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*चुनौतियों को अवसर में बदलकर भारत ने दी अर्थव्यवस्था को रफ्तार मनोज कुमार सिंह*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत को बड़ी सफलता मिली है। ब्रिटेन को पछाड़कर भारत अब दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। ब्रिटेन पांचवें पायदान से फिसलकर छठे नंबर पर पहुंच गया है। अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। बीते 10 वर्षों में भारतीय इकोनॉमी ने 11वें पायदान से यहां तक का सफर तय किया है। जिस समय दुनिया भर में मंदी की आशंका है और अर्थव्यवस्थाओं का आकार सिकुड़ रहा है, उस समय भी भारत की ग्रोथ रेट दोहरे अंकों में रही है। कोरोना महामारी को मात देकर भारत की अर्थव्यवस्था ने तेज गति से अपना विस्तार किया है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पहली तिमाही में बढ़त हासिल कर ली है। एक दशक पहले भारत इस सूची में 11वें नंबर पर था और ब्रिटेन पांचवें पायदान पर। भारत ने यह कारनामा दूसरी बार किया है। इससे पहले 2019 में भी भारत ने ब्रिटेन को छठे स्थान पर धकेल दिया था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े के मुताबिक भारत दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 13.5 फीसदी रही, जो पिछले एक साल में सबसे अधिक है। नकदी के संदर्भ में देखें, तो भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार मार्च तिमाही में 854.7 अरब डॉलर है, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की है। आज भारत जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है।

अगर पिछले 10 वर्षों में भारत की जीडीपी के आंकड़े देखें, तो कोरोना काल को छोड़कर इसमें अच्छी बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान कारोबारी जगत में कई सुधारों को लागू किया गया, जिसने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया। साथ ही ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भी काफी काम हुआ है। स्मार्टफोन डेटा कंज्यूमर के मामले में आज भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। इंटरनेट यूजर्स के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। आज भारत वैश्विक खुदरा सूचकांक में दूसरे स्थान पर है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार भारत में है। ‘नवाचार सूचकांक’ में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है।
इस साल भारत ने 670 अरब डॉलर यानी 50 लाख करोड़ रुपये के सामान का निर्यात किया। भारत ने हर चुनौती को पार करते हुए 418 अरब डॉलर यानी 31 लाख करोड़ रुपये के माल निर्यात का नया रिकॉर्ड बनाया। पिछले आठ वर्षों में 100 बिलियन डॉलर से अधिक की कंपनियां बनायी गयी हैं और हर महीने नयी कंपनियां जोड़ी जा रही हैं। पिछले आठ सालों में बनाये गये इन यूनिकॉर्न का वैल्यूएशन आज करीब 150 अरब डॉलर यानी करीब 12 लाख करोड़ रुपये है। कोरोना काल में लॉकडाउन से दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था संकुचन की स्थिति में रही। आईएमएफ के आंकड़े बता रहे हैं कि भले ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी और महंगाई की मार से परेशान हों, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बाद भी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। मंदी और अर्थव्यवस्था के संकुचन के दौर में भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और रफ्तार देने के लिए भारत सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रयास और प्रयोग किये। नतीजतन, दुनिया की टॉप 5 अर्थव्यवस्था में भारत ने जगह बना ली।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार, मौजूदा कीमत पर जीडीपी 2022-23 की पहली तिमाही में 26.7 फीसदी बढ़कर 64.95 लाख करोड़ रुपये रही। 2021-22 की समान तिमाही में यह 51.27 लाख करोड़ रुपये थी। अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में कृषि और सेवा क्षेत्र का योगदान अग्रणी रहा। एनएसओ के आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 17.6 फीसदी रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 10.5 फीसदी रही थी। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.5 फीसदी रही, जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में 2.2 फीसदी रही थी। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की विकास दर 2.3 फीसदी से बढ़कर 9.2 फीसदी पहुंच गयी। इसके अलावा, बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाओं की वृद्धि दर 14.7 फीसदी रही, जो 2021-22 की समान तिमाही में 13.8 फीसदी थी। लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के बढ़ने की दर 6.2 फीसदी से बढ़कर 26.3 फीसदी पहुंच गयी। कृषि और सेवा क्षेत्र के दमदार प्रदर्शन से भारतीय बाजार में वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।

टॉप 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होना हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। इससे भारतीयों की दुनिया भर में स्थिति और मजबूत होगी। भले ही निर्यात के मौके हों या फिर पासपोर्ट की ताकत। क्योंकि, मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ सभी संबंध मजबूत रखना चाहते हैं। विदेशी निवेशकों का भारत पर भरोसा और बढ़ेगा। निवेशकों के सामने ये संकेत गया है कि मुश्किल वक्त में भी भारत ने ग्रोथ बनाये रखी है। भारत सरकार मेक इन इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी योजनाओं को आक्रामक तरीके से निवेशकों के सामने रख रही है। टॉप 5 में पहुंचना भारत सरकार के उस दावे को और मजबूती देगा कि भारत निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक बाजार है, जहां वो तेजी के साथ विकास कर सकते हैं। फिलहाल बड़ी संख्या में निवेशक चीन का विकल्प तलाश रहे हैं। नयी रैंकिंग ऐसे निवेशकों के लिए भी एक बड़ा संकेत बनेगा। अगर विदेशी निवेशक बड़ी संख्या में भारत में निवेश बढ़ाते हैं और एफडीआई बढ़ता है, तो इससे न केवल देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि लोगों की आय और अपना काम शुरू करने वालों के लिए मौके भी बढ़ेंगे।

भारत का टॉप 5 में शामिल होना आम भारतीयों के लिए नये अवसर लाने की संभावनाओं को प्रबल करता है। भारत की उपलब्धि के सकारात्मक संकेत मिलने शुरू हो गये हैं। मैकिन्जे के सीईओ बॉब स्टर्नफेल्स ने कंपनी में न सिर्फ भारतीयों की संख्या दोगुना करने की इच्छा जतायी है। इसलिए कंपनी ने भारत के लिए एक खास योजना बनायी है। मैकिन्जे का बोर्ड इसी साल दिसंबर में भारत आएगा। उन्होंने कहा, अभी कंपनी में भारत के 5 हजार लोग हैं। इसे दोगुना कर वह 10,000 करना चाहते हैं। बॉब ने कहा है, भारत दुनिया के लिए भविष्य की प्रतिभा का कारखाना है। 2047 तक दुनिया की कुल कामकाजी आबादी में भारतीय कौशल की हिस्सेदारी 20 फीसदी होगी।

विदेशी निवेशकों की भारत के प्रति यूं ही धारणाएं नहीं बन रहीं, बल्कि भारत की प्रगतिशील सोच, क्षमता, वैश्विक आपूर्ति को पूरी करने वाली कंपनियों, कामकाजी आबादी, डिजिटल पैमाने पर छलांग जैसी उपलब्धियां और संभावनाएं उन्हें आकर्षित कर रही हैं। यह न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी काफी खास है।

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