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औरंगाबाद : न्याय के बदले बरपाया जा रहा है जुल्म का कहर, चाहे वह पीड़ित परिवार हो या पत्रकार अथवा सोशल वर्कर..

औरंगाबाद/अनिल कुमार मिश्र, बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा प्रखंड़ में प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों पर दवंगों का कब्जा है तथा पुलिस संरक्षित दवंग जनप्रतिनिधियों, कर्मचारियों तथा विचौलियो के मनमानी अंतिम प्रकाष्ठा पर है।पुलिस संरक्षित दवंग लोगे के विरूद्ध कुटुम्बा प्रखंड में आवाज उठाना आव बैल मुझे मार कहावत को चरितार्थ करता है, यानी पुलिस व दवंगो द्वारा संरक्षित कर्मचारियों अथवा जनप्रतिनिधियों के विरूद्ध आवाज को उठाना मानो आफत का बुलावा है।कुटुम्बा प्रखंड़ में न्याय व अधिकार का मांग करना गुनाह है तथा न्याय के बदले जुल्म का कहर बरपाया जाता है चाहे वह पीड़ित परिवार हो या पत्रकार अथवा सोशल वर्कर।पीड़ितों की आवाज को उठाने वाले पर पुलिस संरक्षण में दवगों द्वारा पीड़ितो, सोशल वर्कर तथा पत्रकारों पर हमले तथा दवंगो के बचाव में फर्जी मुकदमें पर चाहे जितना भी लिखा जाये वह यहाँ के भ्रष्ट प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों तथा इनके अनैतिकार्यो का संरक्षक पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के लिए बहुत ही कम होगा।फर्जी मुकदमे एवं दवंगो की मनमानी यहाँ के लोगो के लिए अभिशाप बन चुका है और यह घटना यहाँ के लोगो के लिए कोई नई बात भी नहीं है।यह काम नीतिश सरकार के सुशासन ब्यवस्था में भले ही बढ़ गया हो किन्तू यह कुटुम्बा प्रखंड़ के जनता के अभिशाप बन चुका है और विकल्प की तलास में यहाँ के जनता भटकते नजर आ रहे है।पुलिस द्वारा गलत मुकदमे की आड़ मे किसी को भी अनवाश्यक रूप से प्रताड़ित करना आम बात है और पुलिस महकमे द्वारा झुठे मुकदमें को भी सत्य करार दे देना यहाँ का दिन चर्या है जिसकी सुनवाई कहीं भी नहीं होता है।

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