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किशनगंज : कालाजार उन्मूलन जिले के सातो प्रखंड में 05 सितंबर से चलेगा सघन छिड़काव अभियान।

अभियान की सफलता को लेकर तैयारी पूरी, गठित टीम द्वारा घर-घर जाकर किया जाएगा छिड़काव।

  • सदर अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा है उपलब्ध।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में कालाजार उन्मूलन की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिले के 07 प्रखंडों में चिन्हित स्थानों पर कालाजार उन्मूलन को लेकर सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव 05 सितम्बर से शुरू होगा जो 60 कार्य दिवस तक चलेगा-उपरोक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने कही। उन्होंने बताया कि इस छिड़काव कार्यक्रम को आरंभ करने को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से पत्र जारी किया गया है। बरसात के बाद के समय में वेक्टर जनित रोगों में ख़ासकर कालाजार का प्रकोप बढ़ जाता है। प्रभारी डीएमओ डॉ. मंजर आलम ने बताया कि जिले के 07 प्रखंडो के 34 राजस्व गांवों में छिड़काव किया जायेगा। इसी क्रम में सभी प्रखंडो में कालाजार के छिड़काव के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी है। प्रभारी डीएमओ डॉ. मंजर आलम ने बताया कि छिड़काव कार्य योजना के अनुसार सभी कालाजार प्रभावित ग्रामों के सभी घरों, गौशालाओं में छिड़काव कराया जायेगा। गुणवत्तापूर्ण छिड़काव की दृष्टि से पर्यवेक्षण अत्यंत आवश्यक है। प्रखंड स्तर पर विभिन्न स्तर के पदाधिकारियों के द्वारा पर्यवेक्षण कार्य भी सुनिश्चित किया जायेगा। प्रत्येक दिन कार्य समाप्ति के बाद दिन भर के छिड़काव कार्य की मानक के अनुरूप समीक्षा की जाएगी एवं आवश्यक सुधार के लिए निर्देश दिया जायेगा। पैची छिड़काव एवं ओवरलैपिंग पर कड़ी निगरानी रखी जायेगी। प्रत्येक दल के दल नायक छिड़काव पंजी का संधारण करेंगे। जिसमें घर-घर छिड़काव की सूचना संधारित की जायेगी। साथ ही साथ पंचायत के सदस्य व मुखिया या वार्ड से छिड़काव के बाद प्रमाण पत्र भी प्राप्त करेंगे।डॉ. मंजर आलम ने बताया कालाजार का ईलाज पूर्ण रूप संभव है। लेकिन इसके लिए 12 सप्ताह तक दवा का नियमित सेवन जरूरी है। रोगी के द्वारा बीच में दवा छोड़ देने या समय पर सही खुराक न लेने से इसकी संभवना बढ़ जाती है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया, छिड़काव के दौरान एक भी घर छूटे नहीं, इस बात का विशेष ख्याल रखा जाएगा। इसको लेकर छिड़काव टीम को भी आवश्यक और जरूरी निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा छिड़काव अभियान के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को कालाजार से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी भी दी जाएगी। जिसके दौरान कालाजार के कारण, लक्षण, बचाव एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। छिड़काव के दौरान किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, ये भी बताया जाएगा। प्रभारी डीएमओ डॉ. मंजर आलम ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कालाजार से पीड़ित रोगी को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। उन्होंने बताया की कालाजार मरीजों की जाँच की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है। जबकि, सदर अस्पताल में समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जिसके कारण संक्रमित मरीज मिलने पर उन्हें संबंधित पीएचसी द्वारा सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्हें दी जायेगी। साथ ही पाॅजिटिव मरीजों का सहयोग करने पर प्रति मरीज 500 रुपये संबंधित आशा कार्यकर्ता को दी जाती है। 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं। जैसे लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना। वजन में लगातार कमी होना। दुर्बलता, मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना। व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है। प्लीहा में नुकसान होता है।

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