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किशनगंज : जिले में 10 लाख 80 हजार 178 बच्चों को खिलाई जाएगी कृमि मुक्ति की दवा

छूटे हुए बच्चों को मॉपअप राउंड द्वारा 19 मार्च को विद्यालय में ही कृमि नियंत्रण की दवाई खिलायी जाएगी। आंगनबाड़ी केंद्रों तथा पोषक क्षेत्र में बच्चों को खिलायी जाएगी दवा, दो साल तक के बच्चों को आधा टैबलेट की दी जायेगी खुराक

किशनगंज, 14 मार्च (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने तथा रक्त की कमी की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को पेट में कीड़ा मारने की दवा खिलाने का अभियान शुक्रवार 15 मार्च से शुरू होकर 19 मार्च तक चलेगा। इसके सफल संचालन के लिए जिले के सभी प्रखंड के स्वास्थ्य केन्द्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा कार्यकर्ता को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए जिले के सभी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 1 से 19 वर्ष की आयु के 10 लाख 80 हजार 178 बच्चों को अल्बेंडाजोल विद्यालय जाने से पहले और विद्यालय आयु के बच्चों (नामांकित तथा गैर नामांकित) को कीड़े समाप्त करने की दवा (कृमि नाशक) देनी है। उन्होंने बताया कि बच्चों में कृमि संक्रमण अस्वच्छता तथा दूषित मिट्टी के संपर्क में आने से होती है। कृमि संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर तथा हीमोग्लोबिन स्तर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों में शारीरिक व बौद्धिक विकास बाधित होती है। जिलाधिकारी तुषार सिंगला ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सिविल सर्जन, डीआईओ, डीपीएम् एवं डीपीसी को विशेष अनुश्रवण का आदेश दिया है। साथ ही जिलावासियों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने तथा रक्त की कमी की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को पेट में कीड़ा मारने की (कृमि नाशक) दवा अवश्य खिलाएं। उन्होंने कहा कि आमजन की सहभागिता से ही कार्यक्रम को सफलता मिलेगी। साथ ही सभी आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, चिकित्सक, पारामेडिकल स्टाफ तथा आपरेटर, जिला स्वास्थ्य समिति के चिकित्सक एवं कर्मी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित यूनिसेफ, केयर इंडिया, विश्व स्वास्थ्य संगठन व अन्य सहायक संगठनों के प्रतिनिधियों से इस कार्य में अपना पूरा सहयोग देने की अपील की है। उन्होंने बताया कि अभियान की सफलता को लेकर आईसीडीएस, शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मियों को डीएम के माध्यम से जरूरी दिशा निर्देश दिया गया है। अभियान में निजी स्कूल भी बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभायेंगे। स्कूल संचालकों के साथ समन्वय स्थापित किया गया है। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को दवा खिलाते समय कुछ सावधानी भी बरतनी होगी। जैसे कि अगर किसी बच्चों की कोई गम्भीर बीमारी का इलाज चल रहा है और वह नियमित रूप से दवा खा रहा है, कोई भी बच्चा सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ से बीमार है तो, उसे यह दवा नहीं खिलाई जाएगी। दवा नुकसान नहीं करेगी लेकिन सावधानी के तहत ऐसे बच्चों को दवा नहीं दी जाएगी। 1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली को चूरा बनाकर पानी के साथ, 2 से 3 वर्ष एक पूरी गोली चूरा बनाकर पानी के साथ तथा 3 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर खिलाया जाना है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेन्द्र कुमार ने बताया दवा खिलाते समय यह ध्यान रखा जाये कि बच्चे दवा को चबाकर खाएं। जिन बच्चों के पेट में कीडों की अधिकता होगी उनके द्वारा दवा का सेवन करने पर मामूली लक्षण सामने आयेंगे, जिससे घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे दवा खाने के बाद जी मचलाना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान महसूस होना, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा। इस दौरान बच्चों को आराम की सलाह दें तथा उसे लेट जाने को कहें, 10 मिनट में समस्या स्वयं ही दूर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि कृमि संक्रमण पनपने से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं। बच्चों के शरीर में खून की कमी हो जाती है। बच्चे हमेशा थकान महसूस करते हैं। बच्चों की शारीरिक व मानसिक विकास भी बाधित हो जाती है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की भी कमी हो जाती है। ये कृमि संक्रमण के लक्षण है। उन्होंने बताया कि नाखून साफ और छोटे रखें, हमेश साफ और स्वच्छ पानी ही पीऐं, खाने को ढक कर रखें, साफ पानी में फल व सब्जियां धोएं, अपने हाथ साबुन से धोए विशेषकर खाने से पहले और शौच जाने के बाद, घरों के आसपास साफ-सफाई रखें, खुले में शौच न करें, हमेशा शौचालय का प्रयोग करें। कृमि संक्रमण से बचाव के उपाय है।

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