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*मोदी जी की बिहार यात्रा पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने पूछे पाँच बड़े सवाल*

*जुमलों की लगाने झड़ी, चुनावी चूरण हर घड़ी: राजेश राम*

ऋषिकेश पांडे/प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार यात्रा एक बार फिर सवालों के घेरे में है। हर बार की तरह इस बार भी चुनावी माहौल के बीच बड़बोले भाषणों और झूठे वादों की भरमार देखने को मिली। सवाल ये है कि क्या बिहार को हर चुनाव से पहले सिर्फ आश्वासनों और आंकड़ों का खेल दिखाया जाएगा? ये बातें बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही। प्रधानमंत्री की आगामी बिहार यात्रा पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने पीएम की इस यात्रा पर पाँच सवाल मीडिया के माध्यम से पूछें हैं:

सवाल 1: 2015 में घोषित सवा लाख करोड़ के पैकेज का क्या हुआ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2015 में आरा की जनसभा में बिहार के लिए ₹1.25 लाख करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज में सड़क, पुल, रेलवे, ऊर्जा, कृषि और शिक्षा से संबंधित कई परियोजनाएं थीं।
• ₹54,713 करोड़ राष्ट्रीय राजमार्गों और पुलों के लिए
• ₹3,000 करोड़ कृषि और शिक्षा के लिए, जिसमें भागलपुर में केंद्रीय विश्वविद्यालय और एक मेगा स्किल यूनिवर्सिटी की योजना

तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पैकेज को “जुमलेबाजी” कहा था, यह दावा करते हुए कि इनमें अधिकांश योजनाएं पहले से स्वीकृत थीं।

लेकिन बड़ा सवाल यह है:

इस सवा लाख करोड़ के पैकेज में से दस सालों में सवा रुपया भी खर्च क्यों नहीं हुआ?

सवाल 2: 2024-25 के बजट में फिर वही पुराने वादे क्यों दोहराए गए?

अब जबकि बिहार में विधानसभा चुनाव करीब हैं, केंद्र सरकार ने फिर से बुनियादी ढांचा, कृषि, शिक्षा और रोजगार से जुड़ी नई घोषणाएं कर दीं:
• ₹26,000 करोड़ की सड़क परियोजनाएं
• ₹10,000 करोड़ का रेलवे बजट और 98 स्टेशनों का पुनर्विकास
• प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना, मखाना बोर्ड की स्थापना
• डे-केयर कैंसर सेंटर, मेडिकल सीटों में बढ़ोतरी
• ₹10,000 करोड़ का स्टार्टअप फंड, माइक्रो उद्यमियों के लिए क्रेडिट कार्ड

सवाल यह है:

जब पहले के वादों का कोई हिसाब नहीं है, तो नई घोषणाओं का क्या भरोसा? क्या ये सिर्फ चुनावी चूरण नहीं है?

सवाल 3: वादे सिर्फ कागजों पर, जमीन पर कुछ क्यों नहीं?

चाहे बुनियादी ढांचा हो, स्वास्थ्य हो या रोजगार—इनमें से एक भी वादा आज तक जमीन पर नहीं उतरा।
• IIT पटना का विस्तार, खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना
• 75,000 मेडिकल सीटें
• ₹11,500 करोड़ की बाढ़ राहत योजना

सवाल उठता है:

ये सब योजनाएं कागज़ों पर ही क्यों हैं? बिहार की असली ज़रूरतों को नजरअंदाज़ कर केवल आंकड़ेबाज़ी क्यों की जा रही है?

सवाल 4: बिहार को गुंडों के हवाले क्यों कर दिया गया?

पटना, बक्सर और छपरा जैसे इलाकों में हाल ही में खुलेआम फायरिंग और हत्याएं हुईं।
• रोज़ाना औसतन 8 हत्याएं
• 33 अपहरण
• 136 जघन्य अपराध

प्रश्न यह है:

क्या बिहार में ‘गुंडा राज’ स्थापित हो गया है? क्या कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है?

सवाल 5: नीतीश कुमार के गिरते स्वास्थ्य का राजनीतिक फायदा उठाया जा रहा है?

कैग की रिपोर्ट बताती है कि बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं में 60% पद खाली हैं।
इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गिरते स्वास्थ्य को लेकर भी चर्चाएं हैं।

ऐसे में आखिरी और अहम सवाल:

क्या भाजपा नीतीश कुमार की ख़राब तबीयत फायदा उठा रही है।

बिहार अब वादों से नहीं, विकास के प्रमाण मांगता है। हर चुनाव से पहले घोषणाओं की बौछार और बाद में गहरी चुप्पी—यही है इस बार भी पीएम मोदी की बिहार यात्रा की असली तस्वीर।

 

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