कुर्मी कुर्मी के चक्कर में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहाल……

पटना जिलाधिकारी रवि या चंद्रशेखर अधिकारी हैं परेशान
शशि रंजन सिंह-बिहार करोना के महामारी में त्राहिमाम कर रहा है चारों ओर चीख-पुकार मचा हुआ है और नीतीश कुमार की सरकार कुर्मी -कुर्मी खेल रही है पटना के जिलाधिकारी है तो कहने के लिए चंदशेखर सिंह लेकिन सुपर जिला अधिकारी के रूप में पूर्व जिलाधिकारी कुमार रवि की चल रही है,
पटना जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह
पटना- सिविल सर्जन विभा कुमारी
पटना के विकास आयुक्त जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह की बात न मानकर कुमार रवि से ही आदेश लेते हैं जिससे प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है।
बात यहां तक आकर नहीं रुकती है करोना के महामारी में भी कमीशन चाहिए और उस कमीशन के लिए चिकित्सा विभाग के जिले के सबसे बड़े अधिकारी सिविल सर्जन विभा कुमारी को अनदेखा किया जा रहा है ,चुकी विभा कुमारी व्यवस्था में पूरी फिट नहीं बैठती थी इसलिए फतुहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टर अनुपमा रंजन को बुलाकर सुपर सिविल सर्जन बनाया गया है।
कांग्रेस सेवा दल के नेता जमाल हसन का कहना है कि सिर्फ यह पैसों का खेल नहीं रह गया है या उससे भी ऊपर चला गया है ।डॉक्टर अनुपमा रंजन एक मोहरा है खेलने के लिए जो जहां सही बैठता है वहां बैठा दिया जाता है ,आज सभी को ऑक्सीजन, रेमडीसीविर से लेकर सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पताल में मोटी कमीशन चाहिए और डॉक्टर इसका माध्यम है ऐसे बताते चलें कि डॉ अनुपमा रंजन है तो सरकारी चिकित्सा पदाधिकारी लेकिन वह काम करती है शहर के कैंसर विशेषज्ञ जितेंद्र सिंह के लिए वह अपना पूरा ध्यान डॉ जितेंद्र सिंह के निजी अस्पताल को चलाने के लिए लगाती है डॉ अनुपमा रंजन के कारण सिविल सर्जन पटना स्वाभाविक रूप से काम नहीं कर पा रही है।
करणी सेना के बिहार प्रमुख अभिषेक कुमार सिंह और राजपूत महासभा के नेता विशाल कुमार सिंह ने कहा कि राजपूत अधिकारियों का दमन इसी तरह से होता रहा तो राजपूत नेता भी चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं, हमारी राजपूताना व्यवस्था विश्व की सबसे सुंदर व्यवस्था थी अगर जल्द जिला अधिकारी चंद्रशेखर सिंह और सिविल सर्जन विभा कुमारी को कार्य की स्वतंत्रता नहीं दी गई और भ्रष्ट अधिकारियों को उनके ऊपर से नहीं हटाया गया तो सभी राजपूत संगठन सड़क पर उतरने में तनिक भी देर नहीं लगाएगा।
कांग्रेस नेता जमाल हसन ने कहा है कि नीतीश कुमार की सत्ता अब भ्रष्टाचारियों ,दलालों और चरित्रहीन की सत्ता रह गई है। चाहे बात हो मंत्री संजय झां की या बात हो सो कॉल्ड राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह का सभी प्यादे को नीतीश कुमार ने इस ढंग से बैठाया है की वसूली में कोई कमी नहीं रह जाए मरने वाला तो ऐसे ही मरते रहेगा। नीतीश कुमार ने जितने भी स्वास्थ्य संस्थान बनाए हैं वह सही से काम नहीं कर रहे हैं चाहे बात कर लीजिए मेडिकल कॉलेज मधेपुरा या बात कर लीजिए पावापुरी मेडिकल कॉलेज नालंदा, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया सारे हॉस्पिटल हाथी के दांत हैं जो दिखाने के अलग हैं और खाने के अलग इनकी सारी स्वास्थ्य व्यवस्था सिर्फ वसूली एजेंट के रूप में रह गई है ।राजधानी पटना अभी करोना काल में ध्वस्त हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को संभालते- संभालते पसीना आ रहा है और दूसरी तरफ डॉक्टर अनुपमा जैसे भ्रष्ट अधिकारियों को सिविल सर्जन बना देना क्या साबित करता है जबकि डॉ अनुपमा रंजन एक अनुभवहीन और भ्रष्टाचारियों के संगत में पली-बढ़ी है ।
पटना के पाटलिपुत्र स्थित मेडिपार्क हॉस्पिटल का डॉक्टर रंजन के कारण इतना मनोबल बढ़ गया है कि वरीय स्वास्थ्य अधिकारियों की भी नहीं सुनता है उसके मैनेजमेंट का कहना है कि जब हर दिन डॉ अनुपमा रंजन को उनको उनका हिस्सा चाहिए तो हम क्या धर्मशाला खोल कर बैठे हैं उनके कर्मचारी कहते हैं कोविड-19 के लिए सीट खाली नहीं है जबकि सरकार प्रेस के माध्यम से बताती है कि सीट खाली है कोरोना पेशेंट को सरकार के इस व्यवस्था ने मजाक बनाकर रख दिया है।