पर्व vs festival

पटना डेस्क:-सनातनी पर्वो में सभी परिवार या समाज वाले मिलते, भजन कीर्तन करते हैं एवं साथ में घाटों या नदियों में स्नान करते हैं। इंग्लिश संविधान होने के कारण, आमजन के मन मस्तिष्क में मातृभाषा का स्थान पर, अंग्रेजी ने लिया, जिसके कारण नदी तालाबों में स्नान करना पूल पार्टी बन गया, कीर्तन पूजा का किटी पार्टी बन गया, कर वहीं सब रहे हैं, जो हमारे पूर्वज कर रहे थे, लेकिन भाषा के कारण जो सात्विक प्रभाव था, वह तामसिक में बदल गया, जिसके कारण सस्कृति व संस्कार नष्ट होकर, सेरेमनी में बदल गया और भारतीयों की नैतिकता का पतन होकर, वह भी पश्चिमी समाज की तरह व्यवहार करने लगे और उनका ध्यान इस ओर कभी न जाये इसलिए, महंगाई, प्याज़, किसान, बेरोजगारी जैसी समस्याएं पैदा की गई और उन्हें दूर करने की राजनैतिक नौटंकी करके, लोगों को भौतिकता द्वारा भृमित करके, सत्ता बनाई गई, लेकिन अंतिम विजय तो सत्य की ही होगी।