किशनगंज : जिला में भीपीडी सर्विलांस कार्यशाला का हुआ सफल आयोजन, आयुष डाक्टर को किया गया जागरूक
जिले के ग्रामीण इलाकों में वीपीडी की रोकथाम के लिए सक्रिय निगरानी बेहद महत्वपूर्ण है: सिविल सर्जन
किशनगंज, 12 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, सदर अस्पताल के एएनएम मीटिंग हॉल में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेंद्र कुमार के नेतृत्व में जिला वीपीडी (वैक्टोरियल पैथोजेनिक डिजीज) सर्विलांस कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को वीपीडी के नियंत्रण, रोकथाम और निगरानी के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम में सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार, डब्लूएचओ के एसआरटीएल डा. सुमन कंडोला, एसएमओ डा. प्रीतम घोष, और यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अफजल विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने महत्वपूर्ण विचार साझा कर स्वास्थ्य कर्मियों को मार्गदर्शन दिया। कार्यशाला में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेंद्र कुमार ने कहा कि वैक्टोरियल पैथोजेनिक डिजीज के नियंत्रण के लिए समाज में जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। उन्होंने सभी स्वास्थ्य कर्मियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस संदेश को लोगों तक पहुंचाएं और उन्हें वीपीडी के खतरों से अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि वीपीडी जैसी गंभीर संक्रमण से बचाव के लिए केवल चिकित्सा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की जागरूकता आवश्यक है। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने स्वास्थ्य कर्मियों को बताया कि जिले के ग्रामीण इलाकों में वीपीडी की रोकथाम के लिए सक्रिय निगरानी बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वीपीडी के मामले जल्दी सामने लाने और उन पर समय से प्रतिक्रिया देने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग जरूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जाएं तो वीपीडी के प्रसार को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है। कार्यशाला में डब्लूएचओ के एसएमओ डा. प्रीतम घोष और यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अहमद ने हिस्सा लिया। डा. प्रीतम घोष ने वीपीडी के संबंध में वैश्विक परिप्रेक्ष्य को साझा किया और बताया कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को वीपीडी के लक्षणों की पहचान और उसकी रिपोर्टिंग की प्रक्रिया को बारीकी से समझाया। वहीं, यूनिसेफ के एजाज अफजल ने समुदाय में जागरूकता अभियान को मजबूत करने और लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के महत्व पर जोर दिया। कार्यशाला में जिले के आयुष डाक्टरों ने हिस्सा लिया, जिन्हें वीपीडी सर्विलांस के महत्व और इसमें उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। डीआईओ ने उन्हें निर्देशित किया कि वे अपने क्षेत्र में समुदाय के साथ मिलकर वीपीडी के प्रति जागरूकता फैलाएं और नियमित रूप से संभावित मामलों की निगरानी करें। आयुष डाक्टरों ने इस पहल का स्वागत किया और वीपीडी रोकथाम के लिए हरसंभव सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई। कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को उनकी जिम्मेदारियों की पुनरावृत्ति कराई गई और उन्हें वीपीडी सर्विलांस प्रणाली को मजबूत बनाने का संकल्प दिलाया गया। सभी स्वास्थ्य कर्मियों ने इस कार्यशाला को अत्यधिक उपयोगी और प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि डा. देवेंद्र कुमार, सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार, डब्लूएचओ के डा. प्रीतम घोष और यूनिसेफ के एजाज अहमद के मार्गदर्शन में वे अपने कार्यक्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने और वीपीडी रोकथाम में योगदान देने के लिए प्रेरित हुए हैं। गौर करे कि इस कार्यक्रम के माध्यम से जिले के स्वास्थ्य विभाग ने एक मजबूत संदेश दिया कि वीपीडी जैसी गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना और स्वास्थ्य कर्मियों का सक्रिय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। सभी स्वास्थ्य कर्मियों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस जागरूकता अभियान को और अधिक प्रभावी बनाएंगे, ताकि समुदाय को सुरक्षित रखा जा सके।