किशनगंज : “छोटा परिवार सुखी परिवार” के लिए पुरुष वर्ग को आगे बढ़ने की जरूरत।

परिवार नियोजन के स्थायी साधनों में पुरूष नसबंदी आसान, लोग अस्थायी तकनीकों का भी उठाएं लाभ।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, मिशन परिवार विकास पखवाड़े के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई तरह का भ्रम फैलाया जाता है। लेकिन इस भ्रम को तोड़ते हुए “छोटा परिवार सुखी परिवार” की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए पुरुष वर्ग को आगे आने की आवश्यकता है। जिले में 14 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलने वाले मिशन परिवार विकास अभियान को लेकर में आयोजित पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान गुरुवार को जिले के सदर अस्पताल प्रांगन में आयोजित कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने कही। उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी मामूली शल्य प्रक्रिया द्वारा बहुत ही कम समय में किया जाता है। इसके लिए सीमित संसाधन, बुनियादी ढांचा एवं देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।कार्यक्रम में लोगों को परिवार नियोजन के विभिन्न स्थायी व अस्थायी विकल्पों की जानकारी देते हुए सम्बंधित साधनों के उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। वही बहादुरगंज में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहा उपस्थित एसीएमओ डॉ सुरेश प्रसाद ने बताया परिवार नियोजन सेवाओं को सुलभ बनाकर अनचाहे गर्भ के मामले में 70 फीसदी, मातृत्व मृत्यु दर में 67 फीसदी नवजात मृत्यु दर में 77 फीसदी व प्रसव संबंधी जटिलता के मामलों में दो तिहाई तक कमी लाई जा सकती है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आम लोगों तक परिवार नियोजन संबंधी सेवाओं की आसान पहुंच से ही असुरक्षित गर्भपात के मामलों में कमी आयेगी। इसके साथ ही मातृत्व व शिशु मृत्यु दर में गिरावट, एचआईवी संक्रमण से बचाव, महिला सशक्तिकरण के साथ- साथ सामाजिक व आर्थिक विकास को भी तेज करने में मदद मिलेगी। उक्त कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम, स्वास्थ्य प्रबंधक जुल्ले अशरफ एवं सभी स्वास्थ्य कर्मी, आशा कर्मी व स्थानीय लोग उपस्थित रहे। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम ने कहा कि परिवार नियोजन के स्थायी तरीकों में महिला बंध्याकरण के साथ ही पुरूष नसबंदी भी किया जाता है। पुरूष नसबंदी महिला बंध्याकरण की तुलना में आसान और सुलभ है। इसके बाद भी पुरुषों के पुरुषार्थ में कोई समस्या नहीं होती है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पुरुषों को इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि लोग परिवार नियोजन के अस्थाई तरीके का भी उपयोग कर सकते हैं। इसमें अंतरा, छाया, कॉपर-टी व कंडोम आदि का उपयोग किया जा सकता है। इसके उपयोग से लोग बच्चों के बीच उम्र का अंतर रख सकते हैं। इससे बच्चों की समुचित देखभाल के साथ ही महिलाओं का स्वास्थ्य भी तंदुरुस्त रखा जा सकता है। जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ मुनाजिम ने बताया कि जिले में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा को सफल बनाने के लिए ज़िलें के सभी प्रखंडों को परिवार नियोजन से संबंधित स्थायी तौर पर सुविधाओं का लाभ देने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। महिलाओं के लिए बंध्याकरण एवं पुरुषों के लिए पुरुष नसबंदी की सुविधा दी जानी है। इसके लिए सभी प्रखंडों को पूरे पखवाड़े के दौरान अधिक से अधिक महिला बंध्याकरण के अलावा पुरुष नसबंदी कराने का भी लक्ष्य दिया गया है। महिला बंध्याकरण की अपेक्षा पुरुष नसबंदी सहज एवं सुलभ होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे पुरुषों की पौरुषता में भी कोई कमी नहीं आती है। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बहादुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित परिवार नियोजन कार्यक्रम में कहा कि जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई तरह के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि पखवाड़े के दौरान आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गर्भनिरोधक साधनों में कंडोम एवं गोलियों सहित कई संसाधनों के वितरण को लेकर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती हैं। कई बार ऐसा देखा गया है कि परिवार नियोजन से संबंधित उपायों को अपनाने वाले लाभार्थियों को संकोच होता है। इसलिए अलग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा कंडोम या गर्भनिरोधक गोली के अतिरिक्त पैकेट की आपूर्ति की जाएगी। लाभार्थी बार-बार स्वास्थ्य केंद्र आने या एक से अधिक बार संपर्क करने से बच सकेंगे।



