किशनगंज : बिहार दिवस के मुख्य कार्यक्रम में पोषण जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर डीपीओ ने किया रवाना।

उचित पोषण से एनीमिया पर नियंत्रण संभव।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, पोषण की सही जानकारी देने और पोषण के प्रति जागरूक करने के लिए (आईसीडीएस) द्वारा 20 मार्च से 03 अप्रैल तक पोषण पखवाड़ा के रूप में मनाया जा रहा है। इसी क्रम में बिहार दिवस के उपलक्ष्य में जिले के बिहार दिवस के मुख्य कार्यक्रम स्थल से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुमन सिन्हा ने पोषण जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने बताया कि बच्चों में दुबलापन तथा महिलाओं एवं बच्चों में एनीमिया हमारे लिए चुनौती है। इसमें सुधार लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पोषण पखवाडा के दौरान लोगों को पोषण संबंधी जानकारी देने के लिए जिले के अलग अलग क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह में आईसीडीएस डीपीओ सुमन सिन्हा, पोषण अभियान जिला समन्यवक मंजूर आलम, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना के जिला समन्यवक सहबाज आलम, सभी सीडीपीओ, अन्य महिला पर्यवेक्षिका एवं स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे। उक्त कार्यक्रम में डीपीओ के द्वारा गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की रस्म भी की गयी। मंगल गीतों से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया और गर्भवती महिला को उपहार स्वरूप पोषण की पोटली दी गई। इस पोटली में गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, आयरन की गोली, पोषाहार व फल आदि शामिल थे। महिलाओं को उपहार स्वरूप पोषण की थाली भी भेंट की गयी। जिसमें सतरंगी व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ शामिल थे। गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर गोदभराई रस्म पूरी की गई। सभी महिलाओं को अच्छी सेहत के लिए पोषण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी गई। इस सम्बंध में बताया गया कि पोषण के पांच सूत्र तैयार किये गये हैं। पहला सुनहरा 1000 दिन, डायरिया प्रबंधन, पौष्टिक आहार, स्वच्छता एवं साफ-सफाई, एनिमिया प्रबंधन शामिल है। बिहार दिवस कार्यक्रम में स्टाल में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि बेहतर पोषण लोगों के अच्छे स्वास्थय के लिए आवश्यक है। इसकी जानकारी सभी लोगों को होना जरूरी है। पोषण जागरूकता रथ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर पोषण के लिए लोगों को जागरूक करेगा। आम लोगों को भी किसी तरह के पोषण सम्बन्धी जानकारी के लिए स्थानीय आंगनबाड़ी केंद्रों पर परामर्श लेना चाहिए ताकि उनका बच्चा या परिवार की गर्भवती महिलाओं को बेहतर पोषण मिले और वे स्वस्थ रह सकें।