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फोक सॉन्ग और क्लासिकल वोकल प्रस्तुतियों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/देशभर से आए प्रतिभागियों ने संगीत, नृत्य और नाट्य में दिखाया अनोखा जलवा विविध सांस्कृतिक रंगों से सजा पटना, ‘फोक सॉन्ग ग्रुप’ प्रतियोगिता ने बटोरी खूब तालियां
संगीत और नृत्य के मंच पर बिहार बना देश की संस्कृति का संगम

पटना: बिहार सचिवालय स्पोर्ट्स फाउंडेशन के तत्वावधान में केंद्रीय सिविल सेवा सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा बोर्ड, भारत सरकार के मार्गदर्शन में ‘अखिल भारतीय असैनिक सेवा संगीत, नृत्य एवं लघु नाट्य प्रतियोगिता 2024-25’ का आयोजन आज चौथा दिन था। यह आयोजन उर्जा ऑडिटोरियम, राजवंशी नगर, पटना, बिहार में किया जा रहा है।

मंच संचालन लाडली रॉय और जया अग्रवाल ने किया। शेड्यूल के अनुसार कुल चार विधाओं में प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
पहली विधा जिसमें प्रतियोगिता का आयोजन हुआ ‘कर्नाटक क्लासिकल वोकल’ था। इसमें कुल छह प्रतिभागी थे। समय सीमा 10 मिनट निर्धारित थी। इसी समय सीमा के भीतर प्रतिभागियों को मंच पर अपनी प्रस्तुति सम्पन्न करनी थी। ज्यादातर प्रस्तुतियों में आदिदेव शंकर और विष्णु के विभिन्न अवतारों का बखान सुनने को मिला। प्रस्तुति काफी कर्णप्रिय और दिल को छू लेने वाला था। हाल में श्रोतागण संगीत में डूबते हुए दिखे।

दूसरी विधा जिसमें प्रतियोगिता हुआ वह ‘कर्नाटक लाइट क्लासिकल वोकल’ था। इसमें सात प्रतिभागी थे। पिछली प्रतियोगिता की तरह ही इसमें भी समय निर्धारित था जो कि पांच मिनट था। इस विधा में भी एक पर एक प्रस्तुति सुनने और देखने को मिली। ज्यादातर प्रस्तुति में देवी-देवताओं का बखान अलग-अलग स्वरूपों में प्रस्तुत किया गया।

तीसरी विधा जिसमें प्रतियोगिता हुआ ‘फोक सॉंग सोलो’ था।
इसमें कुल 20 प्रतिभागी थे जिन्होंने अपनी प्रस्तुति बारी-बारी से मंच पर प्रस्तुत किया। इसमें भी पांच मिनट का समय निर्धारण था। इस विधा में भी एक पर एक प्रस्तुति दर्शकों के समक्ष मंच पर प्रस्तुत की गई। प्रस्तुति में सामाजिक संघर्ष, सामुहिक महत्वाकांक्षा, स्थानीय लड़ाई, ऐतिहासिक घटनाक्रम और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को बहुत ही अनोखे अंदाज में फोक गानों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। दिल्ली की गरिमा ने फोक सॉंग के माध्यम से असहयोग आंदोलन में स्त्रियों की सहभागिता कैसे थी, इसको काफी ही बढ़िया तरीके से मंच पर उन्होंने प्रस्तुत किया।

चौथी और अंतिम विधा जिसमें प्रतियोगिता का आयोजन हुआ वह ‘फोक सॉंग ग्रुप’ था। इसमें देश के अलग-अलग राज्यों के कुल 17 ग्रुप ने हिस्सेदारी निभाई।
अलग-अलग राज्यों के स्थानीय परिधान और वेशभूषा से अलंकृत कलाकार जब मंच पर अपनी प्रस्तुति देने को आए तो ऐसा लगा मानो बिहार की राजधानी पटना न होकर देश के अलग-अलग स्थानीय क्षेत्रों में पूरा हॉल तबदील हो गया है। एक साथ वेशभूषा, गान, और क्षेत्रीय अनुभूति से जुड़े शब्द का स्वाद दर्शकों ने उठाया। तालियों की गड़गड़ाहट में कार्यक्रम की सफलता साफ परिलक्षित था।

प्रदीप कुमार खन्ना, संयोजक सांस्कृतिक गतिविधि सीसीएससीएसबी, डीओपीटी बताते हैं कि पूरा कार्यक्रम अपनी तय लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। जैसी अवधारणा थी ठीक उसी दिशा में कार्यक्रम का आयोजन सफलता पूर्वक किया जा रहा है। किसी प्रतिभागी को कोई दिक्कत न हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा हैं। खाने-पीने से लेकर हर व्यवस्था चाक-चौबंद है। स्थानीय सहयोग भी पूरी तरह से मिल रही है। बाहर से लोग आकर यहाँ बहुत खुश हैं और उन्हें एक नई अनुभूति यहाँ आने के बाद प्राप्त हो रहा है। आशा है आने वाले दिनों में भी कार्यक्रम अपने पूरे शबाब के साथ आगे बढ़ेगा।

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