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किशनगंज : जिले में 15 से 30 जुलाई तक सघन दस्त पखवाड़ा का किया जाएगा आयोजन।

कोविड-19 प्रोटोकाल का किया जाएगा अनुपालन : सिविल सर्जन

  • अत्यधिक दस्त होने के कारण शिशु मृत्यु दर को शून्य स्तर तक लाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष किया जाता है आयोजन
  • ओआरएस घोल देने के बावजूद बच्चा ठीक नहीं हुआ तो नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य स्तर तक लाने के उद्देश्य से जिले में आज से 30 जुलाई तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा। इसकी शत प्रतिशत सफ़लता को लेकर सभी आवशयक तैयारियाँ की जा चुकी है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 महामारी के सुरक्षात्मक उपायों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। ताकि कोरोना संक्रमण वायरस से अपने एवं नौनिहालों का बचाव किया जा सके। ज़िला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से कराया जाएगा। हालांकि दस्त बंद हो जाने के बावजूद जिंक की खुराक 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाए। जिंक और ओआरएस के उपयोग के बावजूद दस्त ठीक नहीं हो रहा है तो जल्द ही अपने बच्चे को नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाएं। दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी नौनिहालों की आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार एवं भोजन जारी रखना चाहिए। वहीं उम्र के अनुसार शिशु पोषण से संबंधित परामर्श भी दिया जायेगा। पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पेयजल का उपयोग करना चाहिए। खाना बनाने एवं खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल व मूत्र की सफ़ाई करने के बाद साबुन या हैंड सेनिटाइजर से रगड़-रगड़ कर हाथ धोना चाहिए। इससे शरीर के अंदर किसी भी तरह की बैक्टीरिया प्रवेश नहीं कर पायेगी। सबसे अहम बात यह है कि डायरिया होने पर ओआरएस और जिंक का उपयोग करने से बच्चों में तीव्र सुधार होता है। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि सघन दस्त पखवाड़ा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पूरे और अभियान की सतत निगरानी एवं अनुश्रवण करने के लिए वरीय अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इस पखवाड़े के दौरान कुछ विशेष क्षेत्रों में विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। इन स्थानों में पर्याप्त सफाई व्यवस्था के अभाव वाले इलाकों के अलावा शहरी क्षेत्रों के झुग्गी-झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसे चिह्नित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों आदि शामिल हैं। वहां इस अभियान को वृहद रूप से चलाया जाएगा। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जाएगा। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने कहा कि सघन दस्त पखवाड़ा कार्यक्रम के दौरान आशा कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण कर पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण करेंगी। आशा कार्यकर्ता क्षेत्र भ्रमण के दौरान परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना एवं इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ को बताना, साफ-सफाई, हाथ धोने के तरीके की जानकारी भी देंगी। ताकि इस बीमारी से प्रत्येक परिवार को बचाया जा सके। कोविड-19 महामारी को देखते हुए आशा नान कंटेनमेंट जोन के घरों में ओआरएस का वितरण करेंगी। कंटेनमेंट जोन में ओआरएस का वितरण के लिए प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा।

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