जीविका दीदियों की वार्षिक आमसभा संपन्न: साल भर की उपलब्धियों पर चर्चा, आगे की योजनाओं का खाका तैयार

किशनगंज/बहादुरगंज/ दिघलबैंक,23सितम्बर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह,
जीविका से जुड़ी महिलाओं की भागीदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। इसी क्रम में मंगलवार को बहादुरगंज प्रखंड के छोटी झिलझिली पंचायत अंतर्गत उमंग जीविका महिला विकास सहकारी स्वावलंबी समिति लिमिटेड तथा दिघलबैंक प्रखंड स्थित रौनक जीविका महिला विकास सहकारी समिति लिमिटेड में वार्षिक आमसभाओं का आयोजन किया गया।
बहादुरगंज में उमंग संकुल संघ की आमसभा
बहादुरगंज स्थित उमंग संकुल संघ में आयोजित आमसभा में जिला पदाधिकारी विशाल राज ने जीविका दीदियों को संबोधित करते हुए कहा कि, “ग्रामीण महिलाएं घर की दहलीज से बाहर निकलकर सामुदायिक संगठन को मजबूती प्रदान कर रही हैं। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत प्रत्येक परिवार की एक महिला को स्वरोजगार के लिए सहायता राशि दी जा रही है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी।”
डीपीएम जीविका अनुराधा चंद्रा ने कहा कि जीविका के माध्यम से महिलाएं स्वरोजगार की दिशा में बढ़ रही हैं और इससे समाज में उनका सम्मान भी बढ़ा है।
इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी सुरेन्द्र तांती, बीपीएम वरुण कुमार जयसवाल, प्रशिक्षण अधिकारी श्रीति दास, मो. आरिफ हुसैन, जीविका कर्मी रानी और कोनिका भी उपस्थित थीं।
आमसभा में सीएलएफ की अध्यक्ष बसंती देवी, सचिव रामवती देवी, कैडर मंसबी बेगम, सोनम कुमारी, मंजु कुमारी, हेमलता देवी, रवि, मनोज, रिजवान और सत्यनारायण ने वर्ष 2024-25 में हुए कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही भविष्य की कार्य योजनाओं पर सुझाव आमंत्रित किए गए।
दिघलबैंक में रौनक समिति की आमसभा
वहीं दिघलबैंक प्रखंड में आयोजित आमसभा में रौनक जीविका महिला विकास सहकारी समिति लिमिटेड की अध्यक्ष आलिस किस्कू ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में समिति द्वारा किए गए कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि समिति से 798 जीविका स्वयं सहायता समूह जुड़े हुए हैं, जिनके माध्यम से 10,250 परिवारों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
कार्यक्रम में प्रबंध जीविका शांतनु ठाकुर, बीपीएम प्रदीप कुमार चौधरी, जीविका कर्मी सुनील, काजल, बुलबुल, गीता व निरंजन उपस्थित थे।दोनों आमसभाओं में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली और भविष्य की योजनाओं पर ठोस रणनीति बनाई गई। इन आयोजनों ने यह स्पष्ट कर दिया कि जीविका के माध्यम से महिलाएं केवल आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी सशक्त हो रही हैं।