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किशनगंज : सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने को प्रशिक्षण का आयोजन, प्रसव के दौरान बुनियादी देखभाल के साथ सकारात्मक माहौल का होना जरूरी।

सदर अस्पताल प्रांगण में प्रसव कक्ष में सेवारत चिकित्सक, नर्स व अन्य सहयोगियों को दिया गया प्रशिक्षण।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना विभागीय प्रमुखता में शामिल है। इसे लेकर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। सुरक्षित प्रसव के लिये चिकित्सा संस्थानों को सुविधाजनक बनाया जा रहा है। वहीं चिकित्सा संस्थानों में बेहतर माहौल के निर्माण को लेकर भी जरूरी कोशिशें हो रही हैं। ताकि सुरक्षित प्रसव के लिये सरकारी चिकित्सा संस्थानों को ज्यादा विश्वसनीय बनाया जा सके। इसी कड़ी में गुरुवार को सदर अस्पताल सभागार में सम्मानपूर्ण मातृत्व देखभाल विषयक एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य विभाग, सहयोगी संस्था केयर इंडिया व प्रोंटो इंटरनेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रसव कक्ष में कार्यरत चिकित्सक, नर्स व अन्य सहयोगी कर्मियों ने भाग लिया। मौके पर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा, अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम, केयर इंडिया की डीटीएल प्रशनजीत प्रामाणिक, सदर अस्पताल में कार्यरत जीएनएम, एएनएम, एम्बुलेंस ड्राइवर, सहित अन्य मौजूद थे। प्रशिक्षण के उद्देश्य से संबंधित जानकारी देते हुए प्रोन्टो इंटरनेशनल की मंजू सीजू ने बताया कि मातृत्व-शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से सुरक्षित प्रसव जरूरी है। इसके लिये स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव संबंधी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की सुरक्षा महत्वपूर्ण होती है। इसके लिये प्रसव कक्ष का माहौल सकारात्मक होना जरूरी है। साथ ही मरीजों के साथ कर्मियों का सहयोगपूर्ण व सम्मानपूर्ण व्यवहार का होना भी जरूरी है। संस्थागत प्रसव में गुणात्मक सुधार लाना प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य से है। गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं की उपलब्धता से प्रसव संबंधी मामलों के निष्पादन में सरकारी चिकित्सा संस्थानों पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा। इससे मातृत्व-शिशु मृत्यु दर के मामलों में अप्रत्याशित कमी लायी जा सकती है।

सहयोगात्मक व सम्मानपूर्ण होना चाहिये प्रसव कक्ष का माहौल :

नर्स मेंटर पर्यवेक्षिका मधुबाला कुमारी व ममता आशा ने जानकारी देते हुए कहा कि अस्पताल में गर्भवती महिला व उनके अभिभाव के आने पर उनके साथ कर्मियों का व्यवहार सहयोगात्मक व सम्मानपूर्ण होना चाहिये। ऐसा नहीं होने पर अस्पताल के प्रति लोगों का भरोसा प्रभावित होता है। इसके बाद प्रसव के पूर्व व प्रसव काल में जरूरी सलाह व देखभाल के लिये लोगों के अस्पताल आने की संभावना कम हो जाती है। इस कारण प्रसव पीड़िता ही नहीं गर्भस्थ नवजात के जान-माल की सुरक्षा का जोखिम कई गुणा बढ़ जाता है।

चिकित्सा संस्थानों के प्रति लोगों का विश्वास होना जरूरी :

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबधक नजमुल होदा ने बताया कि प्रसव के लिये जिले के सभी अस्तपाल में पहुंचने वाले सभी मरीजों को सम्मानपूर्ण व गरिमामय मातृत्व देखभाल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चिकित्सा पदाधिकारी व स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ताकि प्रसव संबंधी मामलों के निष्पादन में सरकारी चिकित्सा संस्थानों के प्रति लोगों के विश्वास बहाली की प्रक्रिया को मजबूती दिया जा सके। डीटीएल प्रशनजीत प्रामाणिक ने बताया कि प्रसव के दौरान मातृत्व अधिकारों का संरक्षण जरूरी है। इसमें निजता का अधिकार, सुरक्षा, बुनियादी देखभाल जैसे अधिकार महत्वपूर्ण हैं। जो प्रसव को बेहद खुशनुमा व सुरक्षित बनाने के लिये जरूरी है।

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