किशनगंज : दशहरा पर करें देवी अपराजिता की पूजा, शत्रुओं पर मिलेगी विजय: गुरु साकेत
पुराणों में पेड़ों की पूजन का जिक्र मिलता है। कुछ पेड़ धार्मिक नजरिए से भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और शमी भी पेड़ भी ऐसे ही पेड़ों में आता है। पौराणिक मान्यताओं में शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है। लंका पर विजयी पाने के बाद श्रीराम ने शमी पूजन किया था। नवरात्र में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है। गणेश जी और शनिदेव, दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है

ॐ अपराजितायै नम:
किशनगंज, 24 अक्टूबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, आज 24 अक्टूबर मंगलवार को दशहरा है। दशहरा को विजयदशमी या दशईं के नाम से भी जाना जाता है। हर साल नवरात्रि की नवमीं तिथि के एक दिन बाद दशहरा मनाया जाता है जो कि हिंदू धर्म का त्योहार है। विजयादशमी त्योहार अधर्म पर धर्म की विजय को बताता है। मंगलवार को महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पूर्व देवी अपराजिता की पूजा की थी। जिसके फलस्वरूप उन्होंने रावण वध करके लंका पर जीत हासिल की और माता सीता को मुक्त कराकर अयोध्या वापस लेकर गए। गुरु साकेत कहते है पुराणों में पेड़ों की पूजन का जिक्र मिलता है। कुछ पेड़ धार्मिक नजरिए से भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और शमी पेड़ भी ऐसे ही पेड़ों में आता है। पौराणिक मान्यताओं में शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है। लंका पर विजयी पाने के बाद श्रीराम ने शमी पूजन किया था। नवरात्र में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है। गणेश जी और शनिदेव, दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है। गुरु साकेत कहते है यदि आप भी अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो दशहरा के दिन देवी अपराजिता की पूजा करें। उनके आशीर्वाद से आपको सफलता प्राप्त होगी। गुरु साकेत ने बताया कि पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और यह 24 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा के दिन देवी अपराजिता की पूजा विजय मुहूर्त में करनी चाहिए। इससे देवी अपराजिता प्रसन्न होंगी और आप शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर पाएंगे। गुरु साकेत ने बताया कि देवी अपराजिता की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 02 बजकर 43 मिनट तक है। उस दिन आपको देवी अपराजिता की पूजा के लिए 45 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा। गुरु साकेत ने बताया कि दशहरा वाले दिन रवि योग बन रहा है। जिस समय देवी अपराजिता की पूजा होगी, उस समय भी रवि योग होगा। रवि योग सुबह 06 बजकर 27 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। उसके बाद शाम 06 बजकर 38 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 28 मिनट तक रवि योग बना रहेगा। दशहरा का अभिजित मुहूर्त सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक है। दशहरा वाले दिन सुबह में स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें। देवी अपराजिता की पूजा का संकल्प करें। फिर विजय मुहूर्त में देवी अपराजिता की पूजा करें। उनको अक्षत्, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि अर्पित करें। पूजा के दौरान ओम अपराजितायै नम: मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार कर सकते हैं। इसके अलावा अर्गला स्तोत्र, देवी कवच और देवी सूक्तम का पाठ करना चाहिए। घी के दीप या कपूर से देवी अपराजिता की आरती करें। दशहरा को देवी अपराजिता की पूजा करने से व्यक्ति को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है। देवी अपराजिता के आशीर्वाद से व्यक्ति को सभी दिशाओं में विजय मिलता है। गुरु साकेत कहते है देवी अपराजिता के नाम से ही स्पष्ट है कि वे शक्ति की देवी हैं, जिनको कोई पराजित नहीं कर सकता है। वे अजेय और अपराजित हैं। कार्यों में सफलता के लिए देवी अपराजिता की पूजा होती है। दशहरा पर देवी अपराजिता के अलावा शमी पूजा भी करते हैं।