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बिहार विधान सभा विस्तारित सभागार में बिहार राज्यगीत के रचयिता , बिहार हिंदी प्रगति समिति राजभाषा विभाग मंत्रिमंडल सचिवालय के दो टर्म अध्यक्ष (राज्य मंत्री) रह चुके यशस्वी कवि सत्यनारायण जी की 90वी जयंती के अवसर पर उनका नागरिक अभिनंदन किया गया।

अमित कुमार । इस अवसर पर उनके ऊपर प्रकाशित अभिनंदन ग्रन्थ लोक संवेदना के स्वर : सत्यनारायण का लोकार्पण बिहार विधान सभा के माननीय अध्यक्ष श्री नन्द किशोर यादव जी, सिक्किम और मेघालय के राज्यपाल रहे माननीय गंगा प्रसाद जी, पटना की महापौर श्रीमती सीता साहू जी, विधायक श्री अरुण कुमार सिन्हा जी एवं कई गणमान्य साहित्यकारों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ कवि सत्यनारायण द्वारा लिखित बिहार राज्यगीत के गायन से हुआ।

बिहार राज्यगीत की प्रासंगिकता एवं महत्व का उल्लेख करते हुए माननीय अध्यक्ष महोदय ने बहुत ही सारगर्भित विश्लेषण किया एवं कवि सत्यनारायण जी को बधाई दी साथ ही साथ अपने द्वारा विशेष रूप से लाए अंगवस्त्र, पुष्प गुच्छ एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान करते हु कवि सत्यनारायण जी के दीर्घ जीवन की सुखद कामना की।

इस आयोजन में पटना और देश के अन्य स्थान से पधारे लेखक साहित्यकार कवि समालोचक ने अपने विचार रखे तथा कवि सत्यनारायण जी के सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक पक्ष पर प्रकाश डाला।

300 से अधिक क्षमता वाला सभागार कवि सत्यनारायण के प्रशंसकों के कारण छोटा पड़ गया था। 90 वर्षीय कवि सत्यनारायण के अभिनंदन में उनकी पीढ़ी के लेखक साहित्यकार के साथ साथ अगली पीढ़ी के लेखक, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता, संभ्रांत महिलाओं और युवाओं की उपस्थिति और सहभागिता ने आयोजन की गरिमा का स्वर्णिम अध्याय लिखा।

कवि सत्यनारायण जी के ऊपर प्रकाशित अभिनंदन ग्रन्थ में देश के 108 महत्वपूर्ण साहित्यकार, कवि लेखक, पत्रकार रंगकर्मी, संस्कृतिकर्मी राजनयिक,, चिकित्सक, प्राध्यापक, न्यायधीश, सरकारी अधिकारी या यो कहिए समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों के रोचक संस्मरण, रचनाएं, लेख एवं कविताएं संकलित है।

लगभग 500 पृष्ठों की संख्या के संकलन वाला अभिनंदन ग्रन्थ एक ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह है जिसमें संघर्ष की गाथा, साहित्य की निर्मल धारा, रोचक प्रसंग के साथ साथ
संबंधों के विभिन्न आयाम का संकलन है ।

लोक संवेदना के स्वर: सत्यनारायण के शीर्षक से प्रकाशित अभिनंदन ग्रन्थ में देश के महत्वपूर्ण शख्शियतों ने अपनी रचनाओं से इस ग्रन्थ को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का दस्तावेज बना दिया है।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, बिहार विधान सभा के अध्यक्ष श्री नंदकिशोर यादव, विधान परिषद के सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद श्री शत्रुघ्न सिन्हा, श्री आर के सिन्हा श्री रविशंकर प्रसाद, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री श्री जीतन राम मांझी, श्री अभय कांत प्रसाद, विधायक श्री अरुण कुमार सिन्हा, विधान परिषद के उपाध्यक्ष प्रो डॉ रामचंद्र पूर्वे जैसे सफल सक्रिय और निर्विवाद राजनीति के पर्याय रहे लोगों के आलेख संस्मरण संकलित है वहीं दूसरी तरफ साहित्यजगत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर श्री ठाकुर प्रसाद सिंह, श्री कन्हैया लाल नंदन, श्री हिमांशु जोशी,श्री नंदकिशोर नवल जैसे साहित्य रत्न के साथ साथ आधुनिक हिंदी और उर्दू साहित्य के कई प्रसिद्ध लेखक विचारक की रचनाएं संकलित है।

पुस्तक का संपादन प्रसिद्ध लेखक विचारक श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने किया है । संपादक मंडल में श्री किशोर सिन्हा, श्री कमल नयन श्रीवास्तव, डॉ आरती कुमारी एवं संदीप स्नेह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कुल मिलकर यह ग्रन्थ साहित्य के विभिन्न विधाओं का संकलन है।
पुस्तक का प्रकाशन श्वेतवर्णा प्रकाशन दिल्ली से हुआ है।

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