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दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को सूची से हटाने की साजिश

मनीष कुमार कमलिया/पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के नाम पर आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं का नाम सूची से हटाने की साजिश कर रहा है। बिहार में पिछला गहन पुनरीक्षण भारत निर्वाचन आयोग द्वारा

01.01.2003 की अहर्ता तिथि मानते हुए कराया गया था। इसके बाद 2025 में इतने बड़े पैमाने पर गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। बिहार विधान सभा चुनाव से पहले एक महीने में गहन पुनरीक्षण अभियान संभव नहीं है। इसलिए इस पुनरीक्षण अभियान पर तत्काल रोक लगाई जाये।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे किसी व्यक्ति को अपने माता या पिता में से किसी एक के भारतीय नागरिक होने और 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को माता-पिता दोनों के नागरिक होने के प्रमाण देने की जो शर्तें लगाई गई यह न केवल लोगों को मतदान से वंचित करने वाला कदम है, बल्कि इससे चुनाव की तैयारी पूरी तरह से पटरी से उतर सकती है। इतना बड़ा अभियान केवल एक महीने में कैसे पूरा किया जाएगा, यह सवाल भी उठता है।

भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग बिहार को प्रयोग शाला बनाना चाहता है, जिसका भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी विरोध करती है और भारत निर्वाचन आयोग से विशेष पुनरीक्षण अभियान को तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग करती है। भारत निर्वाचन आयोग बिहार में स्वच्छ, निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने की गारंटी करें न कि दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को मतदान से वंचित करें।

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