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किशनगंज : जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच की गई

सुरक्षित प्रसव के लिए सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं मरीज, हाईटेक व्यवस्था की वजह से मरीजों में बढ़ रहा भरोसा, सदर अस्पताल में सिजेरियन से अधिक नार्मल डिलेवरी में नवजात ले रहे जन्म

किशनगंज, 09 अप्रैल, (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले के सभी पीएचसी, सीएचसी, रेफरल एवं अनुमंडलीय व जिला अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत मंगलवार को शिविर आयोजित कर प्रसव पूर्व (एएनसी) जांच की गयी। जहां गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच के पश्चात आवश्यक चिकित्सा परामर्श भी दी गयी। जिसमें रहन-सहन, साफ-सफाई, खान-पान, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां समेत अन्य आवश्यक चिकित्सा परामर्श विस्तार पूर्वक दिया गया। ताकि सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिल सके और मातृ-शिशु मृत्यु दर पर विराम सुनिश्चित हो सके। विदित हो कि जिले के सदर अस्पताल में हाईटेक व्यवस्था और प्रशिक्षित कर्मचारियों की वजह से मरीजों में विश्वास बढ़ रहा है। चिकित्सक सहित अन्य स्टाफ द्वारा जिम्मेदारी पूर्वक काम करने के साथ हीं मरीजों के साथ सहयोगात्मक व्यवहार की वजह से जिले के लोगों का भरोसा सदर अस्पताल के प्रति बढ़ रहा है। सदर अस्पताल को वर्ष 2023-2024 में सुरक्षित प्रसव करवाने के लिए लगातार सुरक्षित प्रसव से लोगों का रूझान सदर अस्पताल के प्रति बढ़ा है। वर्ष 2023 के अप्रैल माह से मार्च 2024 तक सदर अस्पताल में कुल 6897 नवजात शिशुओं ने जन्म लिया है। इसमें नवजात लड़के 3589 व 3308 नवजात लड़कियां जन्म लिए हैं। इसमें से नार्मल सुरक्षित प्रसव 6591 व सिजेरियन 306 प्रसव हुए हैं। चिकित्सक, नर्स सहित अन्य मेडिकल स्टाफ द्वारा जिम्मेदारी पूर्वक काम करने के साथ हीं मरीजों के साथ सहयोगात्मक व्यवहार की वजह से लोगों का भरोसा सदर अस्पताल के प्रति बढ़ रहा है। सदर अस्पताल में लगातार एएनएम और जीएनएम नर्सो सहित अन्य मेडिकल स्टाफ के कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सदर अस्पताल के पहली मंजिल पर महिलाओं की प्रसव के लिए मातृ शिशु स्वास्थ्य इकाई बनाई गई है। यह प्रसव कक्ष आधुनिक उपकरण से निर्मित है। महिला चिकित्सक और सीनियर नर्सों के द्वारा प्रसव करवाया जाता है। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन ने बताया की लेबर रूम इंचार्ज शिप्रा भट्टाचार्य की देख रेख में सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए काफी अच्छी सुविधा और व्यवस्था है। बताया कि अस्पताल में नार्मल प्रसव में परेशानी होने पर महिला चिकित्सा पदाधिकारी डा. शबनम यस्मिन एवं डा. पूनम सिंह के द्वारा सिजेरियन की व्यवस्था है। लेकिन अस्पताल में पहले नार्मल प्रसव की कोशिश की जाती है नहीं होने पर सिजेरियन किया जाता है। इसी कारण सिजेरियन की संख्या कम है। बताया नार्मल की संभावना नहीं होने पर विशेष परिस्थिति में सीजर किया जाता है। लेबर रूम आधुनिक उपकरणों के साथ वैकुम एक्सट्रावर मशीन उपलब्ध हैं। जिससे प्रसव में आने वाली परेशानियों को दूर किया जाता है। वहीं प्रसव के तुरंत बाद नवजात शिशुओं के देख भाल के लिए एनबीसीसी लगा है, जिससे नवजात शिशु सुरक्षित रहते हैं। उन्होंने बताया कि 100 गर्भवती महिलाओं में 10 गर्भवती महिलाओं को सिजेरियन करवाने की जरूरत पड़ती है। सिजेरियन के लिए बेहोशी डाक्टर की भूमिका अहम होता है। लेकिन सदर अस्पताल में एक ही बेहोशी की डाक्टर है। सदर अस्पताल में यदि बेहोशी डाक्टरों की संख्या सरकार के द्वारा बढ़ाया जाए तो सिजेरियन प्रसव में बढ़ोतरी होगी। गौर करे कि सदर अस्पताल में प्रसव करवाने वाली ज्यादातर महिला गरीब और मध्यवर्गीय परिवार के आती है। लेकिन सदर अस्पताल में जिस तरह का व्यवस्था है सभी बेहिचक अस्पताल पर प्रसव करवाने आ सकते हैं। लेकिन लोगों में गलतफहमी है की सदर अस्पताल में डिलेवरी की अच्छी व्यवस्था नहीं है। जिस कारण अच्छे घराने के लोग आने से कतराते हैं। अस्पताल उपाधीक्षक ने सभी लोगों से अपील किया है कि सदर अस्पताल में आएं और सुरक्षित प्रसव करवाएं। सदर अस्पताल में इस वक्त चार महिला चिकित्सक और नियमित ए ग्रेड के 35 एवं 09 संविदा नर्स हैं। वहीं इस कोरोना काल में अस्पताल के प्रसव कक्ष में विशेष एहतियात के साथ प्रसव करवाया जा रहा है। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान अस्पताल प्रशासन के द्वारा रखा जा रहा है। प्रसव कक्ष के साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान रखा जाता है। समय-समय पर साफ-सफाई भी किया जाता है।

माहवार जन्म लिए बच्चों की संख्या:

सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में वर्ष 2023 अप्रैल में 444, मई में 396, जून में 364, जुलाई में 436, अगस्त में 637, सितंबर में 697, अक्टूबर में 734, नवंबर में 732 व दिसंबर में 613 वही वर्ष 2024 के माह जनवरी में 607, फ़रवरी में 908, मार्च में 629 नवजात शिशुओं ने जन्म लिया है।

बेहतरी के लिए किए जा रहे हैं प्रयास

सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर सदर अस्पताल के लेबर रूम, ऑपरेशन थियेटर, ओपीडी, आईसीयू, पैथोलॉजी और रेडिएशन डिपार्टमेंट को हाईटेक किया जा रहा है। इसके साथ हीं एएनएम, जीएनएम सहित अन्य मेडिकल स्टाफ को लेबर रूम, ओटी में आने वाली जटिलताओं की पहचान करने और उसका दक्षतापूर्ण तरीके से समाधान करने के लिए सभी आवश्यक तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया जा रहा है। इसके लिए लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इन्ही सब वजहों से सदर हॉस्पिटल में सुरक्षित संस्थागत प्रसव कराने आने वाली महिलाओं की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। मरीज सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए निजी नर्सिंग होम में न जाकर सदर अस्पताल आना पसंद करते हैं।

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