भटकते ब्राह्मण युवा एवं युवती..

किसके अंधभक्त हो जिसने तुमसे कभी हाथ भी नहीं मिलाया हो ? जो तुमको जानता भी नहीं हो ? वक्त पड़ने पर पहचानता भी नहीं हो ?
पटना/त्रिलोकीनाथ प्रसाद, आज थोड़ा लीक से हटकर कुछ ऐसा लिख रहा हूँ जिससे युवाओं के बीच मुझे कोसा जाएगा और प्यार का दुश्मन की उपाधि भी दी जाएगी लेकिन मुझे अपनी बदनामी से ज्यादा उस माँ-बाप की चिंता है जिसने अपने बच्चों के लिए सभी शौख को तिलांजलि देकर लालन पालन किया परंतु आज के वातावरण में वह खुद को आर्यभट्ट, चाणक्य, मालवीय, चंद्रशेखर, मंगल पांडेय, राजीव दीक्षित, कुमार विश्वास बनने के दिशा में आगे बढें या नहीं पर हीर-रांझा बनने में तनिक भी देर नहीं करते।हमारे संस्कार पर कालिख पोतने का या यूं कहें कि एक षड्यंत्र चल रहा है जिसकी वजह से ब्राह्मण युवा एवं युवती प्रेमजाल में फंसकर दूसरी जाति में विवाह करने लगे हैं।वर्ण शंकर (ऐसा करने वाले के बच्चे दोगले पैदा होते हैं) की प्रथा प्रारंभ करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।स्कूल और कॉलेज में माँ-बाप से मिलने वाली सुविधा और अभिभावकों की लापरवाही की वजह से बच्चे कम ही उम्र में मोबाइल की बढ़ती सक्रियता की वजह से सेक्स के प्रति प्रभावित हो रहे हैं, जिसकी वजह से अन्य जाति के लड़के या लड़की के साथ भावना में बहकर अपने उस माँ-बाप और खानदान को धोखा दे रहे हैं जिसने उसके उच्च शिक्षा के लिए अपना घर-द्वार भी बेच दिया। Love के चक्कर में उनको यह समझ मे हैं नहीं आता कि लड़का अपना हवश पूरा कर लेने के बाद उसे छोड़ दे तो उसका जीवन का क्या होगा ? अमूमन ऐसा ही हो रहा है जिसकी वजह से आत्महत्या की घटनाओं में इजाफा हुआ है।भले ही माँ-बाप प्रतिष्ठा बचाने के चक्कर में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने से बचते हैं पर पाप छुपता नहीं है।ब्राह्मण लड़कियां शायद इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उनसे बेपनाह प्यार करने वाले माँ बाप पर क्या गुजरती होगी जब उनको यह पता चलता होगा कि पीठ पीछे उनकी लाडली गुल खिला रही है जिसमे मजा तो उसको आ रहा है परन्तु सजा उस निर्दोष माँ बाप को भुगतना पड़ेगा जिसने बस एक ही गलती की उसने उसको जन्म दिया।Love जिस लड़की को अपने माँ बाप से पूरा नहीं होगा तो क्या चंद दिनों से किसी लड़के से प्यार करने वाली लड़की करेगी। जवानी के दस्तक देते ही Sex के प्रति आकर्षण का बढ़ना स्वाभाविक है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि घरवालों को धोखा देकर समाज को कलंकित किया जाए।अन्य धर्म एवं जाति से विवाह करने का दंड आज भी भारत का सबसे समृद्ध गांधी परिवार भुगत रहा है, वैसे में आपकी बुनियाद ही क्या है।प्यार अंधा होता है परंतु वह प्यार सिर्फ उस लड़के का जो आपसे चंद दिनों से जुड़ा है ? उस माँ बाप का नहीं जिसने आपको बड़ा करने में न जाने कितनी रात सोए भी न हों।शायद इन्हीं कारणों की वजह से पहले कम ही उम्र में लड़कियों का विवाह कर दिया जाता था।उच्च शिक्षा लेने से किसी का व्यक्तित्व में निखार आता है और अपने भविष्य के साथ समाज और राष्ट्र का भी कल्याण होता है परंतु Love के जुगाड़ में लगी लड़कियों को तब समझ मे आने लगता है जब वही लड़का किसी और को भी प्यार के जाल में फंसाकर रखा है।जो लड़की या लड़का अपने माँ बाप, समाज और राष्ट्र के साथ गद्दारी कर सकते हैं वह कभी भी किसी को धोखा दे सकते हैं।मेरी बात चुभेंगी लेकिन यह सच है और इसको हम सभी को स्वीकार करना पड़ेगा।अगर जिस भी ब्राह्मण लड़की को Love प्राथमिकता में शामिल हो गया है वह खुलकर अपने माँ-बाप से बोलें की अब पढ़ना नहीं चाहती इसलिए विवाह करवा दिया जाए।माँ-बाप को भी वक्त रहते अपनी बदनामी से बचने के लिए मार्ग से विचलित हो चुके अपने लड़की एवं लड़के का विवाह कर ही देना चाहिये अन्यथा फिर किसी अनहोनी होने पर माथा पीटने का भी अधिकार उनको समाज नहीं देगा।अगर लड़कियों को प्यार ही करने का भूत सवार है तो अपनी जाति में भी एक से एक लड़के मिलेंगे इससे समाज में प्रतिष्ठा भी बचेगा और वर्ण शंकर कहलाने से भी बचेंगे।एक पत्रकार होने के नाते ऐसे 210 केश मेरे पास है जिसमे लड़की नारकीय जीवन गुजार रही हैं और उनको न्याय नहीं मिल रहा भले ही अंतरजातीय विवाह के लिए सरकार का समाज कल्याण विभाग प्रोत्साहन राशि देने का वादा करे।हजारों लोग इस कतार में लगे हैं कि Love के चक्कर मे विवाह का लाभ सरकार से उठा लें परन्तु शायद सरकार भी यह देखती है कि यह रिश्ता कितने दिनों का है ! दूसरी तरफ ब्राह्मण युवा किसी भी दल का पंचायत का कार्यकर्ता बनता है तो उसको समाज की बात खराब लगती है और वह खुद को CM/PM से कम प्रभावकारी नहीं मानता परंतु अंधभक्ति में वह भूल जाता है कि जरूरत पड़ने पर काम उसकज जाति एवं समाज ही आता है, उस वक्त विकल्प का सपना नजर नहीं आता।BJP के 90 प्रतिशत ब्राह्मण कार्यकर्ता अंधभक्ति में अपनी जाति को भूल चुके हैं कि ब्राह्मण ही उनका असल परिवार है और शायद ई संजय विनायक जोशी से बड़े कार्यकर्ता आप हो भी नहीं सकते।आपकी अपनी ही पार्टी में इतनी औकात नहीं कि आप अपने समाज के विकास एवं पीड़ित लोगों को न्याय दिलवा सके और उसकी आवाज उठा सकें।अरे ब्राह्मण युवा तुम्हारी औकात तो कुछ है ही नहीं जब ब्राह्मण के MP/MLA/MLC और मंत्री पद के लालच की वजह से नहीं बोलते तो तुम पंचायत स्तर के कार्यकर्ता की पूछ कितनी है यह हमसे बेहतर तुम खुद जानते हो लेकिन दिखावेपन की वेवसी तुमको अंधभक्ति के लिए मजबूर करती है।ऐसा नहीं है कि यह हाल सिर्फ BJP में है बल्कि कांग्रेस में भी विराजमान है।BJP का नाम इसलिए लिया कि यहां ब्राह्मण 90 प्रतिशत हैं।अपने गाँव की, अपने समाज की अपनी जाति के बहन बेटियों के साथ खिलवाड़ हो रहा है और पार्टी का नाम बदनाम न हो इसलिए अंधभक्ति में चुप रहने का संदेश न तो दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और न ही अटल बिहारी बाजपेयी ने दिया है।किसके अंधभक्त हो जिसने तुमसे कभी हाथ भी नहीं मिलाया हो ? जो तुमको जानता भी नहीं हो ? वक्त पड़ने पर पहचानता भी नहीं हो ? ब्राह्मण युवा एवं युवतियों से आग्रह है कि Love ही करना है तो अपने जाति में करें और विवाह भी ताकि आपकी वजह से माता पिता समाज में शर्म से सिर झुकाकर नहीं रहें।आपको स्वतंत्रता मिली है लेकिन बदनाम करने के लिए नहीं।खुद भी बचें और समाज को भी बचाएं।भले ही मैंने यह बात ब्राह्मण पर और लिखी है परंतु यह सभी जाति पर लागू होता है।