राजनीति

एक-एक रुपया बचा कर अपना घर चलाने वाली गृहिणी के चौपट घरेलु बजट से,।…

अभिजीत दीप/दिल्ली प्रदेश काँग्रेस कमेटी कार्यालय राजीव भवन मे आयोजित संवाददाता सम्मेलन को अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. रागिनी नायक ने संबोधित किया

मोदी ये बताएं महंगाई ने खून के आंसू क्यों रुलाए गरीबों के मुँह से छीना निवाला खानें की चीजों पर क्यों GST लगा डालाएक तो महंगाई की मार ऊपर से नौजवान बेरोजगार

प्याज और नमक से रोटी खा कर अपना पेट पालने वाले गरीब की व्यथा से,।आसमान तक पहुँचे सब्जियों के दामों के बावजूद आत्महत्या की कगार पर खड़े किसान की बदहाली से…

सत्ता के चमचमाते सिंहासन पर बैठे नरेन्द्र मोदी का कोई सरोकार नहीं, कोई लेना-देना नहीं । एक तरफ़ तो बहन-बेटियों को ‘लाड़ली’ कहते हैं और दूसरी तरफ़ महंगाई की चौतरफ़ा मार सह रही बहन-बेटियों का मज़ाक बनाते हैं। अगर घर में खाना कम बने तो वो घर की महिला ही है जो एक रोटी कम खाती है, बिना सब्जी के खाती है, पहले और परिवार जनों का पेट भरती है। खाना न बचे तो पानी पी कर ही सो जाती है। उस बहन-बेटी के आंसू की कोई कीमत नहीं मोदी जी और भाजपा सरकार के लिए ।

UPA कार्यकाल में जिस महंगाई को ‘डायन’ कहते थे, आज उसे ‘डार्लिंग’ बना कर, गले में हाथ डाले घूम रहे हैं। सूरत-ए-हाल ये है कि आज लोगों के पास थाली है तो खाना नहीं, डिग्री है तो नौकरी नहीं, वाहन है तो पेट्रोल-डीज़ल नहीं, सिलेंडर है तो LPG गैस नहीं, शौचालय है तो पानी नहीं, जीवन है पर सुख नहीं चैन नहीं। और जले पर नमक रगड़ने के लिए मोदी जी इसे ‘अच्छे दिन’ और ‘अमृतकाल’ बताते हैं।

एक कांग्रेस का शासन था जब बटुए में पैसा ले कर जाते थे और थैला भर सामान ले कर आते थे और अब भाजपा के शासन में वो समय आ ही गया जब थैले में पैसा ले कर जाएँ और बटुए में सामान लाएँ। मुझे याद है कि मोदी जी ने कहा था चीन को लाल आँख दिखाएँगे और 250₹ किलो तक पहुँच कर टमाटर जनता को लाल आँख दिखा रहा था। 80-100₹ किलो प्याज जनता को खून के आँसू रुला रही थी।

देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने तो प्याज की बढ़ती कीमतों से पल्ला झाड़ते हुए कह दिया था कि “मैं तो प्याज नहीं खाती” यानि प्याज महंगी हो तो जनता प्याज खाना छोड़ दें। इसी तर्ज़ पर पेट्रोल-डीज़ल सेन्चुरी लगाए तो तो बैलगाड़ी चलाने लगें। LPG सिलेंडर 1100/- का हो जाए तो चूल्हा फूंकने लगें। 2 करोड़ नौकरी जुमला साबित हो तो नाली की गैस से पकोड़ा तलने लगें। वैसे जानकारी के लिए बता दूं कि पकौड़े तलने का तेल भी 240₹ लीटर है। मोदी जी ने तो नौजवानों को इस लायक भी नहीं छोड़ा ! अभी मोदी जी मंगलसूत्र की बात कर रहे थे। जब सोना 75,000 रुपए तोला कर दिया है। मोदी जी ने तो कितनी माँ बहन सोने का मंगलसूत्र बनवा पा रही है। अब बताइए कौन किसका मंगलसूत्र छीन रहा है?

देश में 35 सालों में सबसे ज्यादा महंगाई है। 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। 75 सालों में रुपए में सबसे ज्यादा गिरावट है। कांग्रेस के कार्यकाल में जिन स्मृति ईरानी को 400₹ का सिलेंडर महंगा लगता था, 70₹ लीटर पेट्रोल महंगा लगता था वो आज दिल्ली में मिलने वाले 1100₹ के सिलेंडर और पेट्रोल पर मुँह में दही जमा कर बैठी हैं।

दूध, दही, पनीर, छाछ जैसी खाने पीने की चीजों से लेकर रोजमर्रा की जरूरी चीज़ों पर भी इस सरकार ने जीएसटी लगा दी है। विडंबना देखिए, अस्पताल के बिस्तर पर 5 % जीएसटी है और हीरों पर 1.5 प्रतिशत। पिछले 7-8 वर्षों में मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के 16 लाख करोड़ रुपए के लोन माफ किए। कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए करीब 1.5 लाख करोड़ टैक्स की कटौती की गयी। और आम जनता से 27.5 लाख करोड़ रुपए इंधन टैक्स के रूप में वसूला गया।

साल भर में मोदी जी के मित्र उद्योगपतियों की आमदनी 30 लाख करोड़ तक बढ़ी है जबकि दूसरी तरफ़ देश के हर 10 में से 8 परिवारों की आय में कमी आई है। CSDS – लोकनीति ने दिल्ली में एक सर्वे करवाया तो पता चला कि दिल्ली के 84% गरीबों की आय उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। 75% गरीबों ने माना कि जरूरी खाद्य पदार्थों के, गैस के और बिजली के दाम बढ़े हैं। 10 में से 9 व्यक्तियों ने माना की पिछले 2 वर्षों में महंगाई बहुत बढ़ी है। 10 में से 6 लोगों ने माना कि स्वास्थ्य तथा घर के किराए का खर्च बढ़ा है।

दिल्ली में LPG गैस की कीमत मई 2014 में 414₹ प्रति सिलेंडर (14.2kg) थी जो जुलाई 2023 में 1103₹ हो गयी थी। Commercial सिलेंडर तो 2000₹ तक पहुंच गया था। कांग्रेस के लगातार दबाव और 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मामूली कमी की गयी और आज भी करीब 850-900₹ का घरेलू सिलेंडर मिल रहा है।

मई 2014 में जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में क्रूड ऑयल की कीमत करीब 107$ प्रति बैरल थी तब UPA सरकार के जाते-जाते दिल्ली में पेट्रोल करीब 72₹ लीटर था जो अब 95₹ लीटर है और बीच में कई बार सैकड़ा लगा चुका है। वही हाल डीज़ल का भी रहा। मई 2014 में करीब 55₹ लीटर और अभी करीब 88₹ लीटर। CNG की दर भी दिल्ली में मई 2014 में करीब 38₹ प्रति किलो थी मई 2024 में 74₹ प्रति किलो तक पहुँच गयी।

अगर मई 2014 से मई 2024 तक का Department of Consumer Affairs का डाटा देखें तो दिल्ली में मुर्गा-मछली का दाम 95 प्रतिशत बढ़ा है। दूध लगभग 50 प्रतिशत बढ़ा है। घी करीब 38 प्रतिशत बढ़ा है। गेहूं और आटा 45 प्रतिशत बढ़ा है, जो हर घर में खाया जाता है। सरसों के तेल में करीब 38 प्रतिशत की बढ़त आई है। रिफाइंड ऑयल में लगभग 50 प्रतिशत बढ़त हुई है। मूंगफली के तेल में 25 प्रतिशत की बढ़त। अरहर-तूर दाल में 127 प्रतिशत की वृद्धि है और उड़द दाल में 101 प्रतिशत बढ़त हुई है। ये सभी पेट्रोल की बढ़त पर्सेंटेज से ज्यादा है।

अब ज़रा सब्ज़ियों के दामों पर नज़र दौड़ाई जाए। प्याज में 54 प्रतिशत वृद्धि हुई है। बैंगन में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आलू में 22 प्रतिशत वृद्धि है तो टमाटर में 100 प्रतिशत। पालक और बाकी साग 41प्रतिशत और अन्य सब्जियां 51 प्रतिशत बढ़ी है। ये भी पेट्रोल के 31.23 प्रतिशत बढ़त से ज्यादा है।

अस्पताल में इलाज का खर्चा 71.6 प्रतिशत बढ़ा है पिछले 8 सालों में दवाइयों में लगभग 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बाहर से अगर आप खाना खाते हैं, ठेले पर, खोमचे पर, होटल में तो खर्च करीब 55 प्रतिशत बढ़ा है। बस का किराया करीब 54 प्रतिशत बढ़ा है। ट्यूशन फीस, सबको पता है कि महामारी के दौरान और आर्थिक मंदी के चलते सबसे ज्यादा मुश्किल मध्यम वर्ग परिवारों को बच्चों का ट्यूशन फीस देने में हुई, वो 51प्रतिशत बढ़ी है। घर का किराया 46 प्रतिशत बढ़ा है।महंगाई के साथ-साथ काम-धंधा ठप्प होने और नौकरियां न मिलने से जनता दोहरी मार झेल रही है। जैसा कि मैंने कहा कि 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी हमने मोदी जी के कार्यकाल में झेली। कोरोना के दौरान सिर्फ़ एक महीने (अप्रैल 2020) में ही 12 करोड़ नौकरियां खत्म हो गयीं। हज़ारों स्टार्ट-अप्स बंद हो गए। और मोदी सरकार मौत पर भी 52 करोड़ की मुनाफाखोरी करती रही। हकीकत ये है कि 20 से 24 आयु वर्ग के आज 42% युवा आज भी बेरोजगार हैं।

यही नहीं, महंगाई के ही चलते भारत में कुपोषण और भुखमरी, दोनों के केस बढ़ रहे हैं। कुपोषण का इंडेक्स सरकार खुद जारी करके बताती है कि लोगों में कैसे कुपोषण बढ़ रहा है और ग्लोबस हंगर इंडेक्स में भारत 111 स्थान पर पहुँच गया है यानि की नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान तक के नीचे पहुँच कर ‘भुखमरी’ में ‘विश्वगुरु’ बनने की कगार पर है। ये हाल तब है जब मोदी सरकार तथाकथित रूप से 80 करोड़ लोगों को 5 किलो राशन मुफ़्त दे रही है। तो ये राशन किनके गोदामों में रह जाता है और किन धन्ना सेठों की तोंद फुलाता है, ये अपने आप में पड़ा सवाल है । कल एक वीडियो वायरल हुआ। बरेली का वीडियो है, उत्तर प्रदेश का जिसमे वीरेंद्र कुमार नाम के एक दलित चौकीदार को दो पुलिसवाले वोटिंग सेंटर के बाहर यह कह कर पीट रहे हैं कि मुफ़्त राशन भाजपा का खाओगे और वोट नहीं दोगे । मैं जानना चाहती हूँ कि ये भाजपा का राशन कैसे हुआ? क्या मोदी जी जमीन जायदाद बेच कर ये राशन दे रहे हैं।

मोदी सरकार के 10 साल के ‘अन्याय काल’ को जड़-मूल समाप्त करने के लिए, कांग्रेस अपना ‘न्याय पत्र’ ले कर आयी है।

गांधी जी की सिखावन – पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के आंसू पोंछने के लिए कांग्रेस अपना ‘न्याय पत्र’ ले कर आयी है।

महंगाई और बेरोजगारी की दोहरी मार से छुटकारा दिलाने के लिए कांग्रेस अपना ‘न्याय पत्र’ ले कर आयी है।

‘महालक्ष्मी’ योजना के तहत हम हर गरीब परिवार की महिला को 1 लाख रुपए सालाना देंगे। कांग्रेस और INDIA गठबंधन की सरकार बनते ही 1 जुलाई 2024 से 8500₹ की राशि हमारी बहन-बेटियों-माताओं के खाते में पहुँच जाएगी।

आधी आबादी को पूरा हक़ दिलाने के लिए केन्द्र सरकार की नयी भर्तियों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। ‘शक्ति का सम्मान’ करते हुए मिड डे मील और आंगनबाड़ी वाली हमारी बहनों के वेतन में केन्द्र सरकार की योगदान राशि को दुगना किया जाएगा।

‘भर्ती भरोसा’ देकर हम खाली पड़े 30 लाख सरकारी पदों को तुरंत भर कर नौकरी देंगे। ’पहली नौकरी पक्की’ के ज़रिए हर शिक्षित युवा को Apprenticeship द्वारा 1 लाख रुपए सालाना देंगे। किसान भाईयों के लिए MSP को कानूनी जामा पहनाएंगे। ‘श्रम का सम्मान’ करते हुए श्रमिक भाइयों के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी 400₹ प्रतिदिन कर देंगे।

और अंत में बस यही कहूंगी कि…

इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें

कि ज़िदगी आंसुओं में नहाई न हो

शाम सहमी न हो, रात हो न डरी

भोर की आंख फिर डबडबाई न हो

दम न तोड़े कहीं भूख से बचपना

रोटियों के लिए फिर लड़ाई न हो

इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें…

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