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ईडी की कार्रवाई : आय से अधिक संपत्ति के मामले में धनबाद के कोयला कारोबारी प्रमोद सिंह के ठिकाने पर ईडी की छापेमारी, एनआरएचएम घोटाले से जुड़ा है मामला.

एनआरएचएम घोटाले की जांच पहले कर रही थी एसीबी.

चन्द्र शेखर पाठक

धनबाद (DHANBAD ) : धनबाद में वर्ष 2016 में एनआरएचएम घोटाला के सामने आने के बाद चर्चा में आए तथा उस वक्त मात्र सत्रह हजार रुपए वेतन पाने वाले तत्कालीन संविदा कर्मी प्रमोद सिंह के कई ठिकानों पर ईडी की छापेमारी चल रही है. धनबाद के सरायढेला थाना क्षेत्र के सहयोगी नगर फेज 3 स्थित प्रमोद सिंह के आवास पर अहले सुबह से ही आय से अधिक संपत्ति मामले को लेकर ईडी की टीम छापेमारी कर रही है. पूर्व में स्वास्थ्य विभाग में जोरापोखर में मात्र 17 हजार रुपया के संविदा कर्मी रहते प्रमोद सिंह ने करोड़ों का घपला किया था.

विदित हो कि झरिया के जोड़ापोखर स्वास्थ्य केंद्र में हुए लगभग सात करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले में सरकार पांच साल पहले रेस हुई थी. सरकार के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने इस संबंध में पूर्व सिविल सर्जन डा. शशि भूषण सिंह को 15 अक्टूबर 2021 तक विभाग के समक्ष प्रस्तुत होकर स्पष्टीकरण का जवाब देने को कहा था.

उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि वे समय पर नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ झारखंड पेंशन नियमावली के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. उन्हें पेंशन के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है. विद्यानंद शर्मा ने कहा था कि एनआरएचएम घोटाले में पूर्व सिविल सर्जन डा. शशि भूषण सिंह और डा. अरुण कुमार सिन्हा के अलावे एसीबी ने दस अन्य आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. प्रथमदृष्टया इनके खिलाफ साक्ष्य सही पाया गया है.

संयुक्त सचिव के अनुसार दो सितंबर 2021 को डॉ शशिभूषण के नियुक्ति पत्र में अंकित पते पर स्पष्टीकरण समर्पित करने के लिए पत्र भेजा गया था, लेकिन वह पत्र लौट आया. डाक विभाग को वहां ताला लगा मिला. डॉ. शशिभूषण का जवाब विभाग को नहीं मिल पाया था.

सात करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले की मीडिया प्रकाशित हुई खबर में बताया गया था कि इस घोटाले के एक आरोपित अश्विनी शर्मा को स्वास्थ्य विभाग ने दोबारा नौकरी पर रख लिया है. खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ विभाग हरकत में आ गया और आरोपित कर्मी अश्विनी शर्मा को नौकरी से हटा किया था.

एनआरएचएम घोटाला वर्ष 2016 में प्रकाश में आया था. इसके बाद वर्ष 2019 से एसीबी ने जांच शुरू की थी. मुख्य आरोपी प्रमोद सिंह के साथ एसीबी ने दो पूर्व सिविल सर्जन समेत 10 कर्मियों को आरोपी बनाकर 2019 में मामला दर्ज किया. एसीबी ने माना कि दोनों पूर्व सिविल सर्जनों की अनदेखी के कारण इतनी बड़ी राशि का गबन हुआ .ईडी की कार्रवाई : आय से अधिक संपत्ति के मामले में धनबाद के कोयला कारोबारी प्रमोद सिंह के ठिकाने पर ईडी की छापेमारी, एनआरएचएम घोटाले से जुड़ा है मामला.

एनआरएचएम घोटाले की पांच पहले कर रही थी एसीबी.

धनबाद (DHANBAD ) धनबाद में वर्ष 2016 में एनआरएचएम घोटाला के सामने आने के बाद चर्चा में आए तथा उस वक्त मात्र सत्रह हजार रुपए वेतन पाने वाले तत्कालीन संविदा कर्मी प्रमोद सिंह के कई ठिकानों पर ईडी की छापेमारी चल रही है. धनबाद के सरायढेला थाना क्षेत्र के सहयोगी नगर फेज 3 स्थित प्रमोद सिंह के आवास पर अहले सुबह से ही आय से अधिक संपत्ति मामले को लेकर ईडी की टीम छापेमारी कर रही है. पूर्व में स्वास्थ्य विभाग में जोरापोखर में मात्र 17 हजार रुपया के संविदा कर्मी रहते प्रमोद सिंह ने करोड़ों का घपला किया था.

 

 

विदित हो कि झरिया के जोड़ापोखर स्वास्थ्य केंद्र में हुए लगभग सात करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले में सरकार पांच साल पहले रेस हुई थी. सरकार के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने इस संबंध में पूर्व सिविल सर्जन डा. शशि भूषण सिंह को 15 अक्टूबर 2021 तक विभाग के समक्ष प्रस्तुत होकर स्पष्टीकरण का जवाब देने को कहा था.

 

उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि वे समय पर नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ झारखंड पेंशन नियमावली के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. उन्हें पेंशन के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है. विद्यानंद शर्मा ने कहा था कि एनआरएचएम घोटाले में पूर्व सिविल सर्जन डा. शशि भूषण सिंह और डा. अरुण कुमार सिन्हा के अलावे एसीबी ने दस अन्य आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. प्रथमदृष्टया इनके खिलाफ साक्ष्य सही पाया गया है.

 

संयुक्त सचिव के अनुसार दो सितंबर 2021 को डॉ शशिभूषण के नियुक्ति पत्र में अंकित पते पर स्पष्टीकरण समर्पित करने के लिए पत्र भेजा गया था, लेकिन वह पत्र लौट आया. डाक विभाग को वहां ताला लगा मिला. डॉ. शशिभूषण का जवाब विभाग को नहीं मिल पाया था.

 

सात करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले की मीडिया प्रकाशित हुई खबर में बताया गया था कि इस घोटाले के एक आरोपित अश्विनी शर्मा को स्वास्थ्य विभाग ने दोबारा नौकरी पर रख लिया है. खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ विभाग हरकत में आ गया और आरोपित कर्मी अश्विनी शर्मा को नौकरी से हटा किया था.

 

एनआरएचएम घोटाला वर्ष 2016 में प्रकाश में आया था. इसके बाद वर्ष 2019 से एसीबी ने जांच शुरू की थी. मुख्य आरोपी प्रमोद सिंह के साथ एसीबी ने दो पूर्व सिविल सर्जन समेत 10 कर्मियों को आरोपी बनाकर 2019 में मामला दर्ज किया. एसीबी ने माना कि दोनों पूर्व सिविल सर्जनों की अनदेखी के कारण इतनी बड़ी राशि का गबन हुआ .

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