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किशनगंज : स्वास्थ्य सुविधाओं को सशक्त करने के लिए आईपीएचएस अस्सेस्मेंट आवश्यक : सिविल सर्जन

जिले में 07 में से 05 सामुदायिक का अब तक किया गया है अस्सेस्मेंट, सभी स्वास्थ्य संस्थानों का किया जाना है आईपीएचएस अस्सेस्मेंट

किशनगंज, 05 जुलाई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) आवश्यक मानक हैं जो जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिर (पूर्ववर्ती उप स्वास्थ्य केंद्र) सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से न्यूनतम आवश्यक सेवाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं। आईपीएचएस बुनियादी ढांचे, उपकरण और मानव संसाधन के मानक निर्धारित करता है, तथा सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में एक समान सेवा स्तर सुनिश्चित करता है। इन मानकों का पालन करने से, सुविधाएं निरंतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करती हैं और सेवा की गुणवत्ता में सुधार करती हैं। आईपीएचएस दिशा-निर्देश सभी स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का मूल्यांकन करने में मदद करते हैं, जिससे बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होते हैं और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में जनता का विश्वास बढ़ता है। उक्त बाते सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने शुक्रवार को सदर अस्पताल परिसर में बताई। उन्होंने आगे कहा कि जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों का आवश्यक रूप से आईपीएचएस अस्सेस्मेंट किया जाना है जिसके लिए सभी पदाधिकारी एवं कर्मी लगातार प्रयासरत है। प्रभारी जिला सलाहकार गुणवत्ता यकीन पदाधिकारी सुमन सिन्हा ने बताया की जिले में कुल 07 में से 05 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का आईपीएचएस अस्सेस्मेंट किया जा चूका है।

वहीं जिले में कुल 148 आयुष्मान आरोग्य मंदिर में से अब तक 60 का आईपीएचएस अस्सेस्मेंट किया गया है सभी को आगामी 10 जुलाई तक अचूक रूप से अस्सेस्मेंट किया जाना निर्धारित है। IPHS अनुपालन के लिए सुविधाओं को 80% या उससे अधिक स्कोर करना होगा। मंत्रालय ने आकलन को आसान बनाने के लिए ओडीके (ओपन डेटा किट) डिजिटल टूल और वेब-आधारित डैशबोर्ड विकसित किया है। ये उपकरण राज्यों को कमियों को जल्दी पहचानने और आवश्यक मानकों को प्राप्त करने के लिए लक्षित समर्थन प्राप्त करने में मदद करते हैं।

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा. उर्मिला कुमारी ने बताया की सभी स्वास्थ्य संस्थानों के आईपीएचएस अस्सेस्मेंट हो जाने से मरीज के स्वास्थ्य पर प्रभाव होने से पहले इलाज करने में सहायता होगी एवं बीमारियों की पहचान करने के लिए स्क्रीनिंग तथा निदान के बाद बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए प्रबंध करना संभव हो सकेगा। संचारी एवं गैर संचारी रोग तथा अन्य गंभीर बीमारी जैसे मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस, हार्ट अटैक, पैरालिसिस आदि का गुणवत्तापूर्ण इलाज संभव हो सकेगा। जिला चिकित्सालयों में आवश्यक नैदानिक जांच जैसे एक्स रे, सोनोग्राफी एवं सीटी स्कैन प्रदान की जा सकेंगी। समस्त विकास खंड में क्रियाशील ब्लड बैंक संचालित किये जा सकेंगे। समस्त शासकीय चिकित्सालयों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के अनुसार तैयार किया जा सकेगा, जिससे केंद्र सरकार से अतिरिक्त इंसेंटिव राशि प्राप्त हो सकेगी। समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में आवश्यक औषधियां एवं आवश्यक पैथोलॉजी जांचे और आवश्यक प्राथमिक उपचार एवं रेफ़रल सेवाएं सुनिश्चित हो सकेंगी।

सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया की जिले में स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार लाने तथा सभी नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आईपीएचएस का कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। सभी स्वास्थ्य संस्थानों के आईपीएचएस अस्सेस्मेंट हो जाने से गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच, टीकाकरण, हाईरिस्क प्रेगनेंसी की शीघ्र पहचान एवं प्रबंधन, सुरक्षित प्रसव एवं परिवार कल्याण संबंधी परामर्श, पीपीआईयूसीडी की सुविधा सुलभ होगी। इससे लंबे समय में मातृ मृत्यु दर में गिरावट लाने में सफलता हासिल होगी। आवश्यक नवजात शिशु देखभाल, शीघ्र स्तनपान, टीकाकरण, कमजोर, बीमार शिशु की शीघ्र पहचान एवं प्रबंधन समुदाय के समीप उपलब्ध होगा। प्रदेश में नवजात एवं शिशु मृत्यु दर तथा सकल प्रजनन दर में कमी लाई जा सकेगी।

डा. राजेश कुमार ने बताया की जिले में समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं में डेटा डिजिटाइजेशन की दिशा में ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर संचालित किया जायेगा। जिससे रोगियों को ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा प्राप्त हो सकेगी तथा मरीजों का रिकॉर्ड (डिस्क्रिपशन, जांच तथा अन्य) का भी डिजिटल संग्रहण किया जा सकेगा। रोगियों के मेडिकल रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन का कार्य किया जा सकेगा। समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं में ई-फाइलिंग सिस्टम, सीसीटीवी, पीएस सिस्टम इत्यादि जैसे आईटी टूल्स का उपयोग किया जा सकेगा।

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