*दिव्य जीर्णोद्धार फाउंडेशन ने मनाया – “गीता जयंती और विश्व एड्स दिवस”*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, ::समाज सेवा, सांस्कृतिक उत्थान और मानवीय संवेदनाओं के क्षेत्र में सक्रिय ‘दिव्य जीर्णोद्धार फाउंडेशन’ ने इस वर्ष एक अनूठी मिसाल पेश की है। फाउंडेशन ने गीता जयंती और विश्व एड्स दिवस को एक साथ मनाकर यह साबित किया है कि आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य, दोनों ही मानव जीवन के दो अनिवार्य स्तंभ हैं। इस कार्यक्रम में न केवल अध्यात्म का प्रकाश फैलाया गया है, बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य जागरूकता का सार्थक संदेश भी दिया गया है।
कार्यक्रम में फाउंडेशन के अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार सिन्हा, निदेशक डॉ. राकेश दत्त मिश्र, सुनीता पाण्डेय, प्रेम सागर पाण्डेय, सुरेन्द्र कुमार रंजन और डॉ. ऋचा दुबे सहित अनेक गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने दोनों दिवसों के महत्व पर सारगर्भित विचार रखे।
वक्ताओं ने श्रीमद्भगवद्गीता को केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की अद्भुत कला बताया। गीता के ‘कर्मयोग’ और ‘निस्वार्थ सेवा’ के सिद्धांतों को समाज सुधार का आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी के लिए गीता का संदेश अत्यंत प्रासंगिक है।
फाउंडेशन के अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार सिन्हा ने कहा कि अज्ञानता का नाश और ज्ञान का प्रकाश ही गीता का मूल उद्देश्य है, जो हर युग में समाज को दिशा देता रहा है।
कार्यक्रम में एड्स से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने पर विशेष बल दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि एड्स केवल एक बीमारी नहीं है, बल्कि जागरूकता की कमी से उत्पन्न समस्या है। निदेशक डॉ. राकेश दत्त मिश्र ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग एड्स से जुड़े मिथकों और गलतफहमियों में जीता है। ऐसे में जागरूकता फैलाना ही सबसे शक्तिशाली उपाय है। डॉ. ऋचा दुबे और सुनीता पाण्डेय ने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को मजबूत रखने की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए कहा कि स्वस्थ समाज का आधार केवल शरीर नहीं, बल्कि मन और आत्मा भी है।
कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण यह रहा कि गीता का ज्ञान और एड्स जागरूकता, दोनों को एक ही मंच पर जोड़कर ‘ज्ञान ही मुक्ति है’ के सिद्धांत को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया गया।
प्रेम सागर पाण्डेय और सुरेन्द्र कुमार रंजन ने उपस्थित जनसमूह को प्रेरित करते हुए कहा कि समाज के हर वर्ग को आगे आकर इन दोनों संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
फाउंडेशन की इस पहल ने यह स्पष्ट कर दिया कि आध्यात्मिक जागृति और स्वास्थ्य चेतना दोनों मिलकर ही एक आदर्श और सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकता है। इस प्रकार ‘दिव्य जीर्णोद्धार फाउंडेशन’ का यह अनूठा कार्यक्रम समाज में नए विचार, नई ऊर्जा और नई दिशा देने वाला सिद्ध हुआ।
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