नामांकन के तीन दिन बीत जाने पर भी किसी भी राजनीतिक दल के उम्मीदवारों का तय न होना लोकतंत्र के लिए चिंताजनक।।….

रणजीत कुमार सिन्हा आज मैं जो बात कहने जा रहा हूँ वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता के हैसियत से नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक और पचास वर्षों से ज्यादा समय से सक्रिय पत्रकारिता के जुड़े रहने के कारण कह रहा हूँ । मैंने 1967 से लेकर अब तक के सभी चुनाव देखें हैं और उनमें सक्रिय रूप से भाग भी लिया है।
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किन्तु, किसी भी चुनाव में अबतक ऐसा नहीं हुआ कि चुनाव आयोग ने नामांकन की तिथि घोषित कर दी और प्रथम चरण के नामांकन के तीन दिन बीत भी गये, लेकिन कोई भी बड़ी राजनीतिक पार्टी अपनी उम्मीदवार ही तय नहीं कर पा रही हैं। अब इसका क्या कारण है मैं नहीं जानता। लेकिन, यह लोकतंत्र के लिए हितकर नहीं है। पहले के समय में एक-एक साल पहले से उम्मीदवार तय होते थे कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। अगर कोई सिटिंग विधायक है तो इस बार उसको टिकट मिलेगा कि नहीं। अतः इस पर सभी राजनीतिक दलों को विचार करना चाहिए और तत्काल ही चुनाव के मैदान में अपने उम्मीदवारों को उतार देना चाहिए। यदि उम्मीदवारों को पर्याप्त समय ही नहीं मिलेगा तो वे अपनी बात जनता तक पहुँचायेंगे कैसे ? और मतदाता कैसे तय कर पायेंगे कि वोट किसे देना है ?