जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना द्वारा बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित।…
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त्रिलोकी नाथ प्रसाद/जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना द्वारा आज नया समाहरणालय में जिले के सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (यथा संशोधित 2021), लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो अधिनियम) तथा बाल संरक्षण से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधानों की जानकारी प्रदान करना था, जिससे सभी पुलिस पदाधिकारी बाल संरक्षण मामलों को अधिक संवेदनशीलता एवं प्रभावी रूप से निष्पादित कर सकें ।
कार्यक्रम में जिलाधिकारी पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों को बच्चों से संबंधित कानूनों को आत्मसात करने और उनके प्रभावी अनुपालन की आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने कहा कि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा पुलिस प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है और पुलिस अधिकारियों को बाल-अनुकूल दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार, पुलिस थाने में बच्चों से पूछताछ के लिए एक बाल-अनुकूल वातावरण तैयार करने की आवश्यकता बताई, जिससे बच्चों को यह अनुभव न हो कि वे हिरासत में हैं। उन्होंने सभी थानों में चाइल्ड फ्रेंडली कॉर्नर स्थापित करने का निर्देश दिया । उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि वैसे बच्चे जो विधि विवादित हैं, उन्हें इस व्यवस्था का गलत फायदा उठाने से रोका जाए। हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि कुछ वयस्कों द्वारा किशोर न्याय अधिनियम का दुरुपयोग किया गया है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हुई है। ऐसे मामलों में सावधानीपूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को विशेष रूप से बच्चों एवं वयस्कों से जुड़े प्रावधानों की जानकारी दी गयी, ताकि वे देखरेख एवं संरक्षण वाले बच्चों तथा विधि विरुद्ध बच्चों को स्पष्ट रूप से अलग पहचान सकें और उनके मामलों को संवेदनशीलता के साथ निपटाया जा सके। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि बच्चों के मामलों को अन्य मामलों से अलग रखते हुए कार्य किया जाए और पूर्ण रूप से नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
प्रशिक्षण कार्यशाला को संवादात्मक बनाए रखने पर जोर देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि यह वन-वे कम्युनिकेशन तक सीमित न रहे, बल्कि सभी प्रतिभागी अपने अनुभव, चुनौतियाँ और सवाल खुलकर साझा करें। उन्होंने फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों से कहा कि यदि उन्हें किसी प्रकार की देरी या समस्या का सामना करना पड़ता है, तो वे इसे प्रशिक्षण सत्र के दौरान रखें, ताकि उसका समाधान निकाला जा सके।
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य सभी कर्मियों को संवेदनशील बनाना और बच्चों से जुड़े मामलों में न्यायसंगत एवं प्रभावी निर्णय लेने के लिए सक्षम बनाना है। जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पूरे समर्पण और संवेदनशीलता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें, जिससे बच्चों को न्याय एवं संरक्षण मिल सके।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पटना ने बताया कि बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों को मामलों की प्रकृति के अनुसार प्राथमिकी दर्ज करने, सोशल बैकग्राउंड रिपोर्ट (SBR) तैयार करने और बच्चों का चरित्र प्रमाण पत्र नियमानुसार जारी करने की प्रक्रिया को भली-भांति समझना आवश्यक है । जिलाधिकारी, पटना ने सभी प्रशिक्षुओं को निर्देश दिया है कि किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) एवं पोक्सो एक्ट (POCSO Act) से संबंधित विशेष शब्दावली, नियमावली एवं न्यायायिक प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी जाए। इसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मियों को सक्षम बनाना और कानूनी अनुपालन को सुगम बनाना है।
उप विकास आयुक्त पटना, श्री समीर सौरभ द्वारा बताया गया कि प्रोफेशनल विशेषज्ञों के माध्यम से सभी जिलों के थाना प्रभारी एवं बाल विकास, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विभिन्न आदेशों एवं जेजे एक्ट (Juvenile Justice Act) व पोक्सो एक्ट (POCSO Act) से संबंधित जानकारी को विस्तारपूर्वक साझा करना है। उन्होंने बताया कि जब बच्चों के अधिकारों एवं कानूनी प्रावधानों की पूरी जानकारी नहीं होती, तो कई जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मामलों की केस-आधारित हैंडलिंग को सरल बनाना एवं अधिकारियों को व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करना है, ताकि वे जमीनी स्तर पर बेहतर कार्य कर सकें। प्रशिक्षण सत्र के उपरांत सभी प्रतिभागियों को फीडबैक फॉर्म उपलब्ध कराया गया है, जिसके माध्यम से यह आकलन किया जाएगा कि प्रशिक्षण कितना प्रभावी रहा और भविष्य में इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए किन सुधारों की आवश्यकता है।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बाल संरक्षण प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बाल अधिकारों की सुरक्षा एवं न्याय सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगा।
कार्यक्रम में सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना ने कहा कि बच्चों के प्रति पुलिस अधिकारियों को अभिभावक की भूमिका निभानी चाहिए और संवेदनशीलता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।
कार्यक्रम में डॉ. संगीता कुमारी, सदस्य, किशोर न्याय बोर्ड (JJB) ने कहा कि विधि संघर्षरत एवं देखरेख एवं संरक्षण वाले बच्चों के समुचित देखरेख, पुनर्वास, संरक्षण, उपचार एवं विकास को सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से आह्वान किया कि वे विधि संघर्षरत बच्चों को अपराध की ओर बढ़ने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं।
यूनिसेफ के परामर्शी, श्री राकेश कुमार ने किशोर न्याय अधिनियम, पॉक्सो अधिनियम, बाल विवाह अधिनियम एवं अन्य कानूनों के विभिन्न प्रावधानों को समझाने के साथ-साथ जमीनी स्तर पर कार्य के दौरान आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि चाइल्ड वेलफेयर पुलिस ऑफिसर (CWPO) की भूमिका को प्रभावी बनाने के लिए पुलिस को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है ।
इस प्रशिक्षण में जिले के कुल 120 से ज्यादा प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यक्रम के माध्यम से बाल संरक्षण से जुड़े कानूनों की गहन जानकारी प्रदान कर बाल अपराध निवारण एवं पीड़ित बच्चों के पुनर्वास को अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया। प्रशिक्षण में पुलिस अधिकारियों को बाल-अनुकूल दृष्टिकोण, संवेदनशील व्यवहार तथा कानूनी प्रक्रियाओं के समुचित अनुपालन की विस्तृत जानकारी दी गई, जिससे वे बाल संरक्षण मामलों को अधिक कुशलता एवं संवेदनशीलता से निष्पादित कर सकें। साथ ही उन सभी प्रशिक्षुओ का फीडबैक प्राप्त किया गया ताकि भविष्य में इस कार्यशाला को और बेहतर बनाया जा सके ।
इस अवसर पर डॉ० चंद्रशेखर सिंह, जिला पदाधिकारी, पटना, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पटना, वरीय पुलिस अधीक्षक, पटना, श्री समीर सौरभ, उप विकास आयुक्त, पटना, सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना, यूनिसेफ एवं मिरेकल फाउंडेशन इंडिया से आए विशेषज्ञ श्री राकेश कुमार एवं दीपक कुमार सहित जिला बाल संरक्षण इकाई एवं चाइल्ड हेल्पलाइन के कर्मी ,सभी बाल देख रेख संस्थान के अधीक्षक/अधिक्षिका ,किशोर न्याय परिषद के सदस्य ,बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष , सभी सदस्य तथा जिले के सभी थानों के थाना प्रभारी/बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी उपस्थित रहे ।
प्रशिक्षण उपरांत धन्यवाद व्यापित करते हुए सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना ने कहा कि बच्चों के प्रति पुलिस अधिकारियों को अभिभावक की भूमिका निभानी चाहिए और संवेदनशीलता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।