जिनके राज में सरकारी आदेश से ही शोरूम से उठाई जाती थी गाड़ियां वो अपराध पर ना दें ज्ञान – अंजुम आरा

मुकेश कुमार/जद (यू0) प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती अंजुम आरा ने अपराध मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के ट्वीट की तीखी आलोचना की और ट्वीटर बबुआ कहा। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को अपराध जैसे विषय पर बोलने का नैतिक आधार बिल्कुल ही नहीं है। अपनी पुत्री के विवाह में लालू जी ने अनेकों कार शो रूम से जबरन उठवा लिया था, जिसके माता-पिता के शासनकाल में अपराध और अपराधियों को बचाने की डील मुख्यमंत्री आवास में हुआ करती थी वो आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार सरकार को अपराध के मामले में ज्ञान ना दें। बिहार में कानून का राज है बिना किसी हस्तक्षेप के कानून अपना काम करता है तथा जिन अपराधियों ने दुस्साहस किया है पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर चुकी है।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि बिहार की जनता इस सच्चाई को बखूबी जानती है कि कैसे लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल में सैकड़ों जातीय नरसंहार हुए जिसमें सैंकड़ों निर्दोष लोगों की जान गई। लोगों को घरों से निकलना मुश्किल था और शाम होते ही बेटियां घरों में कैद हो जाया करती थीं। उन्होंने कहा कि उस दौरान अपराधियों के डर से उद्योगपतियों,शिक्षाविदों,किसानों,छात्रों ने बिहार से बड़े पैमाने पर पलायन किया और दूसरे राज्यों मे जाने को मजबूर हुए। वहीं आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार मे बेटियां बेखौफ घरों से बाहर निकल रही हैं उद्योगपति अपना व्यवसाय कर रहे हैं और किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आंकड़े गवाह हैं कि किस तरह लालू-राबड़ी राज में बिहार में उस दौरान करीब 67 हजार लोगों की हत्याएं हुईं, 118 नरसंहार में 812 निर्दोष लोगों की जानें गई, फिरौती के लिए 5 हजार 243 लोगों के अपहरण हुए और करीब 12 हजार महिलाओं के साथ दुष्कर्म की दुखद घटनाएं हुई । उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासन काल में कुल मिलाकर 130 दंगे हुए और इन दंगों में 26 हजार लोगों की मौत हुई। साल 1989 में कांग्रेस शासन के दौरान भागलपुर में भीषण दंगे हुए, इस दंगे में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 1 हजार लोग मारे गए। लेकिन 15 साल के लालू- राबड़ी शासनकाल के दौरान पति- पत्नी की सरकार ने दंगा पीड़ितों के आंसुओं को पोंछने का कोई काम नहीं किया।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के शासनकाल के दौरान ही मुस्लिमों को न्याय मिल सका। साल 2005 शासन संभालते ही माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार में भागलपुर दंगे की जांच के लिए आयोग गठित किया गया और इसी आयोग की सिफारिश के आधार पर दंगे में मृतकों के आश्रितों को 5 हजार रुपए की पेंशन राशि दी गई। दंगा पीड़ितों के क्षतिग्रस्त मकानों को क्षतिपूर्ति दी गई साथ ही आरोपियों को सजा दिलाई गई। उन्होंने कहा कि ये मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का सुशासन है कि उस दंगे के मुख्य आरोपी कामेश्वर यादव को आजीवन कारावास की सजा हुई साथ ही आरोपी को लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की सरकार ने जिस प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया था उसे भी मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार ने वापस लेने का काम किया।