कड़वा सत्य ।..

पटना डेस्क :-रामायण, महाभारत, श्रीराम, श्रीकृष्ण, मायथोलॉजी हैं, पाखंड हैं, लेकिन शबरी, शम्भूक, एकलव्य, घटोत्कच इन सबके आधारकार्ड और जाति प्रमाणपत्र लेकर घूमने वाले, यह बताएं कि वह दिनरात अंतरजातीय विवाह का रोना रोते हैं और ब्राह्मणों, क्षत्रियों व वैश्यों को अपना दुश्मन मानते हैं तो वह शूद्रों में ही, संविधान के अनुसार जो अपराधी जनजातियां हैं, उनसे अपने बच्चों का विवाह क्यों नहीं करते ?? अगर एक चौपाई के अर्थ का अनर्थ करके मान भी लिया कि, शुद्र वर्ण का शोषण किया गया, तो वह यह बताएं कि सन 1950 में अपराधी जनजाति अधिनियम, जो कि ब्रिटिश एक्ट था, उसे स्वन्त्र भारत में किसने लागू किया ??? जिसके कारण से पिछले 73 वर्षों से आदिवासियों का शोषण हो रहा हैं, जिसके प्रमाण भी सरकार व संसद में उपस्थित हैं ??? विजय सत्य की ही होगी।