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जीवन की व्यथा दूर करनी है तो श्रीमद् भागवत गीता जरूर सुने – किंकर महाराज

नवेंदु मिश्र

लहल्हे में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस भागवत कथा के रसपान में काशी से पधारे हुए श्री श्री 108 परम पूज्य मारुति किंकर जी महाराज के मुखारविंद से लहल्हे और अगल-बगल के गांवों से पधारे हुए भागवत प्रेमियों ने विपरीत मौसम के बावजूद श्रीमद् भागवत कथा का रसपान किया।मंचासीन श्री किंकर जी महाराज ने कथा में महाभारत और भगवान भोलेनाथ की अमरकथा प्रसंग के जरिए श्रद्धालुओं को भक्ति की धारा में बहने का सौभाग्य प्रदान किया।महाराज जी ने लोगों की भारी उपस्थिति को देखते हुए कहा कि जिस प्रकार एकाएक इंद्रदेव ने अपना स्वरूप बदला था उसको देखकर एकपल लगा कि कथा नहीं हो पाएगी परन्तु आप सभी के समर्पण और भागवत भगवान की कृपा ने इसे पूर्ण किया।कथा आयोजक विवेकानंद त्रिपाठी ने कथा के बाद बताया कि कथा के चतुर्थ दिवस में महाराज जी के आदेशानुसार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाना है जिसमें भारी से भारी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति प्रार्थनीय है।दूर दूर से आए भक्तजनों ने भक्ति की बह रही बयार में अपने आप को भाव विभोर किया।

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