किशनगंज : सदर अस्पताल में टीबी का होता है मुफ्त इलाज, साथ ही मिलता है निक्षय योजना का लाभ: सिविल सर्जन

दो हफ्ते से ज्यादा खाँसी और बुखार है तो टीबी की जाँच जरूरी: डॉ देवेन्द्र कुमार
टीबी बीमारी के प्रारंभिक लक्षण:
- 15 दिन या इससे अधिक दिनों तक लगातार खांसी या बुखार का रहना।
- बलगम में खून आना।
- एक माह या इससे अधिक दिनों तक सीने में दर्द रहना।
- लगातार वजन कम होना एवं कमजोरी महसूस होना।
किशनगंज, 27अप्रैल (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, टीबी की अगर समय पर पहचान हो जाए तो लोग टीबी से आसानी से लड़ाई जीत सकते हैं। यह कहना है जिले के यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार का। उन्होंने गुरुवार को बताया कि आमतौर पर देखा जाता है कि लोग दो हफ्ते से ज्यादा बलगम वाली खाँसी, बुखार से पीड़ित होते हुए भी टीबी की जाँच नहीं कराते हैं। जब उनकी मुश्किलें बढ़नी शुरू हो जाती तब वे अस्पताल का रुख करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि लक्षणों को नजर अंदाज न करते हुए तुरंत सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच कराएं। इससे टीबी की सही समय पर आसानी से पहचान हो जाती औऱ दवाओं के सेवन से यह खत्म हो जाती है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि टीबी की बीमारी लाइलाज नहीं है। जिले के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में टीबी के मरीजों की जाँच एवम इलाज उपलब्ध है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ कुमार ने बताया कि टीबी रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जब टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति घर या बाहर खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रमण बाहर निकलता है। जो हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में घर के लोग संक्रमित न हों इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए। मुँह पर मास्क जरूर लगानी चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ लोग भूलवश ये गलतियां कर बैठते हैं कि आराम होने पर पूरा कोर्स किए बिना ही दवा बीच में छोड़ देते हैं। ऐसे दवा छोड़ने से बीच में ही टीबी लौट सकता है। वहीं मरीज को एमडीआर टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि बुखार के साथ ही भूख में कमी और वजन कम होना आदि लक्षण दिखे तो तुरंत टीबी की जांच कराएं। टीबी रोग की समस्त जांच और दवाइयां सरकार की तरफ से अस्पताल में मुफ्त हैं। डॉ देवेंद्र कुमार ने कहा कि टीबी मुक्त भारत निर्माण और राष्ट्रहित में बेहतर और सराहनीय कदम उठाया जा रहा है। जिले में वर्ष 2022 में 895, मरीज मिले जिसमें सभी टीबी मरीजों का फॉलोअप सहित टीबी उन्मूलन में टीबी जैसी बीमारी से ठीक हुए टीबी चैंपियन की भूमिका काफ़ी सराहनीय रही है। वहीं जिले वासियों से अपील करता हूं कि ना सिर्फ ख़ुद बल्कि आपको अन्य कोई भी व्यक्ति जिनमें टीबी के लक्षण दिखे तो उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेज कर या ले जाकर उनका इलाज कराने का प्रयास करना चाहिए।
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक पूर्ण रूप से टीबी मुक्त भारत निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इसको सार्थक रूप देने के लिए सामुदायिक स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आपसी समन्वय जरूरी है। इसीलिए इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए ना केवल खुद जागरूक होने की जरूरत है, बल्कि पूरे समुदाय को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। टीबी बीमारी का इलाज़ संभव है लेकिन समय से पहले उसकी जांच अनिवार्य रूप से करानी होगी। इसके साथ ही चिकित्सकों द्वारा परामर्श के अनुसार नियमित रूप से दवा का सेवन भी अतिआवश्यक है। क्योंकि शुरुआती दौर में ही इलाज शुरू करने मात्र से ही इस बीमारी को आसानी से मिटाया जा सकता है। अनावश्यक रूप से परेशानियों का भी सामना नहीं करना पड़ेगा।