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भोजपुर:-स्थापना के तीन दशक बीत जाने के बाद भी आज तक तरारी प्रखंड का एकलौता महाविद्यालय सड़क सुविधा से वंचित।।….

गर्मी के दिनों में पैदल चलना दूभर वही बरसात के दिनों की कल्पना काल्पनिक

गुड्डू कुमार सिंह :– तरारी। स्थापना काल के 3 दशक बीत जाने के बाद भी आज तक तरारी प्रखंड का एकलौता महाविद्यालय सड़क सुविधा से वंचित है ।सड़क सुविधा नहीं होने के कारण से तरारी ,सहार के सैकड़ों छात्र छात्राओं को आने जाने में काफी असुविधा होती है। जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर तरारी प्रखंड के पूर्वी छोर पर स्थित श्री त्रिंदडी मानस महाविधालय नोनाडीह पनवारी गांव के मध्य में 1972 में स्थापित तरारी प्रखंड का एकलौता महाविद्यालय आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। जहां पैदल पहुंचना भी मुश्किल होता है। इस सड़क के बन जाने से तरारी और सहार के दर्जनों गांव के ग्रामीण भी लाभवान्ति होंगे ।

पनवारी महाविद्यालय के प्राचार्य दयानिधि सिंह के अनुसार इस क्षेत्र से जुड़े लगभग अभी तक के सांसद विधायक को इस समस्या से समय समय अवगत कराया जाता है। यही नहीं पत्राचार के माध्यम से भी इससे संबंधित पदाधिकारियों को भी अवगत कराया जाता है। लेकिन पूर्व में केवल एक विधायिका ज्योति देवी द्वारा इस सड़क के निर्माण हेतु बोल्डर गिट्टी गिराया गया था। लेकिन सड़क आज तक नहीं बन पाया ।ना हि किसी जनप्रतिनिधि द्वारा इस सड़क की सुध ली गई ।वहीं स्थानीय कार्यकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता हरेंद्र सिंह का कहना है कि इस महाविद्यालय की स्थापना सन 1972 में तरारी संहार के पिछड़ेपन को देखते हुए बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए किया गया था ।लेकिन लेकिन तीन दशक बित जाने के बाद भी महाविद्यालय तक सड़क सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाना दुर्माग्य है।जिसे महाविद्यालय तक पहुंचने में छात्र-छात्राओं व शिक्षक शिक्षकेतर कर्मियों को काफी असुविधा महसूस होती है।

वहीं स्थानीय समाजसेवी ददन राम का कहना है कि इस सड़क निर्माण से केवल महाविद्यालय को ही सुविधा नहीं मिलेगी बल्कि पीरो अनुमंडल मुख्यालय से जुड़ने के लिए पनवारी चौरी ,धवरी ,धनंछुहां ,दुल्मचक ,अमहरूआ ,एकवारी ,पेरहाप सहित दर्जनों गांव की दूरी करीब-करीब

5 किलोमीटर कम हो जाएगी।

श्री त्रिदंडी स्वामी मानस महाविद्यालय का दुर्भाग्य है जो आज तक सड़क सुविधा से वंचित है वहीं स्थानीय गिरजा गिरी का कहना है कि दुर्भाग्यवश यह सड़क दशको बाद भी नाही प्रधानमंत्री सड़क योजना नाही मुख्यमंत्री सड़क योजना नहीं ग्राम सड़क योजना के तहत ही जुड़ सका, जहां गर्मी के दिनों में पैदल चलना मुश्किल है वहां बरसात के दिनों की कल्पना काल्पनिक है ।अफसोस शासन प्रशासन की लापरवाही के कारण छात्र-छात्राओं शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मियों एवं ग्रामीणों की उम्मीदें धूमिल हो रही है

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