चीन और पाकिस्तान से भी बड़े दुश्मन हैं ई० जोशी?

ब्रजेश मिश्र उरवार- संपादक-आज की तारीख में भारत देश में ई० संजय विनायक जोशी जैसा दूसरा कोई # माई का लाल # नहीं है जो किसी भी पद पर नहीं हो और उसके यहां केंद्रीय मंत्री और सांसद से 10 गुणा ज्यादा भीड़ लगती हो। वर्तमान समय की “संक्रमित भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ” ई० साहेब से इतनी नफरत क्यो करती है, यह सवाल सकारात्मक सोच वालों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। कहीं 1988 से 1998 का कार्यकाल का “बदले का शिकार” तो नहीं हो रहे हैं जोशी? आप राजनीति या सामाजिक सेवा क्षेत्र से जुड़े होंगे तो आप ई० संजय विनायक जोशी को अवश्य जानते होंगे। क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, द्वेष, दुर्भावना से विपरीत त्याग, बलिदान, धैर्य, निस्वार्थ सेवा, समर्पण और परोपकार के लिए भारत के गाँव – गाँव में अपनी विलक्षण प्रतिभा के बदौलत पहचान रखने वाले भारत माँ के सपूत ई० संजय विनायक जोशी से गोतिया की तरह नफरत क्यों कर रहे हैं, PM नरेन्द्र दामोदर दास मोदी? खून पसीने से संघ और भाजपा को सींचने वाला संजय जोशी का गुनाह क्या है? क्या पाप किया है संजय जोशी ने? क्या ब्राह्मण होना अभिश्राप बन गया जोशी के लिए? अपने वाक्यपटुटा के कारण बगैर किसी पद के आज भी संजय जोशी के चाहने वाले करोडों में हैं, उनके विचारों के साथ। चाटूकारों और अंधभक्तों को यह लगता है कि इतनी प्रतिष्ठा का हनन होने के बाद भी श्री जोशी ने भाजपा को क्यों नहीं छोड़ा जबकि आज MP तो छोड़िए MLA का टिकट नहीं मिलने पर नई पार्टी का गठन हो जाता है? आज समर्पित कार्यकर्ता पर अंधभक्त हावी हो चुके हैं जिसकी वजह से साख गिरी है, भले ही सत्ता पर पार्टी काबिज है। one man party बन चुकी है BJP। नरेन्द्र मोदी PM बन गए और जोशी गुमनाम जीवन जीने को विवश हैं लेकिन किसी दूसरी पार्टी की ओर झांकते तक नहीं। समुंद्र में जब तूफान आता है उसके परिणाम से सभी परिचित हैं लेकिन जोशी वैसा समुंद्र हैं जिसकी लहरें कब सुनामी का रूप लेगी कोई नहीं जानता।ई० साहेब के राजनीतिक कद को छोटा दिखाने के लिए 2005 से सीडी स्कैंडल का खेल खेला गया, दुनिया के साथ BJP और RSS भी जानता है कि यह मिसाइल कहाँ से दागा गया है। जिसकी कामयाबी रोकी नहीं जा सकती उसको बदनाम करने के लिए सीडी बनाने की साजिश की गई लेकिन सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं और बेदाग साबित हुए ई० साहेब। अविवाहित हैं किसी को सात जन्म तक साथ निभाने का वचन देकर छोड़ नहीं दिया है। अंधभक्त मोदी की माँ का चश्मा का डंडी खराब है, प्लास्टर टूटा हुआ दिखाकर सहानुभूति दिखाने वाले कभी एलसीडी TV नहीं दिखाते। पार्टी को अंधभक्त घुन की तरह चाट रहे हैं और राजा धनानंद की तरह सिर्फ चाणक्य से बदले की भावना की आग में जल रहा है। जब विप्र शिरोमणि नीतिन गडकरी ने 2012 में श्री जोशी को पार्टी में स्थान दिया तो इसके बाद क्या क्या जंग हुआ है, यह गूगल बता देगा। इस प्रकार बदले की भावना तो भारत चीन और पाकिस्तान के साथ भी नहीं रखता। जितना सर्जकिल स्ट्राइक जोशी पर हुआ, अगर दूसरा होता तो टूटकर बिखर गया होता। 2012 में गडकरी का जोशी का साथ देना भी महंगा पड़ा और गडकरी भाजपा के बेहद अनुभवी योग्यता वाले हैं लेकिन तड़ीपार मित्र को गृहमंत्री बनाया गया। 09 वर्ष पहले बिहार के भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने यह कहा था कि पार्टी को हाईजैक करने की कोशिश की जा रही है तथा जिस प्रकार संजय विनायक जोशी को कार्यकारणी से इस्तीफा दिलवाया गया, वह कदापि उचित नहीं है। मौका हाथ लगते मोदी भी बिहार से साफ हो गए।
अर्जुन मुंडा को भी झारखण्ड से बदले की भावना से हरवाया गया था ताकि 30 मिनट इंतजार करवाने का दंड क्या होता है समझ सकें और प्रदेश से बाहर कर दिया गया केंद्र में मंत्री बनाकर। बदले की आग में झुलस रहे अंधभक्तों के चाचा और काका अप्रत्यक्ष रूप से जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। MP, MLA, MLC का टिकट और पार्टी में पद पाने की लालसा रखने वाले तुम वर्तमान दौर के पक्के राजनीतिक व्यवसायी हो पर राजनेता नहीं। जब ई० संजय विनायक जोशी को एक दशक से अधिक समय से संघर्ष करना पड़ रहा है तो तुम किस खेत की मूली हो? ई० जोशी अगर क्षत्रिय या महादलित होते तो बदले की भावना का करारा जवाब मिल चुका होता लेकिन विप्र कुल में जन्म लेने का दंश आज उन्हें झेलना पड़ रहा है। 2014 के बाद विप्रों की हालत सार्वजनिक है। चाणक्य की कूटनीति का बदला चीन और पाकिस्तान ले तो बात समझ मे आती है परन्तु …।
विभिन्न प्रकार के राजनीतिक प्रताड़ना के बाद भी ई० जोशी के द्वारा खींची गई लकीरें उनके बुनियाद को नहीं हिला सकी। दुश्मनी का स्तर नीचता के हद पार कर चुका है क्योंकि जो भी सांसद, मंत्री, पदाधिकारी मदद करता है या कार्यालय चलाने की जगह देता है उसका पत्तन कर दिया जाता है। एक पुरानी कहावत है ^^दशा 10 वर्ष बहुत त 20 वर्ष^^ वक्त बदलता है यह भारतीय राजनीति देख रहा है कि देश को आजाद कराने वाले किस प्रकार किनारे लग चुके हैं। आज 2 लोगों की पार्टी है और कोई तीसरा ताल ठोककर निर्णय नहीं ले सकता है, भले हीं अंधभक्ति में इस बात को न स्वीकार करें।
महाराष्ट्र प्रदेश के नागपुर में ब्राह्मण परिवार में जन्मे संजय जोशी राजनीति के चाणक्य के साथ – साथ मैकेनिकल इंजीनियर भी हैं। सादगी इनकी पहचान है, यह इनको जानने वाले बखूबी जानते हैं। वही करते हैं, जो कहते हैं और वही कहते हैं, जिसको अपने जीवन मे करते हैं। आखिर क्या है ई० जोशी में की लोग इनके पास करोड़ो की संख्या में बिना किसी पद के पहुंचते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी माने जाने वाले ई० जोशी कार्यकर्ताओं के लिए वीर हनुमान हैं। दुर्भाग्य यही है कि फिलहाल इनके पास जामवंत और सुग्रीव जैसे सहयोगी पार्टी में नहीं दिखते और जो मदद करने की इच्छा रखता है, वह बाली की डर ( मदद करते ही पड़ का परित्याग ) की वजह से भीष्म पितामह बन जाता है । मैं यह जानता हूं कि मोदी – जोशी एक होंगे लेकिन मैंने विप्र की पीड़ा को दर्शाने की कोशिश मात्र भर की है। आज भगवान की भक्ति नहीं राजनेताओं की अंधभक्ति होने लगी है जिसका मुआवजा प्रकृति सुध समेत लौटा रही है।
क्षमा करेंगे अगर किसी को दिल पर लगा हो तो………।
ब्रजेश मिश्र उरवार पटना, बिहार -9431073769 Editor Brajesh Mishra www.kewalsach.com www.kewalsachtimes.com#sanjayjoshi #nrendramodi #bjpnewdelhi #bjpbihar #amitshah #bjpjharkhand #nitingadkari #rss #nagpur #bjpgujrat #bjpup #bjpodisa #bhartiymajdursangh #abvp #sushilkumarmodi #Bihar #Patna #gaya #darbhanga #bhagalpur #education #teacher #student #coching #college #school #india #cairier
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