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पटना समाहरणालय में जिला जनता दरबार का आयोजन, जिलाधिकारी ने 57 परिवादियों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी

अनेक मामलों का ‘ऑन द स्पॉट’ निष्पादन
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पदाधिकारीगण *पारदर्शिता, उत्तरदायित्व एवं संवेदनशीलता के साथ जन–शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण समाधान करें: ज़िलाधिकारी ने दिया निदेश*
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त्रिलोकी नाथ प्रसाद/पटना समाहरणालय में जिला जनता दरबार कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिलाधिकारी, पटना डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने 57 परिवादियों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी तथा समाधान हेतु पदाधिकारियों को निर्देशित किया। अनेक मामलों का ‘ऑन द स्पॉट’ निष्पादन किया गया।

आवेदक संजय कुमार, पता–राजापुल मैनपुरा गेट नंबर –36 थाना– पाटलिपुत्रा,पटना द्वारा जमाबंदी की विवरणी उपलब्ध कराने के सम्बन्ध मे आवेदन दिया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा अंचल अधिकारी, पाटलिपुत्रा को नियमानुसार त्वरित गति से कार्यवाही करते हुए मामले को निष्पादित करने का निर्देश दिया गया।

आवेदिका उर्मिला देवी, ग्राम–नरौली पोस्ट–सिंगोड़ी जिला– पटना द्वारा जमीन का जमाबंदी अनलॉक करने के सम्बन्ध में आवेदन दिया गया। जिलाधिकारी द्वारा अंचलाधिकारी, फुलवारीशरीफ को तीव्र गति से कार्यवाही करते हुए मामले को निष्पादित करने का निर्देश दिया गया।

आवेदिका शीला देवी, ग्राम जमनपुरा पंचायत उसफा प्रखंड फतुहा द्वारा जीविका महिला ग्राम संगठन के सम्बन्ध में आवेदन दिया गया। जिलाधिकारी द्वारा जिला प्रोग्राम मैनेजर, जीविका, पटना को आवश्यक कारवाई हेतु निदेशित किया गया।

आवेदक पप्पू चौधरी, मोहल्ला –नई सड़क –नवाब बहादुर रोड़, थाना ख़ाजेकलां, पटना द्वारा सरकारी जमीन और नाला को भरकर भू –माफिया द्वारा बेचे जाने के बारे में आवेदन दिया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा अंचल अधिकारी, दीदारगंज को आवश्यक कारवाई करते हुए मामले को निष्पादित करने के लिए निर्देशित किया गया।

दुल्हिन बाजार की एक आवेदिका ने मार– पीट के संबंध में शिकायत की थी। जिलाधिकारी द्वारा वरीय पुलिस अधीक्षक, पटना को विधिवत एवं त्वरित गति से आवश्यक कार्रवाई हेतु आवेदन अग्रसारित किया गया।

जिलाधिकारी ने सभी शिकायतों पर संबंधित पदाधिकारियों को शीघ्र विधिवत कार्रवाई कर कृत कार्रवाई प्रतिवेदन देने का आदेश दिया। उन्होने कहा कि अगर किसी पदाधिकारी द्वारा जान-बूझकर मामले को लंबित रखा जाता है तो उसके विरूद्ध कठोर अनुशासनिक एवं विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

ज़िलाधिकारी ने कहा कि *पदाधिकारीगण जनहित के मामलों को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। पारदर्शिता, उत्तरदायित्व एवं संवेदनशीलता के साथ जन–शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण समाधान* करें।

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