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3500 पैसेंजर ट्रेनें बंद करने का फैसला वापस ले सरकारः भाकपा।…

कुणाल कुमार/भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने भारतीय रेलवे द्वारा लोकल पैसेंजर ट्रेनों को बंद करने के फैसले को जन विरोधी करार दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार से पैसेंजर ट्रेन को बंद करने के फैसले को वापस लेने की मांग की।
भाकपा राज्य सचिव ने बयान जारी कर कहा कि रेल मंत्रालय ने 200-350 किलोमीटर के बीच चलने वाली लगभग 3500 यात्री ट्रेनों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का निर्णय लिया है। इन ट्रेनों के स्थान पर महंगी बंदे भारत एक्सप्रेस चलाने का फैसला लिया है। पैसेंजर ट्रेनों का बंद करना जन विरोधी फैसला है। पैसेंजर ट्रेनों से अधिकांश गरीब, मजदूर, छात्र, नौजवान सफर करते हैं। पैसेंजर ट्रेनों के मुकाबले बंदे भारत एक्सप्रेस का किराया काफी महंगा है। गरीब, किसान, मजदूर, छात्र आदि महंगे वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रा नहीं कर सकते हैं। जिन लोकल पैसेंजर ट्रेनों को बंद करने का फैसला लिया गया है, उसमें रोजाना करीब 56 लाख यात्री सफर करते हैं।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि कोरोना काल में हजारों पैसेंजर ट्रेनों को बंद कर दिया गया था जिसका अभी तक परिचालन शुरू नहीं हुआ है। वरिष्ठ नागरिक को मिलने वाली सुविधाओं को भी बंद कर दिया गया है। केंद्र की मोदी सरकार सभी फैसला पूंजीपतियों के हित में लेती है। जिसका ताजा उदाहरण पैसेंजर ट्रेनों का बंद करना है।

भाकपा राज्य सचिव ने केंद्र सरकार से पैसेंजर ट्रेनों को बंद करने के फैसलें का वापस लेने और कोरोना काल में बंद किये गए सभी पैसेंजर ट्रेनों का पुनः परिचालन शुरू करने की मांग की है।

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