठीक हो जाएगा।पर लड़का और उसके पिता का दिल और कठोर हो गया।दुर्गा पूजा के समय हम आरती को पहुॅंचाए थे।हमारे पास कई मोबाईल रिकाडिंग है कि कितना आरती को प्रताडि़त किया जाता था।21 अप्रैल को आरती को जलाया गया।लॉकडाउन होने के वावजूद हमें 23 अप्रैल को जीविका दीदी के माघ्यम से जानकारी मिलती है कि आरती को ससुराल वालों द्वारा जला दिया गया।यह सारी सूचना जीविका दीदी के भाया-मीडिया से ही प्राप्त हुई।फिर लॉकडाउन होने के कारण अनुमंडलाधिकारी जमुई से पास बनाकर 23 को ही हम तीन लोग पीएमसीएच पहुॅंचे।फिर आरती के ससुर और दमाद आवेश में आ गये।हमलोग पीरबहोर थाना को सूचना दिया और मामला दर्ज कराया गया।हम तो बरबाद हो गये हमें अब इंसाफ चाहिए।आखिर कब तक दहेज के लिए अर्थियां उठती रहेगी ? क्या कोई बाप अपने पुत्री का लालन-पालन, पढ़ाई-लिखाई और अपने हर अरमान को ताक पर रखकर दहेजदानवों के हाथों मारने के लिए पालता है ? बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का सरकार का नारा कब साकार होगा? क्या दहेज दानवों को उसका किये का जबाव नालंदा जिला प्रशासन दिला सकेगी ? क्या ब्राम्हण जाति को कलंकित नहीं किया है दहेज दानवों ने ? आखिर कब तक इन सवालों का जबाव तलाशा जाता रहेगा ?