CUJ : डा. भास्कर सिंह और उनके शोधार्थी डा. दीपेश कुमार को बायोडीजल पर मिला व्यावसायिक पेटेंट
सीयूजे के वीसी प्रो. क्षिति भूषण दास ने खुशी जताई और शोधकर्ताओं की सराहना की
रांची : सेंट्रल यूनिवर्सिटी आफ झारखंड (CUJ Jharkhand) के प्रोफेसर डा. भास्कर सिंह और उनके शोधार्थी डा. दीपेश कुमार को बायोडीजल पर व्यावसायिक पेटेंट मिला है। यह पेटेंट (Patent) वर्ष 2020 से अगले 20 वर्षों के लिए प्रदान किया गया है। डा. भास्कर सिंह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की दुनिया के उन दो प्रतिशत विज्ञानियों की सूची में भी हैं जिनके काम का प्रभाव उस अध्ययन के क्षेत्र पर सर्वाधिक पड़ता है। सीयूजे प्रशासन ने दोनों शोधकर्ताओं को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी है। पेटेंट कार्यालय भारत सरकार ने फरवरी 2024 को डा. भास्कर सिंह और डा. दीपेश कुमार को इस शोध कार्य के लिए पेटेंट प्रदान किया। यह पेटेंट बायोडीजल (Bio-Diesel) के आक्सीडेटिव स्थिरता और शीत प्रवाह गुणों को बढ़ाने की विधि पर आधारित है। डा. भास्कर सिंह की देखरेख में काम करते हुए सीयूजे के पर्यावरण विज्ञान विभाग के शोधकर्ता पृथ्वी ग्रह-समर्थक उत्पादों को विकसित करने के उद्देश्य से विभिन्न पथ-प्रदर्शक अनुसंधान और विकासात्मक प्रयासों में लगे हुए हैं। डा. भास्कर सिंह ने कहा कि ग्रीनहाउस प्रभाव और जलवायु परिवर्तन को बढ़ाने में जीवाश्म ईंधन का दहन सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना हुआ है। इसके उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग करना अब दुनिया भर में सर्वोच्च प्राथमिकता है।
बायोएथेनाल और बायोडीजल जैसे जैव ईंधन बेहतर विकल्प :
डा. भास्कर सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरे के खिलाफ हमारी लड़ाई में बायोएथेनाल और बायोडीजल जैसे जैव ईंधन प्रमुख विकल्प हैं। ये परिवहन क्षेत्र में हमारे मौजूदा ऊर्जा मिश्रण को आसानी से प्रतिस्थापित कर सकते हैं। बायोडीजल खनिज डीजल का एक बहुत ही आशाजनक विकल्प है क्योंकि यह नवीकरणीय बायोमास से प्राप्त होता है और आमतौर पर इसे कार्बन-तटस्थ ईंधन माना जाता है। एक बेहतर विकल्प होने के बावजूद बायोडीजल का बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण इसकी निम्न स्थिरता और खराब कम तापमान संचालन क्षमता के कारण बाधित है।
किफायती है अविष्कारी विधि :
सीयूजे के पर्यावरण विज्ञान विभाग के डा. भास्कर सिंह और डा. दीपेश कुमार ने संयुक्त रूप से एक ऐसी विधि विकसित की है जो एक साथ दो गुणों में सुधार करती है। पारंपरिक दृष्टिकोण के विपरीत ईंधन में दो अलग-अलग प्रकार के सिंथेटिक योजकों को मिलाना शामिल है जबकि विकसित विधि में केवल एक प्रकार का प्राकृतिक योजक शामिल है। अविष्कारी विधि न केवल किफायती है बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी अधिक वांछनीय है। यह विधि ईंधन की स्थिरता और कम तापमान पर इसके प्रदर्शन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है और डीजल में बायोडीजल के उच्च मिश्रण के उपयोग में भी सहायता कर सकती है, जो वर्तमान में अधिकतम 7 प्रतिशत तक सीमित है, जिससे स्वच्छ ईंधन का अधिक प्रतिशत प्राप्त होता है। बायोडीजल का उपयोग सभी प्रकार के मौजूदा डीजल इंजनों में किया जा सकता है और लंबी दूरी के भारी-भरकम वाहनों के लिए इसका विशेष महत्व होगा, जो कि बैटरी चालित वाहन खंड में सीमित विकल्प हैं।
बहुत हर्ष का विषय है कि सीयूजे के शोधकर्ताओं को पेटेंट मिला है। यह सीयूजे के शोधकर्ताओं और संकायों द्वारा किए गए अथक प्रयासों का एक ईमानदार परिणाम है।
: प्रो. क्षिति भूषण दास, कुलपति, सीयूजे झारखंड।