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ठाकुरगंज : भारत-नेपाल सीमा पर बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिरफ्तारी: सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से बड़ी घुसपैठ की कोशिश नाकाम

MDMN ईंट भट्ठा ने आखिर किन दस्तावेजों और किस जानकारी के आधार पर इन घुसपैठियों को 10-12 दिन तक संरक्षण दिया?

किशनगंज,21मई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह/फरीद अहमद, भारत-नेपाल सीमा के पास एक बार फिर सशस्त्र सीमा बल (SSB) और बिहार पुलिस की संयुक्त सतर्कता ने देश में अवैध घुसपैठ की बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया। 19वीं वाहिनी, सशस्त्र सीमा बल के कमांडेंट स्वर्ण जीत शर्मा के दिशा-निर्देशन में सुखानी थाना क्षेत्र में चलाए गए गश्ती अभियान के दौरान जवानों ने दो बांग्लादेशी नागरिकों को दो छोटे बच्चों सहित हिरासत में लिया है।यह कार्रवाई भारत-नेपाल सीमा स्तंभ संख्या 119/1 और 117/1 के बीच कादोगांव बाज़ार के पास की गई, जहां ये लोग अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पहचान सफीकुल इस्लाम (32), पिता बादशाह मियां, निवासी बांग्लादेश और एक महिला परी खातून (25), भारतीय आधार संख्या 804580308462 के साथ हुई है। दोनों के साथ दो बच्चे भी थे—एक लगभग 3.5 वर्ष का और दूसरा लगभग 5 माह का।

पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सफीकुल और परी खातून ने बताया कि वे 2019 में कुचबिहार के रास्ते भारत आए थे और हरियाणा होते हुए बिहार पहुंचे। हाल ही में वे किसी MDMN ईंट भट्ठा पर (सुखानी थानाक्षेत्र में) 10–12 दिनों से रह रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि एक स्थानीय व्यक्ति गिरजानंद, निवासी दिनहट्टा, ने उन्हें भारतीय सिम कार्ड और आधार कार्ड उपलब्ध कराए।

गिरफ्तारी के बाद तलाशी में सफीकुल इस्लाम के पास एक मोबाइल (Techno Pop) और कपड़ों से भरा प्लास्टिक बैग बरामद हुआ, जबकि परी खातून के पास भारतीय आधार कार्ड मिला। इन दोनों को आवश्यक कागजी कार्यवाही के बाद सुखानी थाना, किशनगंज को सौंप दिया गया।

जांच के घेरे में संरक्षणदाता

इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासतौर पर यह कि MDMN ईंट भट्ठा ने आखिर किन दस्तावेजों और किस जानकारी के आधार पर इन घुसपैठियों को 10-12 दिन तक संरक्षण दिया? क्या यह महज लापरवाही है या किसी बड़े रैकेट का हिस्सा?

थानाध्यक्ष धर्मपाल कुमार ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर हुई संयुक्त कार्रवाई में ये लोग पकड़े गए हैं और इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय घुसपैठ का मामला है और इसमें शामिल हर व्यक्ति—चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से हो या अप्रत्यक्ष रूप से—की जांच की जाएगी।

मानव तस्करी या संगठित घुसपैठ?

इस घटना ने एक बार फिर भारत की सीमाओं पर मानव तस्करी और संगठित घुसपैठ की चिंताओं को उजागर कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों ने सीमा क्षेत्र में निगरानी और कड़ी कर दी है और आशंका जताई जा रही है कि यह किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। गौर करे कि यह मामला न केवल सीमा सुरक्षा बल्कि आंतरिक सुरक्षा और पहचान प्रणाली की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है। अब आवश्यकता इस बात की है कि ऐसे मामलों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।

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