2015 में नीतीश कुमार ने सत्ता के लालच में अपना जमीर नहीं बेचा था, आज मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विशेष राज्य तक कि मांग इस आदमी ने प्रधानमंत्री से नहीं की: प्रशांत किशोर
श्रुति मिश्र/पटना: जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने भागलपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 13 करोड़ आदमी का जो नेता है हमलोगों का अभिमान है, सम्मान है, मगर पूरे देश के सामने झुक कर मुख्यमंत्री बने रहने के लिए पैर छू रहा है ये आदमी। बिहार में कुछ लोग कहते हैं कि प्रशांत जी 2015 में आपने नीतीश कुमार की मदद की थी। नारा दिया था बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है। तो आज क्यों विरोध कर रहे हैं, तो मैं आपको बता दूं कि उनकी यही सब हरकत की वजह से मैंने उनका विरोध किया। 2015 के नीतीश कुमार और 2025 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है। 2014 में नीतीश कुमार ने मोदी के सामने झुक कर पैर नहीं छुआ था। 2014 के नीतीश कुमार ने अपना जमीर नहीं बेचा था।
नीतीश कुमार 13 करोड़ लोगों के सम्मान की परवाह किए बगैर इस बिहार की इज्जत बेच दी: प्रशांत किशोर
देश के लोगों ने कुछ दिन पहले देखा होगा कि मीडिया के लोग कह रहे थे कि नीतीश कुमार के हाथ में पूरा भारत सरकार की कमान है। नीतीश कुमार अगर न चाहें तो देश में सरकार नहीं बनेगी। इतनी ताकत है नीतीश कुमार के हाथ में! नीतीश कुमार ने इसके एवज में क्या मांगा? बिहार के बच्चों के लिए रोजगार नहीं मांगा। बिहार के जिलों में चीनी की फैक्ट्रियां चालू हो जाए ये नहीं मांगा। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए ये नहीं मांगा। तो फिर बिहार के लोग सोच रहे होंगे कि फिर क्या मांगा? नीतीश कुमार ने मांग रखी कि 2025 के बाद भी वो मुख्यमंत्री बने रहें और इसके लिए भाजपा भी समर्थन कर दे। बिहार के सभी लोगों की इज्जत इस आदमी ने बेच दी।