किशनगंज : पोठिया एवं टेढ़ागाछ प्रखंड में लगा परिवार नियोजन मेला, लोगों में बांटी गई परिवार नियोजन की अस्थायी सामग्री
अस्थायी साधनों के इस्तेमाल करने से नहीं करें संकोच, परिवार नियोजन में पुरुषों को ठोस रणनीति विकसित करने की जरूरत: सिविल सर्जन

किशनगंज, 31 जुलाई (के.स.)। धर्मेंद्र सिंह, जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए जिले में 27 जून से 31जुलाई के बीच जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत दूसरे चरण में 11 से 31 जुलाई तक परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा आयोजित किया जा रहा है। इसी क्रम में सोमवार को पोठिया एवं टेढ़ागाछ प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवार नियोजन मेला लगाया गया। मेले का उद्घाटन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने किया। मेले में कई तरह के स्टॉल लगे थे। जहां पर लोगों को परिवार नियोजन को लेकर जागरूक करने से लेकर अस्थायी सामग्री तक का वितरण किया गया। मेले में आने वाले लोगों की काउंसिलिंग भी की जा रही थी। इस मौके पर चिकित्सक प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक बीसीएम, अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित हुए। प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक यशवंत कुमार ने बताया कि छोटा और खुशहाल परिवार के लिए परिवार नियोजन को अपनाना बेहद जरूरी है। जब आपका परिवार छोटा होगा तभी आपके पूरे परिवार के सपनों को साकार किया जा सकता है। इसके साथ ही आने वाली पीढ़ियों की उचित देखभाल एवं परवरिश भी की जा सकती है। छोटे बच्चों को सामाजिक स्तर पर रहन-सहन के साथ परवरिश की जाएगी। इसीलिए शादी के साथ ही परिवार नियोजन से संबंधित योजनाओं पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। नियाजन मेला टेढ़ागाछ प्रखंड में स्थाई साधन के अंतर्गत 05 महिलाओं का बंध्याकरण किया गया है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि परिवार नियोजन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार करना है। बेहतर कार्यक्रमों में पुरुष परिप्रेक्ष्य और पुरुष जरूरतों को समझने और शामिल करने के लिए उसी तरह से ठोस रणनीति विकसित करनी होगी, जैसे- महिलाओं के दृष्टिकोण और जरूरतों पर ध्यान दिया जाता है। क्योंकि नियंत्रण के क्षेत्र में बदलाव से बचने के लिए, कार्यक्रमों का लक्ष्य केवल अधिक ही नहीं, बल्कि पर्याप्त पुरुष भागीदारी को शामिल करना होगा। डा. कौशल किशोर ने बताया कि जिले में परिवार स्थिरीकरण पखवाड़े के तहत लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी दी जा रही है। साथ ही साथ लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। खासकर पुरुष नसबंदी को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। दरअसल अभी भी पुरुषों में नसबंदी को लेकर कहीं ना कहीं भ्रम बैठा हुआ है कि नसबंदी के बाद कई समस्या उत्पन्न होती, जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी पूरी तरह से सुरक्षित और महिला बंध्याकरण से कई गुना आसान भी है। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि अस्थायी साधनों के इस्तेमाल से परिवार नियोजन में मदद मिलती है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इसलिए अस्थायी साधनों के इस्तेमाल में किसी तरह का संकोच नहीं करें। कंडोम, कॉपर-टी, अंतरा का उपयोग कर परिवार नियोजन करें। महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पहला बच्चा 20 साल की उम्र के बाद ही पैदा करें। साथ दी दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल जरूर रखें। इससे जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहता है। साथ ही बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। जिससे वह भविष्य में होने वाली किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम होता है। दो बच्चे हो जाने के बाद महिला बंध्याकरण या फिर पुरुष नसबंदी करा सकते हैं। इसे लेकर लगातार कार्यक्रम चलते रहते हैं। कार्यक्रम के तहत सरकारी स्तर पर लोगों को तमाम सुविधाएं दी जाती हैं। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने कहा कि बच्चों में 3 से 5 वर्षो का अंतराल रखने के लिए महिलाओं को पूरी तरह से स्वस्थ होना लाज़िमी है। क्योंकि जब तक महिलाएं स्वस्थ नहीं रहेगी, तब तक बच्चे का लालन पालन ठीक से नहीं कर पाएगी। अंतराल के बाद तंदरुस्त मां एक तंदरुस्त बच्चे को जन्म देगी। जिससे प्रसूता एवं नवजात शिशुओं में जोखिम की संभावना काफी कम हो जाती है। सभी तरह की महिलाओं को निर्णय का अधिकार, बच्चे कब हों और कितनी बार होना चाहिए।